पटना की इन खूबसूरत जगहों को मुफ्त में कर सकते है एक्सप्लोर, ये रही पूरी लिस्ट

गंगा नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित बिहार की राजधानी पटना दुनिया के उन गिने-चुने विशेष प्राचीन नगरों में से एक है जो अति प्राचीन काल से आज तक आबाद है। ऐतिहासिक और प्रशासनिक महत्व के अतिरिक्त, पटना शिक्षा और चिकित्सा का भी एक प्रमुख केंद्र है।

पर्यटन के लिहाज से भी पटना काफी समृद्ध है, पटना के भ्रमण के दौरान आपको बहुत से ऐसे खूबसूरत जगह मिल जायेंगे जो आपके दिल को छू सकते हैं। आप चाहें धार्मिक स्थल, ऐतिहासिक जगह या प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेना चाहते हो, आपको हर एक चीज आसानी से उपलब्ध हो जाएगी।

हालाँकि आज का यह लेख थोड़ा हटके है, आज हम जानेंगे पटना के उन चुनिंदा पर्यटक स्थलों के बारे में जहाँ आप बिना टिकट यानी मुफ्त में यात्रा कर सकते है। तो चलिए शुरू करते है अपना सफर –

1) महावीर मंदिर

पटना जंक्शन के समीप स्थित महावीर मंदिर, भगवान हनुमान को समर्पित सबसे प्रचलित मंदिरों में से एक है। यह प्रसिद्ध मंदिर भक्ति और भावना का प्रतिक है और प्रत्येक दिन यहाँ श्रद्धालु मनोकामना लिए आते हैं और उनका विश्वास है कि संकट मोचन उनके हर मनोकामना को पूर्ण करते हैं।

महावीर मंदिर में रामनवमी के पावन अवसर पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है जो यहाँ के दृश्य को और भी मनोरम करती है। मंदिर की एक अन्य विशेषता इसका प्रसाद है, यहाँ का नैवेद्यम पूरे देश में प्रसिद्ध है।

महावीर मंदिर में भक्तों द्वारा दान में होने वाले आय से कई साधारण लोगों का न्यूनतम शुल्क पर इलाज किया जाता है। इस पावन मंदिर द्वारा जनहित में महावीर कैंसर संस्थान, महावीर आरोग्य संस्थान, महावीर नेत्रालय, महावीर वात्सल्य अस्पताल सुचारु रूप से चलाए जा रहे हैं। आप जब भी पटना आए तो महावीर मंदिर के दर्शन ज़रूर करें।

2) गाँधी मैदान

पटना का गांधी मैदान कई इतिहासों का गवाह है, इस मैदान पर  नेताजी सुभाष चंद्र बोस, जवाहर लाल नेहरु, मोहम्मद अली जिन्ना, राम मनोहर लोहिया समेत कई दिग्गज नेताओं ने यहां पर भाषण दिया। गांधी मैदान बिहार की विरासत और संस्कृति को दर्शाती है।

गांधी मैदान को पहले बांकीपुर मैदान के नाम से जाना जाता था. अंग्रेज यहां अक्सर घूमने आते थे। वर्तमान में इस मैदान को जनसभाओं, सम्मेलन और राजनीतिक रैलियों के लिए इस्तेमाल में लिया जाता है। इसके अलावा यहां पुस्तक मेला तरह तरह के सरकारी कार्यक्रम का भी आयोजन होता है। पूरे साल यहाँ किसी न किसी तरह का आयोजन रहता ही है।

गाँधी मैदान के चारों तरफ विभिन्न प्रकार की दुकानें है जहाँ लगभग हर चीज़ मिलती है। पूर्वी गांधी मैदान के आसपास की सड़कें विशेष रूप से पुरानी किताबों के लिए प्रसिद्ध हैं। कुछ मीटर आगे चलकर आप दो प्रसिद्ध सिनेप्लेक्स “रीजेंट सिनेमाज” और “मोना” तक पहुंच जाएंगे। आसपास कुछ अच्छे रेस्तरां भी है जहाँ आप एक अच्छी शाम की फिल्म के बाद भोजन कर सकते हैं।

