राजस्थान का विश्व पर्यटन में एक विशेष स्थान है। यहाँ की संस्कृति के साथ यहाँ मौजूद प्राचीन व पारम्परिक खूबसूरत जगहें सभी का न सिर्फ मन मोह लेती है बल्कि अनेक बार आश्चर्यचकित भी कर देती हैं। अपने पुराने किलों और महलों की खूबसूरती और उनके साथ जुड़ी अनेक रोचक कहानियों के साथ ही इन्ही प्राचीन इमारतों से जुड़ी कुछ डरावनी कहानियां भी हैं जैसे की राजस्थान में राजधानी जयपुर के पास ही मौजूद भानगढ़ किला, दुनिया में सबसे डरावनी जगह के तौर पर भी जानी जाती है।
आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने वाले हैं जो विश्व में अपने आप में सबसे पुरानी मौजूदा बावड़ी और सबसे गहरी बावड़ी तो है ही साथ ही इससे जुड़ी कुछ किस्से कहानियाँ और कुछ मौजूदा समय में महसूस किये हुए अनोखे किस्से हर किसी को अचंभित कर देते हैं।
जी हाँ हम बात कर रहे हैं राजस्थान के दौसा जिले में मौजूद चाँद बावड़ी की जो पर्यटन की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है और साथ ही भूल भुलैया जैसी कई बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग लोकेशन भी रह चुकी है।
यह बावड़ी 8वीं और 9वीं सदी के बीच बनायीं गयी थी और आप सभी समझ सकते हैं की उस समय बिना किसी आधुनिक उपकरणों के इतनी गहरी और एक अनोखी बावड़ी बनाना कितने अंचभे की बात है। सच में उस ज़माने के वास्तुकारों को सलाम जिन्होंने ये नामुमकिन सा काम किया है।
इस बावड़ी में कुल 13 मंजिले हैं और कुल सीढिया 3500 बताई जाती है। इसकी गहराई करीब 30 मीटर बताई जाती है जो अपने आप में एक बहुत बड़ा अंक है। लेकिन अभी तक हमने आपको वो बात नहीं बताई है जो यहाँ की सबसे रोचक कहानी से जुड़ी है।
उस वक़्त ऐसी बावड़ी का निर्माण वैसे ही बेहद मुश्किल होगा ये तो हम समझ सकते हैं लेकिन वहां के लोगों द्वारा जो बात हमें पता चली वो सच में आप को गहरी सोच में डाल देगी। लोगों का मानना है की ये बावड़ी सिर्फ एक रात में बनायीं गयी थी ! क्या ?? ऐसा कैसे हो सकता है…..??? हमारी तरह आप भी यही सोच रहे होंगे, है ना ?? लेकिन हाँ आपने सही पढ़ा, लोग बताते हैं की इसका निर्माण किसी जिन्न ने किया था और इसके लिए सिर्फ एक रात का वक़्त लगा था।
और अभी तक इसके रहस्य की बाते पूरी नहीं हुई है। ये भी कहा जाता है की इस बावड़ी में जिन सीढ़ियों से आप नीचे की और जायेंगे आप उन सीढ़ियों से चाहकर भी वापस नहीं आ पाएंगे। अब इस बात में कितनी सच्चाई है ये तो एक विचार-विमर्श का विषय है लेकिन यहाँ के प्रत्यक्षदर्शियों का तो ये ही कहना है। लेकिन अब प्रशासन ने इस बावड़ी के चारों और जाली लगवा दी है तो इसके अंदर जाना तो मुमकिन है नहीं लेकिन वहां मौजूद एक अलग सी शांति और बहुत सारे चमकादडों का वहां होना कुछ अलग सा एहसास तो करता ही है।
अब ये एक हॉंटेड प्लेस हो या ना हो लेकिन जब भी आप यहाँ जायेंगे तो आप इसकी अनोखी वास्तुकला के कायल तो हो ही जायेंगे।
साथ ही आपको बता दें की यहाँ बावड़ी के बेहद पास ही मौजूद है एक बेहद प्राचीन हर्षत माता का मंदिर भी है जिसे पुरातत्व विभाग के अनुसार 8वीं शताब्दी में बनाया गया था लेकिन बाद में विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा इसे नष्ट करने के लिए हमले किये जिससे इस विशाल मंदिर का कुछ हिस्सा ही आज हम देख सकते हैं।
इस मंदिर के उत्खनित पत्थरों को अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा चाँद बावड़ी के गलियारे में रखा गया है जिसे आप नीचे दी हुई फोटो में देख सकते हैं और साथ ही मंदिर में भी आपको बहुत सारे उत्खनित पत्थर दिख जायेंगे। इतने प्राचीन होने के साथ ही इस मंदिर की वास्तुकला देखने भी कई देशी विदेशी पर्यटक राजस्थान के दौसा जिले में इस आभानेरी कस्बे में आते हैं।
इस मंदिर का इतिहास आप ऊपर दिए हुए फोटो में भी पढ़ सकते हैं।
चाँद बावड़ी जाने का समय और टिकट:
चाँद बावड़ी में प्रवेश टिकट भारतीयों के लिए 25 रुपये और विदेशी पर्यटकों के लिए 300 रुपये का है और यहाँ प्रवेश सुबह 8 बजे से शाम को 6 बजे तक रहता है।
यहाँ कैसे पहुंचे ?
हवाई मार्ग द्वारा:
यहाँ से निकटतम एयरपोर्ट राजस्थान की राजधानी जयपुर का है जो देश के साथ विदेशों के भी अनेक मुख्य शहरों से हवाई मार्ग द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। जयपुर से चाँद बावड़ी महज 90 किलोमीटर दूर है जिसके लिए आप जयपुर से टैक्सी वगैरह ले सकते हैं।
सड़क मार्ग द्वारा:
जैसा की हमने बताया की आप पहले जयपुर पहुंच सकते हैं और फिर वहां से कैब वगैरह करके आप डायरेक्ट चाँद बावड़ी पहुँच सकते हैं।
रेल मार्ग द्वारा:
निकटतम रेलवे स्टेशन दौसा और बांदीकुई है लेकिन अगर आप सबसे अच्छी कनेक्टिविटी की बात करें तो आप जयपुर रेलवे स्टेशन ही आ सकते हैं और फिर वहां से आप आसानी से टैक्सी या कैब के द्वारा यहाँ पहुँच सकते हैं।