प्रेम के प्रतिक की जब भी बात होती है जुबां पर ताजमहल का नाम सबसे पहले आता है लेकिन मथुरा के वृंदावन का प्रेम मंदिर आगरा के ताजमहल जैसा ही प्रेम का प्रतीक। भारत के साथ साथ यह मंदिर पूरे विश्व में काफी प्रसिद्ध है जहाँ विदेशी सैलानी भी खूब पहुंचते है।
इस मंदिर की सुंदरता हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देती है, यहाँ की शांति और भव्य कारीगरी के बारे में बताने पर शब्द कम पड़ जाए। तो आइये आज हम आपको इस प्रेम मंदिर की कुछ रोचक तथ्यों से रूबरू कराते है जिसके बारे में आप सुनकर शायद एक बार यहां आने पर मजूबर हो जाएं –
वृंदावन का ये प्रेम मंदिर भगवान श्री कृष्ण – राधा और राम-सीता को समर्पित है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस भव्य मंदिर की संरचना पांचवें जगदगुरु कृपालु महाराज द्वारा स्थापित की गई थी. मंदिर पूरे एक हजार मजदूरों द्वारा 11 सालों में बनाकर तैयार किया गया था। साल 2001 में इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ था, मंदिर का निर्माण भारत नहीं बल्कि निर्माण इटली से मंगवाए गए संगमरमर के पत्थरों से किया गया है।
साल में दो ऐसे अवसर आते है जब इस मंदिर की सुंदरता और भव्यता देखने बनती है, होली और दिवाली। इस प्रेम मंदिर में 94 कलामंडित स्तंभ हैं, जो किंकिरी और मंजरी सखियों के विग्रह को दर्शाते हैं। इसके अलावा मंदिर की सतरंगी रोशनी भी भक्तों को काफी आकर्षित करती हैं। स्पेशल लाइटिंग की वजह से मंदिर अलग अलग रंगों में दिखाई देता है।
इस मंदिर का मुख्य आकर्षण श्री कृष्ण की मनोहर झांकियां और सीता-राम का खूबसूरत फूल बंगला है. मंदिर में फव्वारे, श्रीकृष्ण और राधा की मनोहर झांकियां, श्रीगोवर्धन धारणलीला, कालिया नाग दमनलीला, झूलन लीलाएं बहुत ही खूबसूरत ढंग से दर्शाई गई है।