राजस्थान के इस गांव को नहीं देखा तो क्या देखा! राजस्थान की संस्कृति का शानदार समागम

राजस्थान की संस्कृति और वहाँ का रहन सहन भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी खूब प्रचलित है, और हर साल लाखों देश-विदेश के यात्री राजस्थान घूमने के लिए आते है और वहाँ की संस्कृति को करीब से समझते है।
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ऐसे में अगर आपको भी राजस्थान कल्चर को फील करना है तो आज का यह पोस्ट आपके लिए ही है, आज हम राजस्थान के संस्कृति को प्रदर्शित करने वाले चोखी ढाणी के बारे में बात करेंगे –
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घूमने का असला मजा तो गांव की पगडंडियों पर ही आता है लेकिन अपने शहर से दूर राजस्थान के गांव में घूमने का सपना अधूरा न रह जाए इसके लिए आपको चोखी ढाणी जरूर जाना चाहिए।
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चोखी ढाणी राजस्थान की संस्कृति और विरासत को प्रदर्शित करता है, चोखी ढाणी का मतलब होता है “अच्छा गांव”। यहां प्राचीन कलाकृतियों, हस्तशिल्प, चित्रकारी, लोक कथाओं और मूर्तियों के साथ पारंपरिक राजस्थान का वास्तविक चित्रण देखने को मिलता है।
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चोखी ढाणी में जाने से आपको ऐसा लगेगा जैसे आप किसी गांव को विजिट कर रहे हैं, राजस्थानी अंदाज में आपका स्वागत, चारपाई पर लेटने का आनंद, लोक गीत और लोक नृत्य का अनोखा संगम ये सब कुछ आपको यहाँ देखने को मिलता है।
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इतना ही नहीं अगर आप राजस्थान के व्यंजनों का आनंद लेना चाहते हैं तो चोखी ढाणी बेस्ट जगह है, आप यहां की थाली में राजस्थान की मशहूर सारी डिशेज परोसी जाती हैं।
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आपको बता दे कि चोखी ढाणी के लिए आपको राजस्थान जाने कि जरूरत नहीं है। जयपुर और जैसलमेर के अलावे भी चोखी ढाणी भारत के कई राज्य में मौजूद है। सोनीपत और नोएडा जैसी जगहों पर भी चोखी ढाणी है साथ ही कई अन्य देशों में भी इसके सेंटर है।