रायसेन में घूमने की जगह। Places to visit in Raisen
रायसेन एक पहाड़ी के शीर्ष पर विशाल किले से अपना नाम लेता है। रायसेन शहर जिला मुख्यालय है। जिला भोपाल संभाग का हिस्सा है। रायसेन मध्यप्रदेश के कई छोटे शहरों में से एक है, रायसेन को पहले राजवासिनी या राजसायण के नाम से जाना जाता था। इस स्थान का धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व है।
रायसेन में घूमने की जगह। Places to visit in Raisen
रायसेन किला
यह किला रायसेन मध्यप्रदेश का एक प्रमुख आकर्षण है। आश्चर्यजनक बात यह यह है कि किले में 40 कुओं के साथ जल प्रबंधन एवं संरक्षण का एक उत्तम तंत्र है। पहाड़ी की चोटी पर इस किले के निर्माण के बाद रायसेन को इसकी पहचान प्राप्त हुई। विशाल पत्थरों से बनी हुई दीवारें नौ दरवाजों से बाहर खुलती हैं और इनके ऊपर तेरह बुर्ज़ हैं।

हज़रत पीर फतेहुल्लाह शाह बाबा
यह रायसेन स्थल का अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थल है। हज़रत पीर फतेहुल्लाह शाह बाबा, धार पर्यटन की एक भेंट है। यहाँ पर इस पवित्र मुस्लिम संत, हज़रत पीर फतेहुल्लाह शाह बाबा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए रोज़ भारी भीड़ उमड़ती है। यह पवित्र स्थल पूरे देश में प्रसिद्ध है और यह अपनी पवित्रता के लिए जाना जाता है।

भोजपुर
यह स्थान भोपाल से २५ किमी की दूरी पर रायसेन जिले में वेत्रवती नदी के किनारे बसा है। प्राचीन काल का यह नगर “उत्तर भारत का सोमनाथ’ कहा जाता है। इस नगर तथा उसके शिवलिंग की स्थापना धार के प्रसिद्ध परमार राजा भोज (१०१० ई.- १०५३ ई.) ने किया था। इसे भारत के मंदिरों में पाये जाने वाले सबसे बड़े लिंगों में से एक माना जाता है।

भीमबेटका
भीमबेटका गुफाएं एवं चट्टानों से बने आश्रय स्थल मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में स्थित हैं। इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है। ये चारों ओर से विंध्य पर्वत श्रेणी से घिरे हुए हैं। यहां पर मनुष्यों के चित्रों के अलावा कई गुफाओं में विभिन्न प्राणियों जैसे कि चीता, कुत्ता, छिपकली, हाथी, भैंस इत्यादि के रंगीन चित्र भी देखने को मिलते हैं।

साँची का स्तूप
यह नगर से लगी हुई पहाड़ी पर एक विशाल बोद्ध स्तूप है। प्राचीन काल का यह नगर भोपाल से ४५ किमी की दूरी पर रायसेन जिले में वेत्रवती नदी के किनारे बसा है। इस स्तूप में भगबान बोद्ध की अस्थिया रखी हुइ है।

जामगढ
यहां जामवंत की प्रस्तर गुफा के साथ ही गुफाओं की श्रंखला है। रायसेन जिले की बरेली तहसील में जामगढ आदि मानव की आश्रय स्थली के रूप में जाना जाता है। कई विद्वानों का मानना है कि है यह ऐतिहासिक शिव मंदिर 5 वीं, 6वीं सदी का भी हाे सकता है। पास में ही भगदेई में खजुराहो शैली का शिव मंदिर है। इस मंदिर को गुर्जर -प्रतिहार वंश कालीन माना जाता है।

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