एस्ट्रॉनोमी और आर्किटेक्चर का अद्भुत उदाहरण है ओडिशा का यह मंदिर, विश्व धरोहर में है शामिल

Harsh
By Harsh

उड़ीसा का एक भव्य मंदिर ऐसा है जो अपनी वास्तुकला के लिए काफी प्रसिद्ध है। सूर्य की किरणों से यहां तीन अलग अलग दिशाओं में तीन अलग अलग छवियां बनती है और इस अदभूत नजारे को देखने विदेशो से भी पर्यटक यहां आते है।

उड़ीसा राज्य के पुरी जिले में स्थित सूर्य मंदिर अपनी अनूठी वास्तुकला के लिए काफी प्रसिद्ध है।  कोणार्क का सूर्य मंदिर ओडिशा के मध्ययुगीन वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना है। यहां हर साल आयोजित कोणार्क नृत्य महोत्सव पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र है।

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Konark Sun Temple
Konark Sun Temple (credit: tripsavvy.com)

अद्भुत इंजीनियरिंग का नमूना

13 वीं शताब्दी के मध्य में निर्मित कोणार्क का सूर्य मंदिर कलात्मक भव्यता और इंजीनियरिंग निपुणता की एक बड़ी धारणा है। गंगा राजवंश के महान शासक राजा नरसिम्हादेव प्रथम ने इस मंदिर को 12 साल (1243-1255 ईसवी) की अवधि के भीतर 1200 कारीगरों की मदद से बनाया था।

मंदिर के आधार पर जानवरों, पत्ते, घोड़ों पर योद्धाओं और अन्य रोचक संरचनाओं की छवियां उकेरी गई हैं। मंदिर की दीवारों और छत पर सुंदर कामुक आंकड़े नक्काशीदार हैं। यहां पर बनी मूर्तिया इतनी सुंदर है, कि आपकी आंखे ठहर जाएगी सूर्य मन्दिर की ऊंचाई करीबन 229 फिट है। इस मंदिर को 3 हिस्सो में बनाया गया था।

Konark Sun Temple (credit: navrangindia.in)

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रथ के पहिए बताते हैं समय

कलिंग वास्तूशैली में बना कोणार्क सूर्य मंदिर को रथ आकार में बनाया गया है जिसमें 12 जोड़ी पहिए हैं, जो साल के 12 महीनों का प्रतीक हैं. और इस रथ को सात घोड़े खींच रहे हैं. ये सात घोड़े सात दिनों को दर्शाते हैं. वहीं, इन पहियों में से 4 पहिए इस तरह बनें हैं कि ये दिन में आपको समय बता सकते हैं।

पहिए में कुल 8 तीलियां हैं. हर एक तीली एक पहर (3 घंटे) का प्रतिनिधित्व करती है. आठ तीलियां 24 घंटे का प्रतिनिधित्व करती हैं. तीलियों पर जब सूर्य की किरणें पड़ती हैं तो उनकी छाया को देखकर समय बताया जाता है. इसलिए इन पहियों को धूपघड़ी भी कहा जाता है।

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हर साल मनाया जाता है उत्सव

यहां पर कोणार्क उत्सव मनाया जाता है। दिसंबर महीने मे हर साल पांच दिन तक यह उत्सव मनाया जाता है। इस उत्सव में नृत्य प्रदर्शन किया जाता है। यहां आने का सबसे अच्छा समय नवंबर से फरवरी के बीच का माना जाता है। क्योंकि इस टाइम ठंड रहती हैं तो मौसम अच्छा रहता है।

यदि आप यहां फ्लाइट से आ रहे हैं तो इसका निकटतम एअरपोर्ट भुवनेश्वर शहर में बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय एअरपोर्ट है। भुवनेश्वर से पुरी और कोणार्क जाने के लिए सार्वजनिक बसें आपको आसानी से मिल जायेगी। इसका निकटम रेलवे स्टेशन पुरी रेलवे स्टेशन है।

यहां पर घूमने के लिए और भी जगह है जो कुछ इस प्रकार है चंद्रभागा समुद्र तट, रामचंडी मंदिर, बेलेश्वर, पिपली, ककटपुर, चौरासी, बालीघई आदि कई पर्यटन स्थल हैं।

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