दोस्ती की निशानी है ये खूबसूरत महल, 400 सालों में सिर्फ एक दिन के लिए हुआ इस्तेमाल

भारत शुरुआत से ही वास्तुकला की रचनाओं को अपने अंदर समेटे है, जिसकी झलक यहां की प्राचीन धरोहरों में साफ़ देखने को मिलती है। ऐसी ही एक धरोहर मध्य प्रदेश के ग्वालियर में है जिसका नाम दतिया महल है।

दतिया महल (Datia Mahal) इस राज्य के ऐतिहासिक ज़िले में अपने गौरवशाली अतीत को संजोए क़रीब 400 सालों से अडिग खड़ा है। दतिया महल को बीर सिंह महल या बीरसिंह देव महल भी कहा जाता है।

image: Apoorv Kaushik

महल की खास बात यह है कि 400 सालों में ये महल में सिर्फ़ 1 रात के लिए उपयोग किया गया था, इमारत में उकेरी गई अद्भुत कला की छवि का दीदार करने कई पर्यटक हर साल यहां आते हैं।

image: Gagan Suryavanshi

यह महल मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर से लगभग 75 किमी दूर स्थित है, दूर से देखने पर यह महल किसी इमारत की तरह नजर आता है।  यह राजा वीरसिंह देव द्वारा निर्मित सभी 52 महलों में से सबसे बड़ा और सबसे प्रसिद्ध है और इसे आसानी से दूर से भी देखा जा सकता है।

इतिहासकारों के अनुसार बुंदेलखंड में दतिया साम्राज्य के संस्थापक महाराज वीरसिंह देव ने देश भर में ऐसे 52 स्मारक बनवाए थे। इसे पुराण महल भी कहा जाता है।

 

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यह महल लगभग 80 मीटर लंबा है और इसे काफी मजबूत माना जाता है। महल के निर्माण में नौ साल और 35 लाख रुपये की लागत आई थी। यह राजपूत वास्तुकला के साथ मुगल वास्तुकला का प्रतिनिधित्व करती है। यहां पहुंचकर मां पीतांबरा के दर्शन भी किए जा सकते हैं।

इस ऐतिहासिक महल को विशेष रूप से राजा बीर सिंह देव द्वारा मुगल सम्राट जहांगीर के स्वागत के लिए बनाया गया था। ऐतिहासिक अभिलेख बताते हैं कि वो जहांगीर ही था, जिसने बीर सिंह देव को दतिया का शासक बनाया।

 

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उन्होंने अपने पूरे जीवन में बीर सिंह के साथ अपनी अच्छी दोस्ती निभाई, इसलिए यह किला बीर सिंह देव और जहांगीर की दोस्ती का गवाह है। कहने को दतिया बहुत छोटी जगह है, लेकिन यहां का मशहूर ऐतिहासिक किला देशी और विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

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