मार्च का महीना हमारे देश में बसंत ऋतू के साथ प्रारम्भ होता है और चारों ओर पतझड़ के मौसम में वीरान हुए पेड़ पौधों पर नयी नयी पत्तियों और सुन्दर फूलों के साथ मौसम बड़ा खुशनुमा हो जाता है। साथ ही हमारा मन भी ताजगी से भर जाता है और बहुत से लोग भीड़ से कहीं दूर व प्रकृति के करीब जाने का प्लान बनाने लगते हैं।
अगर आप दिल्ली या उसके आस पास के शहरों में रहते हैं तो आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने वाले हैं जहाँ आपको राजस्थान के एक शाही व खूबसूरत किले के साथ चारों ओर जंगल और अरावली की पहाड़ियों की हरी भरी वादियां भी मिलेगी।
जी हाँ हम बात कर रहे हैं दिल्ली से करीब 190 किलोमीटर दूर अलवर शहर में मौजूद बाला किले की जिसे अलवर फोर्ट के नाम से भी जाना जाता है। ये किला सरिस्का टाइगर रिज़र्व के बफर जोन में स्थित है जहाँ जाने के लिए आपको जंगल के बीच से होकर जाना पड़ता है।
जंगल में आप खुद के वाहन से भी जा सकते हैं लेकिन उसके लिए एक जोन बना हुआ है जहाँ तक आप अपना वाहन लेकर जा सकते हैं और इसी जोन में बाला किला भी मौजूद है। आप चाहें तो सफारी पर भी जा सकते हैं जिसके लिए आपको किले के मेन एंट्री गेट जहाँ से आप टिकट लेते हैं वहीं से आपको सफारी के लिए जिप्सी वगैरह मिल जाएगी।
लेकिन अगर आप सिर्फ किले तक जाना चाहते हैं तो भी ये सफर किसी एडवेंचर से कम नहीं होता है। साथ ही आपको इस पुरे रास्ते में नियमो के पालन करना होता है जैसे रास्ते में हॉर्न न बजाना, जानवरो को खाने पीने की चीजें न देना, वहां से न उतरना…. आदि।
लेकिन इन सब के साथ जब आप इन रास्तों से गुजरते हैं वो पल हमेशा के लिए आपकी यादों में समां जायेंगे। जैसे रास्ते में हमें जंगल के कुछ जानवर जैसे हिरण , सांभर आदि भी दिख गए जिन्होंने हमारे इस छोटे से इस जंगल के सफर के अनुभव को कई गुना तक सुन्दर और हमेशा के लिए यादगार बना दिया।
इसी एडवेंचर के सफर में कुछ दूर चलने के बाद आपको किले के कुछ द्वारों से होकर गुजरना होता है। जंगल के बीच ये विशाल द्वार काफी अनोखे लगते हैं।
इन द्वारों से गुजरते हुए मेन गेट से करीब 20 मिनट के शानदार व अडवेंचरस सफर के बाद हम पहाड़ियों के ऊपर मौजूद बाला किले के मुख्य द्वार पर पहुंचे जाते हैं। जहाँ पार्किंग के लिए काफी जगह मौजूद है और चारों ओर का नज़ारा यहाँ से बेहद खूबसूरत दिखाई देता है।
यहाँ टिकट चेक करवाकर हम किले के अंदर गए और देखा यहाँ पर्यटकों की बिलकुल भीड़ नहीं थी बस हमारे अलावा कुछ ही पर्यटक इस विशाल किले में घूम रहे थे।
प्रकृति के बीचो बीच हम एकदम शांति में किले के बड़े खुले आँगन में पहुंचते है। यहाँ से किले के चारों ओर मंडराते कबूतर व अन्य पक्षी इस जगह पर होने के हमारे अनुभव को बेहद शानदार बना रहे थे।
फिर हम किले में एक बड़े द्वार से होते हुए किले के बीच में मौजूद चौक में गए और वहां चारों ओर बने शाही कमरों और उनकी बालकनी में घूमना सच में बेहद शाही अनुभव दे रहा था।
कुछ लोग कहते हैं की पुराने महलों में खंडहर के अलावा कुछ नहीं मिलता लेकिन अगर आप वहां का इतिहास जाने और साथ ही उस समय की कल्पना करते हुए इन महलों और किलों में घूमें तो वास्तव में आपका अनुभव हमेशा के लिए यादगार बन जाता है।
अलवर किला अपनी शानदार वास्तुकला के लिए तो जाना जाता ही है साथ ही आपको बता दें की इसे कुंवारा किला भी कहा जाता है। आखिर क्यों ये सवाल तो आपके मन में आ ही रहा होगा!
दरअसल इस किले पर इतिहास में कभी भी न कोई युद्ध लड़ा गया है और न ही किसी ने इस किले पर कब्ज़ा किया इसीलिए इसे कुंवारा किले के तौर पर भी जाना जाता है।
इसके साथ ही अलवर में घूमने की और भी कई शानदार जगहें हैं जहाँ आप अपनी ट्रिप के दिनों के अनुसार घूम सकते हैं। अलवर के दूसरे पर्यटन स्थलों की जानकारी के लिए आप हमारे दूसरे ब्लॉग भी पढ़ सकते हैं।
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