ये है भारत का पहला Smart Village, तस्वीरें देख यही बसने को हो जाएंगे तैयार

देश के प्रधानमंत्री न जाने कितनी ही बार स्मार्ट सिटी की बात करते है लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी की भारत में कुछ स्मार्ट गांव भी है जो बिलकुल हर तरह की सुविधाओं से लैस है।

आज के इस पोस्ट में हम भारत के पहले स्मार्ट गांव कहे जाने वाले धनौरा की बात करने वाले है। धनौरा गांव मॉडल को राज्य और देश की ग्राम पंचायतों ने विकास मॉडल के रूप में अपनाया है। तो आइए जानते है विस्तार से –

Indias First Smart Village Dhanora rajasthan irs Satyapal Singh Meena  transforms read incredible - राजस्थान के धौलपुर जिले का धनौरा भारत का पहला  स्मार्ट गांव है – News18 हिंदी

धनौरा गांव में सीमेंट की सड़कें, आधुनिक गौरव पथ, गलियों में सुंदर भित्ति चित्र, सामुदायिक भवन और पुस्तकालय, सोलर लाइटें, इन्फॉर्मेशन और योग सेंटर जैसी सुविधाएं हैं।

घरों और स्कूलों में आधुनिक शौचालय, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए कोचिंग संस्थान जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं।

Dhanora's transformation into a smart village

धनौरा गांव जिला मुख्यालय से करीबन 30 किमी की दूरी पर मौजूद है। गांव की आबादी 2 हजार के करीब है। खुशी की बात तो ये है, धनौरा गांव को कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं। इस गांव को मोदी जी ने भी सम्मानित किया हुआ है।

 जल संरक्षण और संवर्धन के लिए ढाई किलोमीटर लंबी मानव निर्मित नहर, 8 परकोलेशन तालाबों का निर्माण किया गया है. गांव को ओडीएफ फ्री, अल्कोहल फ्री तथा जीरो आपराधिक रिकॉर्ड होने के कारण 'क्राइम फ्री विलेज' का दर्जा प्राप्त है. 'सोच बदलो गांव बदलो' मुहिम के तहत डॉ.सत्यपाल सिंह मीणा के मार्गदर्शन में गांव के युवा वालेंटियर के रूप में काम कर रहे हैं. मीणा ने ग्रामीणों को जागरूक कर प्रत्येक घर में शौचालय, चौड़ी सड़कें, वृक्षारोपण और एक कम्यूनिटी सेंटर बनवाने में हम भूमिका निभाई है.

गांव के लोगों का कहना है कि यहां एक नहर भी बनाई गई है, जिसे सभी खेतों से जोड़ा गया है। इस नहर की लंबाई करीब ढाई किमी है। गांव को ओडीएफ फ्री, अल्कोहल फ्री तथा जीरो आपराधिक रिकॉर्ड होने के कारण ‘क्राइम फ्री विलेज’ का दर्जा प्राप्त है।

अगर आप ये सोच रहे हैं कि इस गांव में पहले से सब कुछ था, तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। बल्कि इस गांव की दशा 2014 से पहले काफी दयनीय थी।

यहां सड़कें टूटी रहती थी, उस दौरान बिजली में भी कटौती होती थी, तब गांव वालों को टॉयलेट, पानी जैसी रोजगार की सुविधाएं भी सही से नहीं मिल पाती थी।

लेकिन गांव को इस मॉडर्न स्थिति तक पहुंचाने में जिला प्रशासन, कई एनजीओ, गांव के सरपंच और कई प्रतिनिधियों का हाथ रहा है।

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