सैर-सपाटे के लिए खौलते ज्वालामुखी के पास जा रहे लोग, जाने कितना खतरनाक है ये?
घूमने फिरने के लिए हम कहा नहीं जाते है, पर्वत, नदी, रेगिस्तान से लेकर अलग अलग जगहों तक। लेकिन क्या आप सोच सकते है कि घुमक्कड़ी का शौक लोगों को ज्वालामुखी तक लेकर चला गया है।
1000 डिग्री सेल्सियस पर गरम उबलता लावा और जहरीले धुएं के बीच मौज मस्ती करते लोग। निश्चित रूप से इस तरह कि तस्वीर काफी एडवेंचर्स है लेकिन खतरा भी काफी है।
हाल ही में हवाई शहर में, जब दुनिया का सबसे बड़ा ज्वालामुखी फटा तब यहाँ हजारों कि संख्या में लोग इसे देखने पहुंचे थे। पूरी दुनिया में इस तरह का अनोखा टूरिज्म तेजी से बढ़ रहा है, जिसे वोल्केनो टूरिज्म भी कहते हैं।
दुनिया भर में लगभग 1,500 सक्रिय ज्वालामुखी हैं। इनमें से किसी एक के फूटने पर भी कई दिनों तक आकाश में धुआं छा सकता है जिससे स्वास्थ्य समस्याओं से लेकर हवाई यातायात में रुकावट पड़ती है।
ज्वालामुखी को फटता देखने की इच्छा रखने वाले खुद को लावा चेजर्स भी कहते हैं. वे हेलीकॉप्टर से ज्वालामुखी को खौलता हुआ देख सकते हैं, या फिर उसके करीब जाकर तस्वीरें भी ले सकते हैं।
हालाँकि यह ये इसपर निर्भर करता है कि वॉल्केनो किस तरह का है, ज्यादातर टूरिस्ट एक्टिव वॉल्केनो के पास ही जाना पसंद करते हैं।
जापान का माउंट फुजी इस लिस्ट में काफी ऊपर है, जापान के सबसे ऊंचे पर्वत पर ये ज्वालामुखी एक्टिव माना जाता है। इस ज्वालामुखी में आखिरी हलचल साठ के दशक में दिखी थी, इसके बाद इस जगह को बाकायदा टूरिस्ट प्लेस की तरह तैयार किया गया।
वॉल्केनिक इरप्शन के साथ अच्छी बात यह है कि ये है कि वे भूकंप की तरह एकदम अचानक नहीं होता, बल्कि कई दिन पहले से ही संकेत मिलने लगता है।
इसके अलावा साइंटिस्ट भी लगातार सक्रिय ज्वालामुखियों पर नजर रखते हैं. टूरिट्स गाइड ऐसी जगहों पर जाते हुए कई बातें बताते हैं जैसे कहां बिल्कुल नहीं जाना है और अगर कोई खतरा हो, तो किन रास्तों से निकलना है।
source: aajtak