जैसलमेर में घूमने की जगह। Places to visit in Jaisalmer

Shikha Sahu

राजस्थान के जैसलमेर शहर को गोल्डन सिटी के नाम से भी जाना जाता है। जो कि राजस्थान की राजधानी जयपुर से लगभग 575 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस शहर में जैन समुदाय के मंदिर, अनेकों किले और कई पैलेस है। इसके साथ ही जैसलमेर में किले और मंदिरों को पत्थरों की नक्काशी करके बनाये गए है। जैसलमेर की महान थार मरुस्थल का दिल कहलाता हैं। और यहां राजस्थान के रंग देखने को मिलते है।

 

जैसलमेर में घूमने की जगह। Places to visit in Jaisalmer


जैसलमेर फोर्ट

यह दुनिया में सबसे बड़े किले के रूप में प्रख्यात है। यहां की भारी बलुआ पत्थर की दीवारें, दिन के दौरान शेर की तरह एक गहरे पीले रंग की दिखाई देने लग जाती है, यह किला राजस्थान कलाकृति का एक बहुत ही बड़ा रूप है। आज भी यह किला लोगों के लिए खुला हुआ है।

 जैसलमेर फोर्ट
जैसलमेर फोर्ट

बड़ा बाग

आज यहाँ एक शाही स्मारक है, जहाँ पर महाराजाओं के तलवार और महाराजाओं के क्षत्र भी रखे हुए है। बड़ा बाग में सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय नज़ारा बहुत ही अच्छा होता है, जिसे देखने के लिए अधिकतर लोग इसी समय जाते है।

बड़ा बाग
बड़ा बाग

 

पटवों की हवेली

यहाँ की पांच हवेली में से एक को अब संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया है। इस संग्रहालय में बड़े बड़े गलियारे है। इसके साथ ही दीवारों में बहुत ही सुंदर सुंदर नक्काशी और सजावट की गई है और इस पूरी हवेली को पीले बलुआ पत्थरों से बनाया गया था। इसके साथ ही तीसरी हवेली पर बीते युग के स्थानीय कारीगरों का काम भी चलता रहता है।

पटवों की हवेली
पटवों की हवेली

सैम सैंड दूंस

रेगिस्तान में ऊँठ के उपर बैठकर बहुत रोमांचक होता है। और इसी दौरान रेगिस्तान के सूर्यास्त को दिखाया जाता है। जो बहुत ही मनमोहक दृश्य होता है। और आप रेगिस्तान का मजा लेना चाहते हो तो, आपको रेगिस्तान की सफारी का आनंद ज़रूर लेना चाहिए।

सैम सैंड दूंस
सैम सैंड दूंस

डेजर्ट फेस्टिवल

यह फरवरी, मार्च महीने में घुमने का एक बहुत ही समय है, इस समय बहुत से लोग देश विदेश से यहाँ घूमने के लिए पहुँचते है और राजस्थान को करीब से देख पाते है। इस फेस्टिवल में बढ़िया बढ़िया राजिस्थानी खाना, फोल्क गाना, नाटक, फोल्क डांस देखने को मिलते है।

डेजर्ट फेस्टिवल
डेजर्ट फेस्टिवल

रामदेवरा

यह बहुत से लोगों के इष्ट देव है, जो राजपूत समुदाय के है। और हर साल यहाँ उनकी पूजा करने आते है। यहां पर तंवर राजपूत के संत रामदेवजी ने 1384 में 33 साल की उम्र में समाधी ले ली थी।

रामदेवरा
रामदेवरा

थार हेरिटेज संग्रहालय

इस संग्रहालय को लक्ष्मी नारारण खत्री ने बनवाया था। जो कि मरुस्थल के इतिहास, संस्कृति, कला और आर्किटेक्चर को दर्शाता है। यहाँ मरुस्थल के पहले सागर में चलने वाले घोड़े, हथियार, जहाज के अवशेष और पुरानी चीजों को सहेज के रखा गया है। इस मरुस्थल के बारे में बताया जाता है कि 10 लाख सालों में समुद्र सूखता चला गया, और इतना विशाल थार मरुस्थल बन गया।

थार हेरिटेज संग्रहालय
थार हेरिटेज संग्रहालय
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