मलयालम का एक शब्द है वल्लमकली, वल्लम का अर्थ होता है नौका और कली यानी नाटक या खेल।
मानसून के दिनों में केरल की खूबसूरती अपने चरम पर होती है और इसी मानसून के दौरान केरल का सबसे लोकप्रिय खेल वल्लमकली का आयोजन होता है।
केरल के बैकवाटर और नदियां प्राचीन काल से बोट रेस (वल्लम कली) का प्रदर्शन स्थल रहे हैं। इस बोट रेस को देखने के लिए दुनियाभर से टूरिस्ट जुटते हैं, तो आइए जानें केरल के बैकवॉटर में होने वाले इस जश्न के बारे में विस्तार से –
वल्लम कली का आयोजन केरल के अलग अलग शहरों में होता है लेकिन कोच्चि शहर से 80 किलोमीटर दूर बसे अलेप्पी का नेहरू ट्रॉफी बोट रेस प्रतियोगिता इन सब में सबसे अधिक पॉपुलर है।
इस बोट रेस का आयोजन प्रतिवर्ष अगस्त के महीने में दूसरे शनिवार को होता है, इस वर्ष 2023 में यह खेल 12 अगस्त को आयोजित की जाएगी। यह दौर यहाँ के पुन्नमडा लेक में आयोजित होगी।
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इस भीषण नौका दौड़ के दिन, शांत झील का किनारा मानवता के समुद्र में बदल जाता है, जिसे देखने के लिए विदेशों से आए पर्यटकों सहित अनुमानित दो लाख लोग आते हैं।
इस रेस में भाग लेने के लिए आसपास के गांवों से बोट्स आती हैं। हर गांव का अपना एक बोट होता है। इस बोट में 100 से लेकर 140 कुशल नाविक सवार होते हैं। कुट्टनाड के प्रत्येक गाँव के लोगों के लिए उनकी गाँव की नाव की इस दौड़ में जीत बहुत अहम् चीज होती है।
रेस के दौरान नाविक एक लय में चप्पू से नाव को खेते हैं वहीं इनके बीच बैठे हुए गायक अपने साथियों का उत्साह बढ़ाने के लिए बोट सोंग्स गाते हैं। इन्हीं के साथ दो ड्रमर भी होते हैं जो बड़े उत्साह के साथ ड्रम बजा कर अपने नाविकों में जोश भरते हैं।
हर नाव का एक टीम लीडर भी होता है, जो सबसे ज्यादा अनुभवी होता है। वह लगातार सीटी बजा कर नाविकों को निर्देश देता रहता है। उन लोगों का उत्साह देखने वाला होता है। स्थानीय लोगों की मानें तो यह रेस भारत में आयोजित होने वाले प्राचीनतम वॉटर स्पोर्ट्स में से एक है।
इस रेस को देखने के लिए आपको टिकट लेना होगा, टिकट 100 रूपए से लेकर 3000 रूपए के दर पर उपलब्ध है, इन टिकट को बैठने के जगह और उनमें मिलने वाली सुविधाओं के आधार पर आप खरीद सकते है।
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