खुल चुका है स्वर्ग सी सजी ‘फूलों की घाटी’ का दरवाजा, कभी नहीं भूल नहीं पाएंगे ट्रेक का जादू

फूल तो हम सभी देखते ही है, कही किसी पार्क में तो कई बार अपने घरों के गार्डन में। लेकिन इन सब जगहों पर ज्यादा से ज्यादा हम चार पांच या बीस-तीन अलग अलग तरह के फूलों को देखते है।

लेकिन क्या हो अगर आपको एक ही जगह पर दूर-दूर तक आपको रंग-बिरंगे फूल दिखाई दे, वो भी एक दो प्रकार नहीं बल्कि सैकड़ों अलग अलग तरह के फूल। जी हाँ, अगर आप एक बार भी इस जगह को देख लें तो तन और मन दोनों को एक अलग ही सुकून मिलेगा।

पर्यटकों के लिए खुला वैली ऑफ फ्लावर्स

हम जिस जगह के बारे में बात कर रहे है वह उत्तराखंड में स्थित है और इसे फूलों की घाटी के नाम से जाना जाता है, यह एक मशहूर ट्रेक है जो कुछ ही महीने के लिए खुलता है और हर साल यहाँ लाखों देश विदेश के पर्यटक पहुंचते है।

उत्तराखंड की यह जगह ‘वैली ऑफ फ्लावर’ कहते हैं। ये वैली चमोली क्षेत्र में पड़ती है, जो साल में केवल बार 3 से 4 महीने के लिए खुलती है। 87.50 वर्ग किमी में फैली फूलों की घाटी हर साल पर्यटकों के लिए एक जून से खोल दी जाती है और 31 अक्तूबर को बंद कर दी जाती है।

600 से अधिक प्रजाति के फूल

इस अवधि में यहां देश-विदेश से पर्यटक आकर घाटी की प्राकृतिक सुंदरता और करीब 600 प्रजाति के फूलों का दीदार करते हैं। यहां मुख्य रूप से ब्रह्मकमल, फेनकमल, ब्लूपॉपी, मारीसियस, मैरीगोल्ड, गोल्डन रॉड, जैस्मिन, रोवन, हेलमेट प्लावर, गोल्डन लीली सहित कई फूल खिलते हैं।

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रोचक है इसके खोजे जाने की कहानी

इस घाटी के खोजे जाने की कहानी भी काफी दिलचस्प है। ऐसा कहते है कि वनस्पति शास्त्री फ्रेक सिडनी स्माइथ जब कामेट पर्वतारोहण से वापस आ रहे थे, तो रास्ते में भटक गए, भटकते हुए वो फूलों की घाटी पहुंचे। यहाँ पहुंचने के बाद उनको जन्नत जैसी घाटी का दीदार हुआ।

उसके बाद फिर से साल 1937 में फ्रेक एडिनेबरा बाटनिकल गार्डन की तरफ से फिर से इस घाटी में आए और तीन महीने तक यहां रहे। उन्होंने वैली और फ्लावर्स पर एक किताब भी लिखी, इस तरह पूरे विश्व को इस घाटी के बारे में पता चला।

​कैसे पहुंचे फूलों की घाटी 

फूलों की घाटी पहुंचने के लिए आपको बद्रीनाथ हाइवे से गोविंदघाट तक जाना होगा। यहां से तीन किमी सड़क मार्ग से पुलना तक जाना है और 11 किमी की दूरी पर आपको पैदल ट्रेकिंग करनी होगी, जो हेमकुंड यात्रा के बेस कैंप से शुरू होकर घाघरिया तक जाएगी। यहां से तीन किमी की दूरी पर फूलों की घाटी स्थित है।

फूलों की घाटी जाने के लिए पर्यटकों को बेस कैंप घांघरिया से ही खाने का जरूरी समाना ले जाना होता है, क्योंकि वहां कोई दुकानें नहीं हैं। ध्यान रहे यहां जाने के लिए भारतीयों को 150 रुपए और विदेशियों को 600 रुपए रजिस्ट्रेशन फीस देनी पड़ती है।

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