3) सभ्यता द्वार

गांधी मैदान के उत्तर और अशोका इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर परिसर के पीछे बना सभ्यता द्वार एक ऐसा द्वार है जिसने सदियों की गौरवगाथा को समेटा है। यह द्वार 32 मीटर ऊंचा है, यह कई मायनों में खास है। मुंबई के गेट वे ऑफ इंडिया (26 मीटर) से भी 6 मीटर ऊंचा है यह। वहीं पटना के गोलघर (29 मीटर) से भी ऊंचाई अधिक है।

इस पर जैन तीर्थंकर वर्द्धमान महावीर के संदेश हैं तो सारी दुनिया को प्रतीत्य समुत्पाद और मध्यमप्रतिपदा से परिचित करानेवाले बुद्ध के संदेश भी हैं।

यह स्मारक लाल और बलुआ पत्थर से निर्मित हैं, जिसके ऊपर आप छोटा स्तूप देख सकेंगे। यह स्मारक इतिहास के कई चीजों का उल्लेख करती जिसे देखने जरूर जाना चाहिए। सभ्यता द्वार ने कई पर्यटकों का ध्यान अपने ओर आकर्षित करती है। यहां खासकर शाम में लोगों का जमावड़ा लगता हैं।

4) गाँधी घाट / NIT घाट

पटना में गंगा नदी पर बना गांधी घाट मुख्य घाटों में से एक है, इसका घाट का नाम महात्मा गांधी के नाम पर रखा गया है. दरअसल महात्मा गांधी के निधन के बाद उनकी अस्थियों को कई जगह विसर्जित किया गया था जिसमें से एक यह भी घाट था।

हरिद्वार और वाराणसी की प्रसिद्ध गंगा आरती के समान यहां भी आरती की जाती है, इस घाट पर पर्यटक नाव की सवारी करते हैं. गांधी घाट को खास  बनाने के लिए यहां पर बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा एमवी गंगा विहार नामक रिवर क्रूज जहाज चलाया जाता है। नेशनल टेक्निकल इंस्टीट्यूट (NIT) के पीछे होने के कारण इस घाट को NIT घाट के नाम से भी जाना जाता है।

पर्यटकों को बढ़ावा देने के लिए बिहार सरकार हर शनिवार और रविवार को इस गांधी घाट पर गंगा आरती का आयोजन कराती है. इस घाट पर 51 दीपों के साथ भगवा वस्त्र पहनकर पुजारियों का एक समूह गंगा आरती करती है. आरती की शुरुआत शंख बजाने के साथ शुरू होती है। गांधी घाट पर गंगा आरती साल 2011 में वाराणसी और हरिद्वार में गंगा आरती के तर्ज पर शुरू किया गया था।

5) गांधी संग्रहालय

गाँधी मैदान से उत्तर और अशोका इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर के बगल में स्थित गाँधी संग्रहालय गांधी जी को करीब से जानने के लिए एक परफेक्ट डेस्टिनेशन है, यहां पर गांधीजी की जीवन शैली और उनके सिद्धांतों को प्रस्तुत किया गया है। यहां पर गांधी जी का भारत की स्वतंत्रता में किस तरह का योगदान था। वह भी दिखाया गया है। यहां पर आपको गांधीजी का स्टेच्यू देखने के लिए मिलता है।

गांधी संग्रहालय पर आपको गांधी जी की तस्वीरें, पेंटिंग, मूर्तियां, शिलालेख, प्रसिद्ध पंक्तियों का संग्रह देखने के लिए मिल जाता है, यहां पर किताबों का बहुत अच्छा संग्रह है जिसे आप यहाँ के लाइब्रेरी में जाकर पढ़ भी सकते है।

6) पटना साहिब गुरुद्वारा

पटना साहिब गुरुद्वारा पटना सिटी में स्थित सिखों का प्रमुख तीर्थ स्थल है जिसका निर्माण महाराजा रणजीत सिंह ने करवाया था। पटना गुरु गोबिंद सिंह जी की जन्मभूमि है और उन्हीं की याद में इस गुरुद्वारे का निर्माण करवाया गया था। गुरु गोबिंद सिंह जी सिखों के 10 वें और अंतिम गुरु थे।

