राजस्थान, कहते हैं कि अगर किसी ने राजस्थान नहीं देखा तो मतलब उसने हिन्दुस्तान भी नहीं देखा और राजस्थान में अगर आप आ रहें है तो जयपुर को मिस कर दें ऐसा हो नहीं सकता। राजधानी होने के साथ ही ये शहर बेहद लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है।
यहाँ के पर्यटन स्थल जो पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय और प्रचलित हैं वो हैं आमेर किला, जलमहल, हवामहल, सिटी पैलेस, जंतर मंतर आदि लेकिन कुछ ऐसी जगह भी हैं जो बेहद खूबसूरत तो हैं लेकिन अभी तक पर्यटन के लिहाज़ से उन्हें वो पहचान नहीं मिल पायी जिसके वो हक़दार हैं और इसीलिए अधिकतर पर्यटक जयपुर कि इन छिपी हुई अनमोल विरासतों को देखे बिना ही यहाँ से वापस चले जाते हैं।
आज हम ऐसी ही एक अनोखी और बेहद खूबसूरत लोकेशन के बारे में बताने वाले हैं जिसे जयपुर कि सबसे खूबसूरत फोटो डेस्टिनेशन में से एक कहना गलत नहीं होगा।
जी हाँ हम बात कर रहे हैं जयपुर में अरावली पहाड़ियों से घिरे नाहरगढ़ किले कि तलहटी में में स्थित शाही गैटोर कि छतरियों की, तो चलिए बताते हैं आपको इस शानदार लोकेशन के बारे में….
यह सिर्फ पर्यटकों के लिए ही नहीं बल्कि लोकल लोगों के लिए भी रोज की बिजी लाइफ से दूर जाने और एक सुखद व शांति भरे वातावरण में कुछ सुकून भरा समय बिताने के लिए एक परफेक्ट लोकेशन है।
जयपुर के लगभग हर पर्यटक स्थल पर आपको ढेर सारे पर्यटकों के भीड़ तो मिलेगी ही लेकिन जैसा की हमने आपको बताया की यह जगह अभी तक पर्यटकों की नज़रों से छिपी हुई है तो इस जगह आपको वो भीड़ भी नहीं मिलेगी जिसके कारण आप सुकून से इस जगह का आनंद उठा सकते हैं साथ ही बिना किसी बैकग्राउंड में होने वाले डिस्टर्बेंस के अपनी ढेरों फोटोज भी क्लिक कर सकते हैं।
यह स्थान जयपुर शहर से थोड़ा बाहर अरावली की पहाड़ियों की तलहटी में श्री गढ़ गणेश जी के मंदिर के पास स्थित है।
छतरियों का इतिहास:
अगर इसके इतिहास के बारे में बात करें तो आपको बता दें की ये राजपूत वंश कछवाहा का शाही शमशान घाट था। इसके नाम की बात करें तो गैटोर शब्द का अर्थ ‘गए का ठौर’ से है। इन शाही छतरियों को 18वीं शताब्दी में जयपुर के संस्थापक महाराजा जयसिंह द्वितीय ने नामांकित किया था।
बताया जाता है की महाराजा सवाई ईश्वरी सिंह को छोड़कर जिनका अंतिम संस्कार जयपुर के सिटी पैलेस में किया गया था, सन् 1733 से शुरू होकर यहाँ हर कछवाहा वंश के राजा का अंतिम संस्कार किया जाता था।
और अंतिम संस्कार के बाद उनकी स्मृति में यहाँ इन छतरियों का निर्माण करवाया गया था। यहाँ बनीं हर एक छतरी अपने आप में एक प्राचीन व बेहतरीन वास्तुकला का नमूना है जिसे देखे बिना आपकी जयपुर की यात्रा अधूरी ही रहेगी।
इस जगह के तीन हिस्से हैं और परिसर में जो हिस्सा सबसे पीछे की ओर है वही सबसे पुराना बताया जाता है। और सबसे आगे वाला हिस्सा सबसे नया है और जो बीच वाला हिस्सा है वहां सीढ़ियों के द्वारा आप ऊपर भी जा सकते हैं और वहां से ऊपर से इस खूबसूरत जगह को चारों ओर से घनी हरियाली से भरी अरावली की पहाड़ियों के साथ देख सकते हैं जो की सच में एक शानदार नज़ारा है।
यहाँ बीच वाले हिस्से के परिसर में ही एक प्राचीन शिव मंदिर भी है जिसे इन छतरियों के निर्माण से पहले का बताया जाता है।
तो अगर आप जयपुर घूमने आ रहे हैं और साथ में सभी भीड़ भरी लोकेशन से दूर एक शानदार और शांति भरी लोकेशन ढूंढ रहे हैं तो हम आपको यहाँ जाने का जरूर सुझाव देंगे। यहाँ पर्यटकों के प्रवेश का समय सुबह 9:30 बजे से लेकर शाम को 5:30 बजे तक का रहता हैं और टिकेट की बात करें तो टिकट सिर्फ 30 रुपये का है।
कैसे पहुंचें गैटोर की छतरियां ??
अगर आप जयपुर के सिंधी कैंप बस स्टैंड पर हैं तो वहां से इन छतरियों की दूरी सिर्फ 6 किलोमीटर है तो वहां से आप बस के द्वारा ब्रह्मपुरी सिटी बस स्टैंड तक आ सकते हैं और फिर वहां से आसानी से 5 मिनट की वॉक करके इस स्थान तक आ सकते हैं या फिर ऑटो रिक्शा से आसानी से पहुचं सकते हैं।
और साथ ही जयपुर में किसी भी जगह से कैब बुक करके आप सीधे यहाँ पहुँच सकते हैं। यहाँ आप अपने साधन से भी गूगल लोकेशन के द्वारा आसानी से पहुँच जायेंगे।