दिल्ली के करीब मानसून में हरी भरी वादियों के बीच नदी किनारे सुकून लेना चाहते हैं तो यहां चले आइये

मानसून के 3 महीने बीत चुके हैं और करीब एक महीना ही बचा है तो अगर आप भी उनमे से हैं जिसे बारिश के मौसम में बादलों से ढकी हरी भरी वादियों में जाने का बस मौका चाहिए तो इंतज़ार मत कीजिये और बस बना लीजिये जल्दी से प्लान अपनी अगली मानसून ट्रिप का। और हाँ अगर आप दिल्ली के आस पास है और ढूंढ़ना चाहते हैं उत्तराखंड की ऐसी ही कोई लोकेशन तो आज आपकी परेशानी हम कम करने वाले हैं।
जी हाँ हम आज आपको बताने वाला हैं उत्तराखंड में एक छिपी हुई लोकेशन के बारे में जहाँ आपको टूरिस्ट की भीड़ का भी सामना नहीं करना पड़ेगा। और आपको बता दें की इसी जगह से हमारे देश को “भारत” नाम भी मिला था।
हम बात कर रहे हैं सम्राट भरत की जन्मस्थली, मालिनी नदी किनारे बसे कण्वाश्रम की जो कण्व नगरी कोटद्वार में स्थित है। तो चलिए देर किस बात की, ले चलते है आपको हमारी कण्वाश्रम की यात्रा पर….
बारिश का मौसम चल रहा था और हम शुरुआत कर चुके थे हमारी उत्तराखंड की यात्रा की। हम जाना चाहते थे किसी ऐसी जगह जो इतनी फेमस न हो ताकि हमें पर्यटकों की ज्यादा भीड़ न मिले और साथ में वो जगह प्राकर्तिक खूबसूरती से भी भरी हो तो बस हमारी खोज पूरी हुई और हमने कण्वाश्रम, कोटद्वार जाने का निश्चय किया।
कोटद्वार सिटी से करीब 10 किलोमीटर दूर है कण्वाश्रम और सिटी से कुछ दूर निकलते ही हमारा कोटद्वार शहर की प्राकर्तिक सुंदरता से सामना हुआ जो सच में अद्भुत है। कुछ दूर जाकर हम पहुंचे एक खेल के मैदान के पास जहाँ लगा एक बरगद का पेड़ बेहद खूबसूरत दिख रहा था और उसके पीछे की तरफ से जंगल के बीच से होकर रास्ता जा रहा था कण्वाश्रम की ओर….
जंगल के अंदर घुसते ही नज़ारा बहुत शानदार लग रहा था और साथ ही ये यात्रा हमें खुद के बहुत साहसी होने का एहसास दिला रही थी बस यहाँ हमने कार से उतारकर ज्यादा साहस दिखाने के बारे में बिलकुल नहीं सोचा क्योंकि हमने सुना था की जंगल में कभी तेंदुआ और अन्य वन्यजीव भी दिख जाते हैं और वैसे भी यही तो वो जगह है जहाँ सम्राट भरत अपने बचपन में शेरों के साथ खेला करते थे।
हम आगे चले गए और कुछ दूर बाद हम पहुंचे मालिनी नदी के किनारे और यहाँ का जो नज़ारा था वो हमारी उम्मीदों से काफी ज्यादा खूबसूरत था । नदी के पानी की कल कल आवाज़ सुनकर हमारी बेटी इहाना की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा और वो हमसे नदी के पास जाने के इशारे करने लगी।
बस फिर हम चले गए नदी किनारे और कुछ बेहद अनमोल पल अपनी यादों के साथ अपने कैमरे में कैद कर लिए। वहां एक छोटा झरना भी था जहाँ कुछ लोग इस शुद्ध जलधारा में नहा भी रहे थे । सामने की और दिख रही हरी भरी पहाड़िया और उन्हें बार बार ढकती हुई काली घटाएं और नीचे ये सुन्दर बहती नदी , सच में एक अनोखा नज़ारा पेश कर रही थी जो शब्दों में बिलकुल बयां नहीं किया जा सकता है।
यहीं से कुछ दूर करीब 50 सीढियाँ चढ़कर हम कण्वाश्रम पहुंचे जो एक आश्रम है और यहाँ आपको बेहद शांति का एहसास होगा। यहाँ चक्रवती सम्राट भरत के साथ ऋषि कण्व की मूर्तियां थी।
सम्राट भरत के बाल रूप को शेर के दांत गिनते हुए दिखाया गया है जिसके बारे में आपने जरूर सुना होगा। साथ में एक शानदार बगीचा भी था जहाँ आप कुछ सुकून भरे पल बिता सकते हैं। नीचे आप देख सकते हैं वह लगे एक बोर्ड की तस्वीर जिसमें इस जगह के महत्त्व के बारे में लिखा हुआ है।
तो कुल मिलाकर अगर आप मानसून में घूमने के लिए वीकेंड डेस्टिनेशन ढूंढ रहे हैं तो हम आपको इस जगह जाने का सुझाव जरूर देंगे । अगर आपको इस जगह के बारे में जायदा जानकारी चाहिए और ऐसी ही कुछ और लोकेशंस के बारे में आप जानना चाहते हैं तो आप हमारे Youtube चैनल WE and IHANA पर भी नीचे दिए गए लिंक के द्वारा जा सकते हैं।
https://www.youtube.com/c/WEandIHANA
कण्वाश्रम कैसे पहुँचे?
हवाई मार्ग द्वारा: यहाँ से सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जौलीग्राँट एयरपोर्ट, है जो की देहरादून में है। और देहरादून कोटद्वार से करीब 100 किमी की दूरी पर है। वहां से आप आसानी से टैक्सी या बस के द्वारा कोटद्वार सिटी पहुँच सकते हैं और कोटद्वार शहर से आपको कण्वाश्रम जाने के लिए ऑटो आसानी से मिल जायेगा।
सड़क मार्ग द्वारा: कोटद्वार कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। जैसे की बात करें अगर दिल्ली की तो यहाँ से कोटद्वार करीब 240 किमी है और कोटद्वार शहर से कण्वाश्रम 10 किमी की दूरी पर है।
रेल मार्ग द्वारा: सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन कोटद्वार रेलवे स्टेशन है जो की प्रमुख शहरों से अछि तरह जुड़ा है। वहाँ से फिर टैक्सी, ऑटो आदि लेकर आप कण्वाश्रम पहुँच सकते हैं ।