अंतिम कहे या पहला! यह है भारत का सबसे अनोखा गांव, जन्नत से कम नहीं है नजारे; यहीं है स्वर्ग जाने का रास्ता

Sweta Patel

क्या आपने कभी सोचा है कि लाखों गांव और करोड़ों की जनसँख्या वाले भारत का अंतिम गांव कौन सा है? वहाँ का जीवन कैसा है? अगर आप जानना चाहते हैं, तो हम आपको इसके बारे में बताते हैं। भारत के इस अंतिम गांव से सीधा स्वर्ग का रास्ता जाता है और इस गांव का संबंध महाभारत काल से भी जुड़ा हुआ है।

उत्तराखंड में स्थित है यह गांव

उतराखंड में स्थित इस गांव का नाम माणा गांव (Mana Village). यह गांव भारत और तिब्बत की सीमा से लग हुआ है। यहां से चीन की सीमा शरू हो जाती है।

समुद्र तल से लगभग 10,000 फुट की ऊंचाई पर बसे इस गांव का पौराणिक नाम मणिभद्र है। माणा गांव अपनी सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ कई अन्य कारणों की वजह से भी मशहूर है। मान्यता है कि पांडव इसी रास्ते से होते हुए स्वर्ग गए थे।

अंतिम या पहला?

गांव को लेकर सबसे बड़ा डिबेट तो यही रहता है कि यह भारत का आखरी गांव है या पहला गांव। आपको बता दे कि कुछ दिनों पहले तक इस गांव के प्रवेश द्वार पर एक बोर्ड लगा था जिसपर लिखा हुआ था भारत का अंतिम गांव माना और आसपास की दुकानों पर भी इसी तरह के बोर्ड मिलते जहाँ आपको अंतिम चाय दुकान आदि देखने को मिलता।

हालाँकि कुछ ही महीने पहले इन सभी बोर्ड पर अंतिम गांव को पहला गांव कर दिया गया है, ऐसे में जब आप प्रवेश कर रहे होंगे तो आपको सबसे बड़े बोर्ड पर भी भारत का पहला गांव माणा अंतिम दिखेगा।

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महाभारत काल से जुड़ी है कहानियां

कहा जाता है कि पांडव इसी गांव होते हुए स्वर्ग गए थे, आज भी लोग इसे स्वर्ग का मार्ग मानकर इस रास्ते से चले जाते हैं। कथा है कि स्वर्ग जाते समय जब पांडव माणा गांव पहुंचे तो यहां बहने वाली सरस्वती नदी से पांडवों ने रास्ता मांगा, रास्ता न मिलने पर भीम ने दो बड़ी शिलायें उठाकर नदी के ऊपर रखीं और पुल का निर्माण कर दिया।

इस पुल के रास्ते वे नदी को पार करते हुए आगे बढ़े. आज भी उस स्थान पर सरस्वती नदी बहती है जो आगे जाकर अलकनंदा में मिल जाती है। आज भी नदी पर शिलाओं का वो पुल बना हुआ है, इस पुल को ‘भीमपुल’ के नाम से जाना जाता है।

ऐसा है गांव का जीवन

इस गांव में रडंपा जाति के लोग रहते हैं। इस गांव के बारे में पहले लोग बहुत कम जानते थे लेकिन पक्की सड़कें और टूरिज्म के बढ़ावे के बाद हर कोई इसके बारे बारे में जानता है।

इस गांव की बात करें तो गांव में 60 मकान हैं और 400 लोगों की आबादी यहां रहती है, गांव में अधिकतर घर लकड़ियों से बना हुआ है।

बद्रीनाथ दर्शन करने वाले लोग आखिरी गांव माणा भी घूमने जरूर आते हैं। यहां ठंड भी अच्छी खासी देखने को मिलती है। बर्फ पड़ने की वजह से ये जगह बर्फ से ढकी रहती है, जिस वजह से यहां के स्थानीय लोग सर्दी शुरू होने से पहले नीचे स्थित चमोली जिले में चले जाते हैं।

इन सबके अलावा यहां गणेश गुफा, व्यास गुफा भी देखने लायक है. कहा जाता है कि इसी गुफा में बैठकर गणपति ने महाभारत लिखी थी. बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद यहां पर लोगों की आवाजाही बिल्कुल बंद हो जाती है।

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