गुलाबी शहर जयपुर अपने अलग अलग चीजों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है, बड़े बड़े किले से लेकर यहाँ का खान पान, रहन सहन और संस्कृति सब कुछ के लोग दीवाने है।
सालों भर जयपुर में देशी और विदेशी पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है, ऐसे में आज के इस पोस्ट हमे आपको जयपुर के एक ऐसे जगह के बारे में बताने वाले है जिसके बारे में बहुत कम ही लोग जानते है।

यह जगह है जयपुर का अल्बर्ट हॉल, अधिकांश पर्यटक अल्बर्ट हॉल म्यूजियम के बारे में नहीं जानते हैं। 135 साल पुराना म्यूजियम राम निवास गार्डन में स्थित है और हवा महल से 10 मिनट से भी कम की पैदल दूरी पर है।
यह संग्रहालय महाराजा रामसिंघ द्वारा बनाया गया था जिसे 1887 में जनता के लिए खोला गया था। अगर आप जयपुर की यात्रा पर है तो आपको यह जगह जरूर घूमना चाहिए।

अल्बर्ट हॉल की स्थापना साल 1876 में 6 फरवरी को प्रिंस ऑफ वेल्स, अल्बर्ट एडवर्ड की जयपुर यात्रा के दौरान रखी गई थी। उनके नाम पर ही इमारत का नाम रखा गया था।
अगर आप सावधानी से गढ़ी गई पुरानी चीजें पसंद करते हैं, तो आपको अल्बर्ट हॉल संग्रहालय में जाना चाहिए। इतिहास प्रेमियों को यहां की कलाकृतियों का शांत संग्रह पसंद आएगा। देश के सबसे पुराने संग्रहालयों में से एक, अल्बर्ट हॉल संग्रहालय जयपुर की समृद्ध विरासत को पूरी तरह से समेटे हुए है।
दिलचस्प बात यह है कि अल्बर्ट हॉल संग्रहालय भारत के उन छह स्थानों में से एक है जहां आप मिस्र की एक ममी देख सकते हैं। म्यूजियम में 2,300 साल पुरानी मिस्र की ममी है जिसे पहली बार 1883 में भारत लाया गया था।

इस ममी से जुड़े 215 ऑब्जेक्ट्स भी ममी के चारों ओर जानकारी सहित प्रदर्शित हैं। ममी पर हॉलीवुड में कई फिल्में चल चुकी हैं। संग्रहालय में आपको कई पुराने चित्र ,दरियाँ ,हाथी दाँत ,कीमती पत्थर ,धातु ,मूर्तियाँ रंग-बिरंगी कई वस्तुएँ देखने को मिलती है।
म्यूजियम की वास्तुकला सबकी आंखों को बहुत लुभाती है क्योंकि इसे वास्तुकला की इंडो-सरसेनिक शैली में बनाया गया है। म्यूजियम को महाराजा राम सिंह के शासन में सैमुअल स्विंटन जैकब द्वारा डिजाइन किया गया था जो चाहते थे कि संरचना को टाउन हॉल के रूप में इस्तेमाल किया जाए। हालांकि, माधो सिंह द्वितीय ने अमूल्य कला को संरक्षित करने के लिए इसे म्यूजियम में बदल दिया।
