हरे भरे पहाड़ो में ट्रेक करना किसे पसंद नहीं होगा और अगर बारिश का सुहाना मौसम चल रहा हो तो ट्रेक करने का मजा कई गुना हो जाता है क्योंकि घने बादल जब घनी हरियाली वाले पहाड़ो को छूकर निकलते है तो सच में नज़ारा अद्भुत होता है और अगर ट्रेक करके आप पहुंच जाएं एक ऐसी ऊँचाई पर जहाँ से आप उन्ही बादलों को अपने नीचे पाएं और “आज में ऊपर,आसमाँ नीचे ” वाली फीलिंग आये तो क्या ही कहने।
तो आज हम आपको ऐसी ही एक लोकेशन के बारे में बताने वाले है जहाँ आप एक खूबसूरत लोकेशन पर ट्रेक करने तो जा ही सकते हैं साथ ही यह जगह अभी तक अधिकतर टूरिस्ट्स की नज़रों से छिपी हुई है तो आपको यहाँ भीड़ के बिना सुकून भरे पल बिताने का अच्छे से समय भी मिलेगा। जी हाँ हम बात कर रहे है उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में स्थित भैरव गढ़ी ट्रेक की। तो चलिए बताते हैं आपको हमारी गढ़वाल के रक्षक भैरव बाबा के मंदिर भैरव गढ़ी की यात्रा के बारे में….
हम थे हमारी लैंसडौन की यात्रा पर जो की एक बेहद शानदार जगह है खास तौर पर मानसून में घूमने के लिए, और लैंसडौन अच्छे से घूमने के बाद हमारे पास करीब आधा दिन बचा था और हम ढूंढ रहे थे कोई ऐसी जगह जहाँ हम भीड़ से दूर पहाड़ों के एकदम पास कुछ सुकून भरे पल बिता सकें। तो बस किसी ने भैरव गढ़ी का नाम सुझाया लेकिन साथ में ये भी बता दिया की 3 किलोमीटर का ये ट्रेक आप डेढ़ साल की बच्ची के साथ बिलकुल नहीं कर पाओगे लेकिन वो कहते है न की अगर किसी जगह आप शिद्दत से जाना चाहो तो पूरी कायनात आपको वहां पहुंचाने के लिए जुट जाती है (हाँ ऐसी कोई कहावत नहीं है लेकिन मिलती जुलती भी चलेगी ना 😉 )
तो बस हम निकल गए भैरव गढ़ी की यात्रा पर और लैंसडौन से करीब 17 किलोमीटर दूर हम कीर्तिखाल पहुंचे जहा से ये 3 किलोमीटर लम्बा ट्रेक शुरू होता है। कार पार्क करके हमने ट्रेक शुरू किया और शुरुआत में कुछ दूर चलने के बाद हमें दिखा वैष्णो माता का मंदिर। यहाँ दर्शन करके हम आगे बढे, यहाँ से भैरव गढ़ी मंदिर करीब 2.5 किलोमीटर दूर था ।
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यहाँ तक पक्का रास्ता था और शेडिंग भी लगा रखी थी और इसके बाद थोड़ा कच्चा रास्ता मिला जहाँ रियल ट्रेक की फीलिंग हमें मिलने लगी। शुरुआत में इतनी खड़ी चढ़ाई नहीं है तो इतना मुश्किल ट्रेक नहीं लग रहा था लेकिन थोड़ा आगे जाकर चढ़ाई थोड़ी मुश्किल जरूर हो गयी ।
कुछ देर बाद हमें यहाँ रहने वाले पहाड़ी लोगों के घर दिखने लगे और ट्रेक का रास्ता पूरी तरह से पक्का दिख रहा था। उन्ही घरों में से एक घर में हमे बहुत सारी सब्जियों और फलों के पेड़ और बेल आदि दिखाई दी और वहां पर मौजूद एक स्त्री से हमने इनकी खेती के बारे में कुछ जानकारी भी ली, बताकर वो भी खुश हो रहीं थी और हमें भी अच्छा लग रहा था ।
