“बंदरों के मंदिर” के नाम से प्रचलित है जयपुर का यह स्थान, विदेशी भक्तों की लगती है भीड़

भारत के लगभग हर कोने आपको बहुत ही खास तरह के मंदिर मस्जिद मिल जायेंगे, और इन्हीं खास मंदिरों में से एक मंदिर है राजस्थान के जयपुर का गलताजी मंदिर।
यह मंदिर अपने कई मान्यताओं के लिए जाना जाता है, यहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु देश विदेश से आते है। तो आइए इस मंदिर के बारे में विस्तार से जानते है।

अरावली पहाड़ियों में स्थित, घने पेड़ों और झाड़ियों से घिरा मंदिर गोल छतों और खंभों से सजी चित्रित दीवारों से सुशोभित है। मंदिर की दीवारों , छतों और खम्बो पर अद्भुत चित्रकारी की गयी है । इसके अलावा इसे ‘बंदरों के मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है
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जहां पर यह मंदिर बना हुआ है वहां का माहौल काफी हरा-भरा और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। यहां पर कई खूबसूरत झरने और पहाड़ देखने को मिलते हैं।
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मंदिर की सबसे खूबसूरत चीज यहां का झरना है, जो अरावली के पर्वत से बहता हुआ जाता है। इस झरने का पानी कई कुंड और तालाबों में भी जाता है, जहां यात्री चाहें तो जाकर स्नान भी कर सकते हैं।
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आप इस मंदिर में न केवल देशी बल्कि विदेशी भक्तों को भी दर्शन करते हुए देख सकते हैं। यहां भक्त मंदिर समिति द्वारा आयोजित भक्ति कार्यक्रम, भक्ति संगीत, लाइव प्रदर्शन और कई अन्य पवित्र कार्यक्रमों का भी आनंद लेने के लिए आते रहते हैं।
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यह मंदिर जयपुर के रीगल शहर के बाहरी इलाकों में स्थित है, मंदिर के परिसर में प्राकृतिक ताजा पानी का कुंड है। गलताजी के प्राकृतिक कुंड की बहुत महत्वता है और यहाँ स्नान करना शुभ माना जाता है।
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यह माना जाता है कि, सन्त गालव ने अपना जीवन यहाँ बिताया है बिताए सैकड़ों वर्षों के लिए अपने ‘तपस्या’ का प्रदर्शन किया। उनकी तपस्या से प्रसन्न, देवताओं उसके सामने प्रकट हुए और प्रचुर मात्रा में पानी के साथ पूजा की अपनी जगह को आशीर्वाद दिया था।
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मंदिर के निर्माण की बात करें तो दीवान राव कृपाराम ने 18वीं शताब्दी में मंदिर की आधारशिला रखी थी, कृपाराम राजा सवाई जय सिंह के दरबार में दीवान थे।