दिल्ली के करीब एक बेहद खूबसूरत सफर के साथ एक अद्भुत शांति और सुकून से भरी है ये छिपी हुई जगह!

WE and IHANA

भारत देश में हिल स्टेशन की कोई कमी नहीं है और अगर दिल्ली के पास की हिल स्टेशन की बात करें तो इनकी भी कमी नहीं है। सिर्फ उत्तराखंड और हिमाचल में ही काफी सरे पहाड़ी पर्यटन स्थल आपको मिल जायेंगे और अगर पास दिल्ली के बेहद पास हिल स्टेशन की बात करें तो मसूरी, नैनीताल, शिमला जैसे हिल स्टेशन के नाम याद आते हैं।

लेकिन क्या आपने लैंसडाउन का नाम सुना है? अगर नहीं सुना तो कोई बड़ी बात नहीं है क्योंकि ये इतना खूबसूरत पर्यटन स्थल अभी तक अधिकतर पर्यटकों की नज़रों से दूर है और यही एक बड़ी वजह भी है की यहाँ की प्राकृतिक खूबसूरती अभी भी बेहद शानदार और एकदम अनछूही है। और आज हम आपको बताने वाले हैं लैंसडौन के पर्यटन स्थलों में से एक ऐसी जगह के बारे में जो अपने आप में अनोखी है।

जहाँ जाकर आपका मन बेहद सुकून और असीम शांति से भर जायेगा जिसके लिए अधिकतर लोग घूमने निकलते हैं। हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में स्थित ताड़केश्वर महादेव मंदिर की जो की लैंसडाउन हिल स्टेशन से करीब 35 किलोमीटर दूर है।

यहाँ पहुंचने के बाद तो आप इस जगह की खूबसूरती के कायल हो ही जाएंगे लेकिन लैंसडाउन से यहाँ तक का सफर भी बेहद खूबसूरत प्राकर्तिक नज़ारों से भरा हुआ है और अगर आप मानसून में या उसके बाद यहाँ जा रहे हैं तो सच में ये सफर आप अपने जीवन में कभी नहीं भूल पाएंगे जैसा की हमारे साथ हुआ….

इस सफर में लैंसडाउन से कुछ दूर चलने के बाद हमें कुछ बेहतरीन नज़ारे दिखने लगे और हम बार-बार बादलों के बीच से निकल रहे थे। घनी हरियाली वाले पहाड़ों को जब बार-बार घने बादल अपने आगोश में लेकर मानो लुका-छिपी खेल रहे थे, वो नज़ारे आज भी ज्यों के त्यों हमारे दिमाग में कुछ खूबसूरत यादों की तरह छपे हुए हैं।

कुछ देर बाद हम ताड़केश्वर धाम पहुँच गए और अक्टूबर के महीने की शुरुआत थी लेकिन यहाँ ठण्ड का स्तर मैदानी इलाकों की दिसंबर की शुरुआत जैसा था। पार्किंग के लिए काफी जगह थी जिसका कोई चार्ज भी नहीं था। कार पार्क करके हम धाम के प्रवेश द्वार की तरफ गए।

यहाँ से चारों और हमें केदार और देवदार के अनगिनत वृक्ष दिखे और ये नज़ारा सच में बेहद अद्भुत था। इन विशाल वृक्षों से टकराकर इस हवा की मधुर आवाज़ सच में प्राकर्तिक संगीत की शक्ति हमें महसूस करवा रही थी। किसी ने सच ही कहा है की इस धरती पर अनगिनत प्राकर्तिक संगीत मौजूद हैं बस उन्हें सुनने वाला होना चाहिए। 

मंदिर तक पहुंचने के लिए एक आसान सा 15 मिनट का ट्रेक आपको करना पड़ता है और यहाँ हमें घोड़े या पिट्ठू जैसी कोई व्यवस्था नहीं दिखी लेकिन ये ट्रेक आप आसानी से कर सकते हैं। मंदिर के पास पहुँचने पर हमें यहाँ चलती ताज़ी हवाओं और उनसे बजती यहाँ मौजूद ढेरों घंटियों की आवाज़ सच में एक अनूठी शांति का एहसास करवा रही थी।

यह मंदिर समुद्रतल से करीब 1900 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और ये उत्तराखंड के बेहद प्राचीन और पवित्र स्थलों में से एक है जिसे महादेव शिव को समर्पित सिद्धपीठों में से एक माना जाता है। कुछ देर बाद हमें चारों और बेहद ऊँचे पेड़ों से घिरे ताड़केश्वर धाम मंदिर के दर्शन हुए और इसे देखते ही हमें इस मंदिर की पवित्रता का एहसास हो गया।

धार्मिक दृष्टि से तो इस स्थान का बहुत महत्त्व है ही लेकिन अगर आप सिर्फ सुकून लेने और घूमने के लिए भी एक परफेक्ट जगह ढूंढ रहे हैं तो भी ये जगह आपको बिलकुल निराश नहीं करेगी। मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार से सैंकड़ों घंटिया लगी हुई है जिसे यहाँ भक्त अपनी मन्नत पूरी होने पर चढ़ाते हैं।

इस मंदिर परिसर में अगर आप इन ताज़ी हवाओं, घंटियों के मधुर आवाज़ों और इस अद्भुत शांति भरे वातावरण में कुछ समय भी बिता लेंगे तो यकीन मानिये आपका यहाँ से जाने का मन बिलकुल नहीं करेगा।

त्रिशूल रूपी वृक्ष

वहां एक त्रिशूल रूपी देवदार का वृक्ष भी है जो की बेहद खूबसूरत दिखता है और साथ ही धार्मिक दृष्टि से भी इसका बेहद महत्त्व है।

ताड़केश्वर महादेव की महिमा:

यह ताड़केश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और अगर आप इस स्थान की महिमा जानना चाहते हैं तो नीचे दी हुई फोटो जो की वहां लगे हुए एक बोर्ड की है, उसमें पढ़ सकते हैं।

अगर आप इस स्थान के बारे में ज्यादा जानकारी चाहते हैं या फिर ऐसी ही और भी कई बेहद खूबसूरत पर्यटन स्थलों के बारे में जानना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके हमारे Youtube चैनल WE and IHANA  पर जरूर जाएँ।

यूट्यूब चैनल लिंक:

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ताड़केश्वर महादेव मन्दिर कैसे पहुँचे:

यहाँ पहुंचने के लिए अगर आप सड़क या रेल मार्ग से आना चाहते हैं तो पहले आप उत्तराखंड के कोटद्वार पहुंच सकते हैं जो की देश के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है और दिल्ली से करीब 240 किलोमीटर दूर है।

कोटद्वार से ताड़केश्वर धाम सिर्फ 40 किलोमीटर दूर है जिसके लिए आप कोटद्वार से या फिर लैंसडाउन से आसानी से टैक्सी वगैरह लेकर इस पवित्र धाम तक पहुँच सकते हैं। और अगर हवाई मार्ग की बात करें तो सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जौलीग्राँट एयरपोर्ट,देहरादून है जो की लैंसडाउन से करीब 150 किलोमीटर दूर है।

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