भारत-चीन के बीच सीमा विवाद की वजह से तवांग में भारतीय सेना के मिलिट्री वाहनों की आवाजाही ज्यादा रहती है। हालांकि, तवांग अपनी बेमिसाल खूबसूरती और बौद्ध मठों के लिए मशहूर है।
अरुणाचल प्रदेश का तवांग अपनी प्राकृतिक सौंदर्य, बर्फीले पहाड़ और हरी-भरी वादियों के लिए सैलानियों की पहली पसंद है। तवांग में ही एशिया का सबसे बड़ा मठ है, अपने बौद्ध मठों के लिए यह शहर पूरी दुनिया में पहचाना जाता है।
पूर्वोत्तर में स्थित एक अद्भुत हिल स्टेशन है जो सर्दियों के महीनों के दौरान बर्फबारी से सराबोर रहता है, बर्फबारी देखने के शौकीन लोगों के लिए यह जगह किसी जन्नत से कम नहीं है।
तवांग मठ को गोल्डन नामग्याल ल्हात्से के नाम से भी जाना-पहचाना जाता है, ये अरुणाचल प्रदेश के अनमोल रत्नों में से एक है। समुद्र तल से 3000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित तवांग मठ को दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मठ के तौर पर मान्यता दी गई है।
तवांग के जंगल में कई ऐसी अनजान जगह हैं, जो बेहद सुंदर हैं। उनमें से एक नूरनांग वाटरफॉल है। नूरनांग फॉल्स देश के सबसे शानदार झरनों में से एक है. ये वाटरफॉल पानी की एक सुंदर सफेद चादर है, जो लगभग 100 मीटर की ऊंचाई से नीचे गिरती है।
तवांग जाने के लिए सबसे अच्छा समय मार्च से सितंबर महीने का है क्योंकि ये जगह गर्मियों और मानसून में घूमने के लिए परफेक्ट है. लेकिन अगर आप बर्फबारी और बर्फ से ढके पहाड़ों का मजा लेना चाहते हैं तो आप यहां सर्दियों के मौसम में जाएं।
पहाड़ी इलाका होने के कारण यहाँ आसपास कोई एयरपोर्ट या रेलवे स्टेशन नहीं है, यहाँ से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट असम का तेजपुर है जो तवांग से करीब 317 किलोमीटर की दूरी पर है। गुवाहाटी से तवांग की दूरी लगभग 500 किलोमीटर है। आप सड़क मार्ग से तवांग जा सकते है।