नवरात्र में माता के दर्शन करने हैं? दिल्ली के करीब नदी किनारे, सुकून से भरी है ये बेहतरीन लोकेशन

WE and IHANA

नवरात्री शुरू होने में बस कुछ ही दिन बाकी हैं और नवरात्री में माता के दर्शन करना आखिर कौन नहीं चाहेगा। और अगर माता के दर्शनों के साथ आपको प्रकृति की गोद में कु˝छ सुकून भरा समय भी मिल जाये तो इसके तो क्या ही कहने….है ना ??

तो आज हम आपको एक ऐसी ही लोकेशन के बारे में बताने वाले हैं जहाँ आपको माता के बेहद प्राचीन मंदिर जहाँ सैंकड़ो वर्षो से निरंतर प्रज्वलित ज्वाला के साथ ज्वाल्पा देवी के दर्शनों का लाभ तो मिलेगा ही लेकिन इसके साथ ही मंदिर के किनारे कल-कल बहती नयार (नवालिका) नदी के पास बैठकर सुकून से कुछ कभी ना भूलने वाले पल बिताने का भी मौका मिलेगा

जी हाँ हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के पौड़ी से करीब 34 किलोमीटर दूर स्थित ज्वाल्पा देवी मंदिर की। तो चलिए ले चलते हैं आपको हमारी ज्वाल्पा देवी की यात्रा पर….

तो हम थे हमारी लैंसडौन की यात्रा पर और एक दिन हमने रखा था लैंसडौन से कुछ दूर पास की कुछ अमेजिंग लोकेशन को विजिट करने के लिए। कुछ रिसर्च में हमें इस मंदिर के बारे में पता लगा और माता के दर्शनों के महत्त्व के साथ मंदिर की खूबसूरत लोकेशन को देखकर हम बस निकल गए ज्वाल्पा देवी मंदिर की यात्रा पर।

लैंसडौन से पूरी जाते वक़्त हम पहले सतपुली से गुजरे और यहाँ से बहती नदी का नज़ारा सच में सारी थकान गायब करने के लिए काफी था। यहीं से हमारे एक तरफ बहती खबसूरत नदी, घने बादल और हरे भरे पहाड़ो के साथ एक शानदार सफर की शुरुआत हो चुकी थी

यहाँ से करीब 20 किलोमीटर के सफर के बाद हम पहुंच गए ज्वाल्पा देवी मंदिर जिसके लिए आपको हाईवे से अलग कहीं नहीं जाना पड़ता है और मंदिर का मैन गेट आपको हाईवे पर ही दिख जाता है और साथ में दिखती है प्रसाद आदि की कुछ दुकाने।

बस फिर प्रसाद लेकर हम इस द्वार के अंदर गए, वहां कुछ दूर नीचे जाने के बाद हमें नदी के पानी की आवाज़ के साथ कुछ अद्भुत नज़ारे भी दिखने लगे। किसी ने सच ही कहा है की इस धरती पर अनगिनत म्यूजिक उपलब्ध हैं बस उन्हें सुनने वाला होना चाहिए। बस इन्ही नज़ारों और नदी के मधुर संगीत के साथ हम सीढ़ियों से मंदिर की ओर जा रहे थे।


करीब 150-200 सीढ़ियां नीचे उतरकर हम मंदिर के गेट पर पहुंचे जहाँ से हमें बगल में बहती नयार नदी सच में बेहद खूबसूरत दिख रही थी। हम पहले मंदिर गए और वहां अखंड ज्योति और ज्वाल्पा माता के दर्शन किये।

फिर हम मंदिर के दूसरी और गए जहाँ गेट पर शिवालय की और जाने का रास्ता लिखा हुआ था। वहां हमने प्राचीन शिवालय,शनिदेव,माँ काली और हनुमान जी के दर्शन किए। यहाँ सामने की ओर बहती नदी देखकर हमारी बेटी इहाना की खुशी का ठिकाना नहीं था और वह हमें बार-बार नदी की ओर चलने के लिए कह रही थी

वहां हमें पंडित जी ने मंदिर के महत्त्व के बारे में बताया।

मंदिर की पौराणिक कथा:

उन्होंने हमें बताया की सतयुग में दैत्यराज पुलोम की पुत्री सुची ने देवों के राजा देवराज इंद्रा को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए यहीं नयार नदी के किनारे घोर तप किया था और तभी सुची की तपस्या से प्रसन्न होकर माँ भगवती ने उन्हें ज्वाला रूप में दर्शन दिए थे और उनकी मनोकामना पूर्ण होने का वरदान भी दिया। क्योंकि माँ ने सुची को यहाँ ज्वाला रूप में दर्शन दिए थे इसीलिए इस स्थान का नाम ज्वाल्पा देवी पड़ा।

यहाँ माता पार्वती ने सुची को ज्वाला रूप में दर्शन किये थे और इसीलिए तब से निरंतर अखंड ज्वाला दीपक के रूप में यहाँ हमेशा प्रज्वलित रहती है। और इस परंपरा को जारी रखने के लिए तब से ही आस पास के गाँवों में उगाई गयी सरसो से तेल की व्यवस्था भी की जाती है।

उसके बाद हम नदी के घाट की ओर गए और यहाँ बेहद तेज़ वेग से बहती नवालिका नदी को देखकर सच में मन में एक अलग ही एहसास हो रहा था जो शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।

नदी का एकदम स्वच्छ और शीतल जल, जब आपके शरीर को छूता है तो इससे आपके पूरे शरीर में एक नयी ऊर्जा का जन्म होता है। आखिर क्यों ना हो, हमारा शरीर जिन पांच तत्वों से बना है उनमें से एक जल ही तो है। यहाँ नदी के बेहतरीन नज़ारों के साथ सामने की और दिख रहा पहाड़ी जंगल इस लोकेशन की खूबसूरती कई गुना बढ़ा रहा था। हम बस वहां कुछ देर ऐसे ही बैठे रहे और साथ में कुछ अनमोल पलों को अपनी यादों के साथ अपने कैमरे में हमेशा के लिए कैद कर लिया। 

तो अगर आप दिल्ली के करीब हैं और नवरात्री में कोई ऐसी ही लोकेशन तलाश कर रहे हैं तो आप बिना किसी दूसरे विचार के यहाँ जाने का प्लान बना सकते हैं। अगर आप इसके बारे में ज्यादा जानकारी चाहते हैं तो आप हमारे Youtube चैनल WE and IHANA  पर भी नीचे दिए गए लिंक के द्वारा जा सकते हैं:

YouTube Channel Link:

https://youtube.com/c/WEandIHANA

इसके साथ ही आपको हमारे चैनल पर ऐसी ही बहुत सारी लोकेशंस के बारे में भी जानकारी मिल जाएगी।

ज्वाल्पा देवी मंदिर कैसे पहुंचे ?

आप यहाँ आने के लिए रेल या सड़क मार्ग द्वारा उत्तराखंड के कोटद्वार शहर पहुँच सकते हैं और कोटद्वार से कैब या टैक्सी लेकर आप आसानी से करीब 70 किलोमीटर दूर ज्वाल्पा देवी मंदिर पहुँच सकते हैं। अगर आप हवाई मार्ग से आना चाहते हैं तो सबसे नजदीकी एयरपोर्ट देहरादून पहुंचकर आप बस से कोटद्वार या पौड़ी पहुंच सकते हैं। 

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