सिरोही में घूमने की जगह। Places to visit in Sirohi
राजस्थान के सबसे छोटे जिलों में तीसरे नंबर पर सिरोही शामिल हैं। यह उत्तर में पाली, दक्षिण में गुजरात के बनसकांथा, पश्चिम में जालौर और पूर्व में उदयपुर जिलों से घिरा हुआ है। इन सब के अलावा भी सिरोही में कई घूमने लायक स्थल हैं जो सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
सिरोही में घूमने की जगह। Places to visit in Sirohi
माउंट आबू
माउंट आबू अरावली पहाडिय़ों के दक्षिण पश्चिमी छोर पर घने जंगलों के बीच बसा हुआ एक आकर्षित स्थान है, इसके साथ ही यहां एक प्रमुख जैन मंदिर भी है। उत्तम पिकनिक स्पॉट, ठंडा मौसम, मनमोहक झीलें और रोमांचक रास्ते जो कि राजस्थान राज्य के अन्य हिस्सों से काफी अलग है। माउंट आबू पसंदीदा पर्यटक स्थानों से एक माना जाता है। माउंट आबू दक्षिण पश्चिमी छोर पर अरावली पहाडिय़ों पर घने जंगलों के बीच बसा हुआ
राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन है।

सरकारी संग्रहालय
इस संग्रहालय का मुख आकर्षण 6ठीं से 12वीं शताब्दी के बीच की 404 प्राचीन मूर्तियों का संग्रह, देवदासी या नर्तकियों की मूर्तियां, विष कन्या, चक्रबाहु शिव की प्रतिमा भी यहां शामिल है। इसकी स्थापना 1962 में हुई थी। यह संग्रहालय कई हिस्सों में बांटा हुआ है। इसके पहले हिस्से में पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के वाद्य यंत्र, वस्त्र प्रदर्शित, हथियार और महिलाओं के गहने किए गए हैं।
नक्की झील
यह एकमात्र ऐसी झील है भारत की जो की कृत्रिम झील है। ऐसा माना जाता है कि देवताओं ने अपने नाखुनों से इस झील का निर्माण किया था इसलिए इस झील का नाम नक्की झील पड़ गया। इस झील के पास में ही एक रघुनाथजी मंदिर भी है। साथ ही इस झील में बोटिंग की भी सुविधा है।

चंद्रावती
चंद्रावती एक राजधानी थी, जो कि परमार 10वी और 11वीं शताब्दी में अबरुदमंडल के शासक हुआ करते थे। यह नगर व्यापार, सभ्यता और वाणिज्य का एक मुख्य केंद्र था। आबू रोड से लगभग 6 किमी. की दूरी पर स्थित चंद्रावती परमारों का एक शहर था। जिसका वर्तमान नाम चंदेला है।

सर्नेश्वर मंदिर
इस मंदिर का संचालन सिरोही देवस्थानम द्वारा किया जाता है। जो कि भगवान शिव को समर्पित है। साथ ही इस मंदिर में 108 शिव लिंगों का धारण किए एक प्लेट रखी हुई है और भगवान विष्णु की प्रतिमा भी रखी हुई है। कहा जाता हैं कि परमार वंश के शासकों ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। क्योंकि इस मंदिर का आकार और ढांचा भी परमारों द्वारा बनवाए गए अन्य मंदिरों जैसा ही है।

मीरपुर मंदिर
मीरपुर का यह मंदिर भगवान पार्श्वनाथ जो कि 23वें जन र्तीथकर है, को समर्पित है। इस मन्दिर को 9वीं शताब्दी में राजपूत काल में बनवाया था। इस मन्दिर के बारे में कहा जाता हैं कि संगमरमर से बना हुआ यह मंदिर राजस्थान का सबसे पुराना स्मारक है। और अब वर्तमान में यह मंदिर अपने उसी रूप में बना हुआ है। जिसके नक्काशी और स्तंभ अपनी भारतीय पौराणिक मान्यताओं से अवगत कराते हैं।

सर्वधर्म मंदिर
यह एक ऐसा मंदिर है जो दुनिया के सभी मंदिरों को समर्पित है। जो कि नाम से ही स्पष्ट होता है। इस मंदिर का बहुत ही वास्तुशिल्प उत्तम है। जो कि धार्मिक महत्व के वृक्ष, कल्पवृक्ष, बेलपत्र, कुंज, करसिंगार आदि पेड़ पौधों को यहां उगाया जाता हैं।
