बीहड़ के बीच धरोहर! नमक के मैदान पर भी बिखरी मिलेगी खूबसूरती
यह देहाती, सुंदर और आकर्षक, शांति और रोमांच की तलाश करने वाले लोगों के लिए गुजरात में एक लोकप्रिय सप्ताहांत का द्वार है। इस तरह के अनोखे भौगोलिक स्थान के साथ, यह पृथ्वी पर स्वर्ग के समान है। भारत की सबसे पुरानी सभ्यता को जानना हो तो इससे बेहतरीन जगह और कोई नहीं हो सकती है।
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भुज जिले से 250 किमी की दूरी पर स्थित, गुजरात के कच्छ के महान रण में खदिर बेट के पास, धोलावीरा एक प्राचीन शहर है। जिसमें हमे सिंधु घाटी सभ्यता के आकर्षक और ऐतिहासिक खंडहर देखने को मिलते हैं। जिस वजह से विश्व भर से पर्यटक यहाँ प्राचीन कला के बारे में जानने के लिए आते है।
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इसका रास्ता पानी के बीच में से होकर गुजरता है, इसलिए आस-पास के नज़ारे काफी मनमोहक होते है। यहाँ चारो तरफ आपको बस पानी ही पानी नजर आएगा।
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सिंधु घाटी के विषय में यह शहर महत्वपूर्ण है क्योंकि खुदाई में सात परतों का प्रमाण मिला है, जो 1500 वर्षों की अवधि में कई बस्तियों को दर्शाता है। धोलावीरा का सबसे दिलचस्प पहलू शिलालेख है, जो यहाँ की खासियत को बढ़ाता है।
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यहाँ आपको किसी प्रकार का प्रवेश शुल्क नहीं देना होता है, यह सुबह 6 बजे से रात को 8 बजे तक खुला रहता है।
यदि आप यहाँ आने का मैं बना रहे है, तो यहां की यात्रा करने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से दिसंबर और जनवरी से मार्च तक का है। इस समय मौसम थोड़ा ठंडा रहता है। यहाँ का नजदीकि रेलवे स्टेशन भुज है, और रुद्र माता हवाई अड्डा यहां का नजदीकि हवाई अड्डा है। आप यहां टैक्सी से या फिर राज्य पर्यटन बसों में भुज से धोलावीरा पहुंच सकते है।
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आप धोलावीरा के आलावा भुज, आइना महल, प्राग महल, कच्छ म्यूजियम, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड सैंक्चुअरी, वाइल्ड एस सैंक्चुअरी, नारायण सरोवर, भद्रेश्वर जैन मंदिर, अंजर, गांधीधाम आदि जगह भी घुम सकते है।
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