वैसे तो उत्तराखंड की हर एक जगह टूरिस्ट के हिसाब से बहोत ही खास है लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसी झीलों के बारे में बारे में बताने जा रहे हैं जो समुद्र तल से काफी ऊंचाई पर स्थित हैं। इन माउंटेन झीलों के बारे में अपने शायद ही सुना होगा। तो चलिए अपनी लिस्ट को शुरू करते है –
रूपकुंड लेक (Roopkund Lake)
उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले, मे समुद्र तल से लगभग 5,000 मीटर, की ऊंचाई पर रूपकुंड झील है।
एक सौ तीस फीट चौड़ी यह झील वर्ष के अधिकांश समय, बर्फीली घाटी में एक अकेला ठंडा जमा हुआ तालाब होती है। लेकिन गर्म दिनों में, बर्फ पिघलते ही, यह सैकड़ों खोपड़ीयां और हड्डियां तैरने लगती है यह एक भयानक दृश्य बन जाता है। जो कि कंकाल झील के रूप में जाना जाता है। यह एक वीरान जगह है और इसमें 500 से अधिक मानव कंकाल हैं। अब यह पर्यटकों का एक मनपसंद पॉइंट बन गया है।
वर्षों से, विभिन्न सिद्धांत यह बताने के लिए सामने आए हैं कि यह कंकाल किस से संबंधित हो सकते हैं, साथ ही कब और कैसे यह इस झील मे पहुंच गए। और कब यह रूपकुंड झील से “कंकाल झील” बन गयी। परन्तु कंकाल झील का रहस्य वैसे ही बना हुआ है।
केदार ताल (Kedar Tal)
उच्च हिमालय के क्षेत्र में यह अलौकिक झील प्रकृति की अद्भुत संरचना है, निर्मल नीले जल वाली केदार ताल झील के बारे में जनश्रुति है कि समुद्र मंथन से निकले विष को पीने के बाद भगवान शिव ने अपने कंठ की भीषण ज्वाला को केदार ताल का जल पीकर ही शांत किया था। लोग इसे ‘अछराओं का ताल’ भी कहते हैं।
केदार ताल से थलयासागर चोटी को आसानी से देखा जा सकता है, गंगोत्री से तीस कि.मी. दुर्गम हिम शिखरों में केदार ताल झील अपने दिव्य सौंदर्य के लिए विख्यात है।
हेमकुंड झील (Hemkund Lake)
हेमकुंड झील को पवित्र झील माना जाता है, जो वर्ष के 8 महीनों जमा रहता है।
मान्यताओं के अनुसार, सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने इस झील के किनारे तप किया था, ऐसे में इस झील को धार्मिक रूप से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। यह भी माना जाता है कि इस पवित्र जगह में मेधासा के साथ अन्य प्रचारकों की ने भी तप किया है।
सातताल झील (Satpal)
सात झीलों का एक समूह सुनने में आपको जितना मनोरम लग रहा है शायद देखने में उससे भी अधिक। हालाँकि इन सातों में से कुछ झीलें अब सूख चुकी हैं लेकिन यहां पर पक्षियों की आवाज आपको भी मंत्रंमुग्ध कर सकती है।
नैनीताल से 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस स्थान की तुलना इग्लैंड के वैस्ट्मोरलैण्ड से की जाती है । सातताल पहुंचने पर सर्वप्रथम झील नल दम्यंती ताल के रूप में मिलती है । आगे बढ़ने पर एक अमेरिकी मिशनरी स्टैनले जॉन्स का आश्रम है। आगे की झील पन्ना या गरुड झील है। जैसे हम नीचे जाते हैं, वहां तीन झीलों का एक समूह है, इन झीलों को राम, लक्ष्मण और सीता झील के रूप में जाना जाता हैं।
देव ताल (Deo Taal)
उत्तराखंड के गढ़वाल जिले में स्थित देवताल झील को देवताओं के ताल के नाम से जाना जाता है, ऐसी मान्यता है कि यहाँ देवता स्नान करते थे।
यह जगह माना पास के जीरो पॉइंट से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर है. यह ताल चारों तरफ से बर्फ के पहाड़ों से घिरा हुआ है।