इस गुरुद्वारे को तख्त श्री पटना साहिब और गुरु गोविंद सिंह जी का निवास स्थान भी कहा जाता है। पवित्र आत्मज्ञान का अनुभव करने के लिए कोई भी पटना साहिब गुरुद्वारे के दर्शन के लिए जा सकता है। यह धार्मिक स्थान गंगा नदी के तट पर स्थित हैं।

7) इस्कॉन मंदिर

पटना के बुद्धमार्ग में स्थित इस्कॉन मंदिर पहले दिन से ही श्रद्धालुओं से भरा हुआ है, हाल ही में मंदिर के गर्भ गृह में प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के साथ आम लोगों के लिए इसे खोला गया है। दो एकड़ क्षेत्र में फैले मंदिर की ऊंचाई 108 फीट है।

इसके गर्भगृह में एक साथ पांच हजार लोग बांके-बिहारी सहित अन्य विग्रहों (मूर्तियों) का दर्शन-पूजन कर सकेंगे। मथुरा और गुजरात के बाद पटना देश का तीसरा मंदिर है, जिसमें 84 खंभा पुरातन तकनीक का प्रयोग किया गया है।

लगभग 100 करोड़ रुपये की लागत से बनी इस मंदिर के लिए वर्ष 2004 में मंदिर के लिए जमीन लिया गया. नक्शा पास होने के बाद 2010 में मंदिर निर्माण का काम शुरू हुआ था, तीन मंजिला इस मंदिर में 84 कमरे और 84 पिलर बनाये गये हैं।

8) मनेर शरीफ

राजधानी पटना से करीब 30 किलोमीटर पश्चिम में स्थित मनेर शरीफ सूफी का एक प्रमुख स्थल है, यहां पर स्मारक में आपको बहुत सारी कब्र देखने के लिए मिलती हैं। यह सूफी संतों की कब्र हैं। यहां पर प्राचीन समय में बहुत सारे सूफी संतों यहां पर आते थे और यह जगह बहुत प्रसिद्ध थी।

मनेर में दो दरगाह देखने के लिए मिलती है- छोटी दरगाह और बड़ी दरगाह। यहां पर बहुत बड़ा गार्डन बना हुआ है, जिसमें पेड़ पौधे लगे हुए हैं। यहां पर जो स्मारक बना हुआ है। वह बहुत सुंदर है। इस स्मारक के पीछे आपको एक बड़ा सा तालाब देखने के लिए मिलता है, जो बहुत सुंदर लगता है।  आप यहां पर आकर घूम सकते हैं।

9) शहीद स्मारक

सन 1942 मात्र ‘अंग्रेज़ों भारत छोड़ो’ या फिर ‘करो या मरो’ के लिए ही याद नहीं किया जाता। यह वर्ष अंग्रेज़ों के असंख्य अत्याचारों से ग्रसित लोगों की वेदना के लिए भी याद किया जाता है। देश के क्रांतिकारियों पर ढाये गए क्रूरतम अत्याचार की कहानी पटना स्थित शहीद स्मारक को देखकर याद आती है।

11 अगस्त, 1942 की शाम को पटना सचिवालय पर तिरंगा फहराने के इरादे से गए क्रांतिकारियों पर पटना ज़िले के कलेक्टर आर्चर ने गोली चलवा दी। इस गोली काण्ड में सात क्रान्तिकारी शहीद हुए और अनेक लोग घायल हो गए। शहीद स्मारक इन्हीं सात शहीदों की स्मृति में बनाया गया है। ये सभी क्रांतिकारी विद्यार्थी थे।

शहीद स्मारक सात शहीदों की एक जीवन-आकार की मूर्ति है जो पटना में सचिवालय भवन के बाहर स्थित है। इन युवाओं ने भारत छोड़ो आन्दोलन में अपने जीवन का बलिदान दिया था और उस भवन पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया था जो अब सचिवालय भवन है।

15 अगस्त 1947 को बिहार के राज्यपालश्री जयराम दास दौलतराम ने अखण्ड बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. श्रीकृष्ण सिन्हा की उपस्थिति में शहीद स्मारक की आधारशिला रखी। मूर्तिकार देवप्रसाद रायचौधरी ने राष्ट्रीय ध्वज के साथ सात विद्यार्थियों की कांस्य प्रतिमा का निर्माण किया।