यहाँ से कुछ दूर चलने के बाद पहले हम काली माता के मंदिर पहुंचे और वहां दर्शन किये। वहां एक हनुमान मंदिर भी था लेकिंग पंडित जी ने हमें बताया की माता के दर्शन भैरव बाबा के दर्शन से पहले और हनुमान जी के दर्शन भैरव मंदिर से वापस आते वक़्त करने होते हैं तो हम चल दिए ऊपर की ओर।
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यहाँ से भैरव गढ़ी तक करीब 300 मीटर की चढ़ाई थोड़ी खड़ी है और थकाने वाली है लेकिन ज्यादा दूरी नहीं है तो आप आराम से कर सकते हैं और साथ में यहाँ से दिखते नज़ारे आपको थकान का एहसास नहीं होने देंगे। मंदिर के पास पहुँचने के बाद हमें कुछ बेहद गहरे अर्थ वाली बाते लिखी दिखाई दी जैसे “तन जितना घूमता रहे उतना स्वस्थ रहता है और मन जीतना स्थिर रहे उतना ही स्वस्थ रहता है”
और फिर हम मंदिर पहुँच गए और वहाँ दर्शन किये और वहां पंडित जी ने हमें बताया कि हिन्दू धर्म में काल भैरव की पूजा की जाती है। वह भगवान शिव के 14वें अवतार हैं। भैरव गढ़ी में काल नाथ भैरव की पूजा की जाती है। ऐतिहासिक रिपोर्टों के अनुसार, गढ़वाल के 52 गढ़ों में से, भैरव गढ़ एक है। मंदिर इस पहाड़ी की चोटी पर बना है और इतनी ऊंचाई पर होने के बाद भी मंदिर का ढांचा काफी अच्छी अवस्था में दिख रहा था।
दर्शन करके हम वहां बने एक व्यू पॉइंट की तरफ गए जहाँ से चारों ओर का नज़ारा सच में शानदार था और साथ में वहां की शांति में सिर्फ तेज़ चलती ताज़ी हवा की आवाज़ ही हम सुन पा रहे थे जो की मन को सच्ची खुशी और सुकून देने के लिए काफी था। हमारी बेटी ईहाना भी अपने जीवन के सबसे अच्छे बालकनी के दृश्य का अच्छे से आनंद ले रहीं थी। इन्ही में से कुछ अनमोल पलों को हमने हमारे कैमरे में कैद कर लिया।
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और फिर हम फिर से नीचे की ओर चल दिए। तो अगर आप उत्तराखंड में ऐसी ही किसी लोकेशन को ढूंढ रहे थे हम आपको यहाँ जाने की सलाह जरूर देंगे। और अगर आप ऐसी ही किसी और छिपी हुई लोकेशंस के बारे में जानना चाहते हैं तो आप नीचे दिए गए लिंक के द्वारा हमारे Youtube चैनल WE and IHANA पर जा सकते हैं :
https://youtube.com/c/WEandIHANA
भैरव गढ़ी ट्रेक कैसे पहुँचे:
सड़क मार्ग द्वारा: उत्तराखंड का कोटद्वार शहर कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। दिल्ली से कोटद्वार करीब 240 किमी है और कोटद्वार से कीर्तिखाल में स्थित भैरव गढ़ी ट्रेक करीब 17 किमी की दूरी पर है।
रेल मार्ग द्वारा: सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन कोटद्वार रेलवे स्टेशन है। वहाँ से फिर टैक्सी या सरकारी बस आदि से भैरव गढ़ी ट्रेक तक आसानी से पहुँचा जा सकता है।
हवाई मार्ग द्वारा: यहाँ से सबसे नजदीकी हवाई अड्डा देहरादून का जौलीग्राँट एयरपोर्ट है जो कोटद्वार से करीब 110 किमी की दूरी पर है।