दिल्ली के करीब यह है आसान व बेहद ही खूबसूरत ट्रेक, नज़ारे ऐसे की लौटने का मन न करें!

कहते हैं की पहाड़ो की असली खूबसूरती आपको किसी ट्रेक के दौरान ही देखने को मिलती है। ट्रेक के दौरान खुद को प्रकृति के बेहद करीब महसूस करना और साथ में इतने खूबसूरत नज़ारों को देखकर जब आपकी आँखे एक टक उन्हीं नज़ारों को देखती हैं तो लगता हैं मानो इन आखों को बस ऐसे ही दृश्यों को देखने के लिए बनाया गया था। इसीलिए हम में से बहुत से लोग ऐसे जगहों की तलाश में लगे रहते हैं जहाँ हमें भीड़ से दूर और प्रकृति के बेहद करीब जाने का मौका मिले।

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लेकिन अधिकतर प्रकृति प्रेमियों के पास वक़्त की कमी व कुछ अन्य वजहों से कई दिनों वाले लम्बे और मुश्किल ट्रेक पर जाने का ऑप्शन नहीं होता है और इसीलिए आज हम आपको बताने वाले हैं हिमाचल प्रदेश के एक ऐसे शानदार ट्रेक के बारे में जिसे आप एक ही दिन में आराम से पूरा करके वापस आ सकते हैं और साथ ही इसे पूरा करने में आपको ज्यादा मुश्किल भी नहीं होने वाली चाहे ये आपका पहला ट्रेक ही क्यों न हो। और बात यहीं ख़त्म नहीं होती, ये ट्रेक प्रकृति के बेहद खूबसूरत व अद्भुत नज़ारों से भी भरा हुआ है।

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जी हाँ हम बात कर रहे हैं हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा जिले में धौलाधार पहाड़ियों की गोद में स्थित त्रिउंड ट्रेक की जिसके एक तरफ धौलाधार श्रृंखला के पहाड़ और दूसरी तरफ कांगड़ा घाटी का अद्भुत दृश्य दिखाई देता है। यह ट्रेक सिर्फ भारतीयों के लिए ही नहीं बल्कि विदेशी पर्यटकों के बीच भी काफी लोकप्रिय है। यह हर साल दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करता है। कठिनाई के हिसाब से यह एक मध्यम दर्जे ट्रेक है और इसे लगभग सभी आयु वर्ग के लोग आसानी से कर सकते हैं।

अगर बात करें इस ट्रेक को पूरा करने में लगने वाले समय की तो इस ट्रेक को शुरू करने के लिए आम तौर पर पर्यटक मैक्लोडगंज या फिर धर्मकोट से शुरुआत करते हैं। धर्मकोट से त्रिउंड कैंपिंग साइट की दुरी करीब 7 किलोमीटर है और वही अगर आप मैक्लोडगंज से ट्रेक शुरू करते हैं तो इसमें 2 किलोमीटर और जुड़ जायेंगे। धर्मकोट से ट्रेक को पूरा करने में 3 से 5 घंटे का समय लगता है।

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आप चाहें तो ट्रेक की शुरुआत सुबह जल्दी करके दोपहर से पहले कैंपिंग साइट टक पहुंचकर शाम तक मैक्लोडगंज वापस आ सकते हैं। लेकिन आपको बता दें की बहुत से पर्यटक यहाँ नाईट कैंपिंग के इरादे से आते हैं तो अगर आप भी नाईट कैंपिंग खुले आसमान में अनगिनत सितारों के नीचे, धौलाधार श्रृंखला के पहाड़ो के बीच हल्की ठण्ड में बॉनफायर के साथ करना चाहते हैं तो आप यहाँ कैंपिंग भी कर सकते हैं।

अगर इस ट्रेक को करने के लिए बेस्ट समय की बात करें तो मार्च से जून तक का समय खुले आसमान में चारों ओर के खूबसूरत नज़ारों को देखने के लिए और साथ ही सुहावने मौसम में कैंपिंग के लिए भी परफेक्ट माना जाता है। इसके साथ ही आप सितम्बर से नवंबर महीने के बीच का समय भी घनी हरियाली से भरे इस ट्रेक के लिए काफी अच्छा रहता है।

मानसून के समय भी इस ट्रेक को किया जा सकता है क्योंकि रास्ते में काफी सारे रेस्टोरेंट वगैरह आपको मिल जाते हैं जहाँ आप बारिश के दौरान रुक सकते हैं। सर्दियों में यहाँ बेहद भारी बर्फ़बारी होती है जिससे सर्दियों में इस ट्रेक को पूरा करना काफी मुश्किल और थोड़ा रिस्की भी होता है।

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