उत्तर प्रदेश राज्य की राजधानी लखनऊ से लगभग 110 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हरदोई जिला अपने गौरवशाली इतिहास और पौराणिक कथाओ के लिये जाना जाता है। साथ ही इस शहर में कई धार्मिक और एतिहासिक स्थल भी है, इसके अलावा शहर में एक पक्षी अभ्यारण्य भी है जो इस शहर के पर्यटन के महत्त्व को बढाता है। कहा जाता है कि इस शहर में दो के अवतार हुये थे, एक नरसिंह भगवान और दूसरा वामन अवतार। और इसलिए इस शहर को हरिद्रोही और हरिदवेई के नामो से भी जाना जाता है।
हरदोई में घूमने की जगह। Places to visit in Hardoi
श्री बाबा मन्दिर
हरदोई जिला के प्राचीन मंदिरों में से एक श्री बाबा मन्दिर है जो कि शहर के बीचों बीच स्थित हैं। यह मंदिर इतना प्रसिद्ध है कि इस शहर का बच्चा-बच्चा बाबा मन्दिर के नाम से वाकिफ है। साथ ही यहां निवास करने वाले लोगों में भी इस मंदिर में अत्यंत आस्था है, हरदोई सिटी में जब भी कोई नया वाहन खरीदतता है तो सबसे पहले श्री बाबा मन्दिर जाकर वहां प्रसाद जरूर चढ़ाता है। इसके अलावा यहां नवविवाहित जोड़ा भी दर्शन के लिए यहां ज़रूर आते है।

राजा नरपति सिंह स्मारक रुइयागढ़ी माधोगंज
हरदोई शहर के पास एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है राजा नरपति सिंह का स्मारक। वैसे तो यहाँ कुछ खास घूमने के लिए नहीं है, लेकिन यहां बस एक स्मारक बना हुआ है जो कि घुमक्कड़ी इतिहास को देखना चाहता है उसके लिए यह एक गाँव महत्वपूर्ण है। क्यूंकि यह गाँव महान स्वंत्रतता सेनानी राजा नरपति सिंह ही की जन्म स्थली थी , और राजा नरपति सिंह ने अपनी कुशलता और बहादुरी के चलते अंग्रेजो की बड़ी फ़ौज को हरा दिया था।

घंटा घर , विक्टोरिया हाल
यह पर्यटन स्थल एक बहुत सुन्दर ईमारत है, जिसमे एक बड़ी घड़ी लगी हुई है हालाँकि अब यह घडी तो बंद है लेकिन इस ईमारत की भव्यता तो देखते ही बनती है। यह घंटा घर क्लॉक टावर हरदोई शहर की एक पहचान है। यह घड़ी साल 1960 तक काम करती थी और इसमें जो घंटियाँ लगी हुई थी उनकी आवाज 4-5 मील तक सुनाई जाती थी , इसे विक्टोरिया हाल के नाम से भी कहा जाता है।

नवाब दलेर खां का मकबरा शाहाबाद
यह ऐतिहासिक पर्यटन स्थल हरदोई शहर से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसे शाहजहाँ ने शाहजहांपुर में विद्रोह करने के लिए भेजा था, और इसी दलेर खां ने शाहाबाद की स्थापना कर दी थी , अब दलेर खां का मकबरा तो मौजूद नहीं है लेकिन फिर भी इसके अवशेष आज भी शाहाबाद में मौजूद है जो की दो भव्य प्रवेश द्वार है। ऐसा कहा जाता है कि नवाब दलेर खा एक अफगानी था।

सांडी पक्षी अभयारण्य
हरदोई शहर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह सांडी पक्षी विहार चिड़ियों की चहचहाहट और अपनी प्राकृतिक सुन्दरता के लिये जाना जाता है। इस अभ्यारण को डेहर झेल के नाम से भी जाना जाता है। यह विहार करीब 3 वर्ग किलोमीटर झील के रूप में फैला हुआ बहुत सुन्दर स्थान है।

धोबिया आश्रम पिहानी
यह स्थान हरदोई जिले से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। और यह स्थान प्राकृतिक जल स्त्रोत के लिए जाना जाता है। इसके पीछे महाभारत काल की पौराणिक कथा भी है।

श्रवण देवी मंदिर और प्रहलाद कुण्ड
हरदोई शहर का श्रवण देवी मंदिर भी एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यहाँ पर एक प्रहलाद कुण्ड और एक यज्ञशाला भी है। यह वही स्थान है जहाँ पर हिरण्यकश्यप की बहन होलिका प्रहलाद को लेकर जलती हुई आग में बैठी थी। और यह पूरा स्थान बहुत ही सुन्दर है।

हत्याहरण तीर्थ संडीला
हरदोई शहर से करीब 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हत्याहरण तीर्थ है जो कि संडीला तहसील में आता है। यह एक बहुत पवित्र स्थान है यहाँ के बारे में पौराणिक कथा यह है कि जब श्रीराम ने रावण का वध किया था तो रावण के ब्राम्हण होने के कारण भगवान श्री राम जी पर ब्रम्हहत्या का दोष लग गया था। इसी दोष से मुक्त होने के लिए भगवान राम ने इसी स्थल पर स्थित सरोवर में स्नान किया था तभी से यह पावन स्थल हत्या हरण तीर्थ नाम से जाना जाने लगा।

शिव संकट हरण मन्दिर सकाहा हरदोई
सकाहा नाम के गांव में स्थित शिव संकट हरण मंदिर हरदोई शहर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर है। यह एक बहुत ही प्राचीन मन्दिर है, इस मंदिर में अक्सर सावन के महीने में बहुत ही भरी भीड़ होती हैं, और यहाँ दर्शन करने के लिए दूर दूर से भोले बाबा के भक्त आते है। ऐसी मान्यता है कि यहाँ भोलेनाथ अपने हर भक्त का संकट हर लेते है और तभी इस मंदिर का नाम संकट हरण मंदिर है। इस मंदिर में एक बड़ा सा शिवलिंग है, जिसके दर्शन कर सकते है।

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