गुरदासपुर में घूमने की जगह। Places to visit in Gurdaspur

गुरदासपुर एक पयार्टन स्थल होने के साथ साथ एक रंगबिरंगी पंजाबी संस्कृति की झलक भी प्रस्तुत करता है जिसमें परान्दा, दैवीय गुरुद्वारे, पारम्परिक पगड़ी, लजीज पंजाबी पकवान और भाँगड़ा भी शामिल हैं। गुरिया जी ने इस शहर की 17वीं सदी में स्थापना की थी, और इस शहर का नाम गुरिया जी के ही नाम पर रखा गया है। यह शहर पंजाब राज्य की सतलज और रावी नदियों के बीच बसा हुए एक बहुत ही लोकप्रिय शहर है। इसके साथ ही गुरदासपुर शहर के आसपास धर्मशाला, मक्लाएडगंज और डलहौजी जैसे रोमांचक पर्यटक स्थल है जो लोगों के आकर्षण का केन्द्र है।

गुरदासपुर में घूमने की जगह। Places to visit in Gurdaspur


 

तख्त-ए-अकबरी, गुरदासपुर

तख्त-ए-अकबरी एक वह स्थान है जहाँ पर अकबर के पिता की मृत्यु के बाद अकबर का राज्याभिषेक इसी जगह पर हुआ था। 14 फरवरी 1556 को यह समारोह सम्पन्न हुआ था।, उस समय अकबर 13 साल के थे। जब अकबर के पिता की मृत्यु हुई तो उस समय अकबर के बैरम खाँ उनके साथ मौजूद थे। मुख्य शहर से 25 किमी की दूरी पर स्थित अकबर गुरदासपुर जिले के कालनौर में रह रहे थे। जिसे अब भारतीय पुरातत्व विभाग ने अपने संरक्षण में ले लिया है।

तख्त-ए-अकबरी, गुरदासपुर
                         तख्त-ए-अकबरी, गुरदासपुर

थाडा साहिब, गुरदासपुर

यह वहीं स्थान है जहाँ पर 1515 में श्री गुरू नानक देव जी ने बाबा अजीत रंधावा के कुछ महत्वपूर्ण विचार विमर्श अपने पहले प्रवचन से या उडासी से किया था।

थाडा साहिब, गुरदासपुर
                               थाडा साहिब, गुरदासपुर

 

गुरूद्वारा श्री दरबार साहिब, गुरदासपुर

इस गुरूद्वारे को गुरू श्री गुरू नानक देव जी की याद में प्रथम सिक्ख के लिए बनाया गया था। यह गुरूद्वारा डेरा बाबा नानक में स्थित है जो कि श्री दरबार साहिब गुरदासपुर में है। माना जाता है कि श्री गुरूनानक देव जी ने यहां आ कर 1515 में अपने पहले प्रवचन या उडासी से लौटे थे और यहां आए थे। गुरूजी अपने परिवार – माता सुलखनी जिनकी उनकी पत्नी, बाबा श्री चन्द जो उनके बेटे और बाबा लक्ष्मीचन्द उनके बेटे से मिलने आये हुए थे।

गुरूद्वारा श्री दरबार साहिब, गुरदासपुर
                          गुरूद्वारा श्री दरबार साहिब, गुरदासपुर

 

श्री नामदेव दरबार, गुरदासपुर

यह धार्मिक स्थान बाबा नामदेव से जुड़ा है जिन्हें इस स्थान का संस्थापक माना जाता है। गुरू नामदेव जी अपने चमत्कारी कृत्यों के लिये जाने जाते हैं। श्री हरगोविन्दपुर से 10 किमी की दूरी पर स्थित घोमान में श्री नामदेव दरबार स्थित है। लोककथाओं के अनुसार उन्होंने यहाँ पर 17 वर्षों तक साधना की। दरबार में पर्यटक 13 सदी के कई धार्मिक शिलालेखों को देख सकते हैं।

श्री नामदेव दरबार, गुरदासपुर
                                श्री नामदेव दरबार, गुरदासपुर

गुरदास नंगल, गुरदासपुर

गुरदास नंगल एक पुराना गाँव है जो कि गुरदासपुर से 6 किमी की दूरी पर स्थित है। यह स्थान ऐसा है जो कि मुगलों और बंदा सिंह बहादुर के बीच आखिरी युद्ध से जुड़ा हुआ स्थान गुरदास नंगल है। यह एक विशाल दीवारों से घिरा हुआ स्थान है जहाँ पर सिक्खों ने शरण ली थी।

गुरदास नंगल, गुरदासपुर
                                 गुरदास नंगल, गुरदासपुर

 

डेरा बाबा नानक, गुरदासपुर

डेरा बाबा नानक गुरदासपुर शहर के पश्चिम में 45 किमी की दूरी पर स्थित है, जिसे प्रथम सिक्ख गुरू श्री गुरू नानक देव जी का याद में बनाया गया है। इसके साथ ही डेरा बाबा नानक के पास ही गुरूद्वारा तहली साहिब स्थित है। यह स्थान भारत और पाक की सीमा के पास ही रावी नदी के बाँयीं ओर तट पर बसा हुआ है। गुरू जी ने यहीं शहर के डेरा बाबा नानक के सामने ही नश्वर अंशों को त्याग किया था और साथ ही गुरू जी यहां रहे भी थे। और उन्होंने इस स्थान का नाम करतारपुर रख दिया।

डेरा बाबा नानक, गुरदासपुर
                                      डेरा बाबा नानक, गुरदासपुर

 

गुरूद्वारा चोला साहिब, गुरदासपुर

गुरूद्वारे से लगभग 50 मीटर की दूरी पर स्थित चोला साहिब तक भी पर्यटक आसानी से जा सकते हैं। गुरदासपुर से करीब 36 किमी की दूरी पर स्थित डेरा बाबा नानक में चोला साहिब को श्री गुरू नानक देव जी की याद में बनवाया गया था। जहां पर उन्होंने 12 वर्ष का समय बिताया था।

गुरूद्वारा चोला साहिब, गुरदासपुर
                            गुरूद्वारा चोला साहिब, गुरदासपुर

 

कबूतरी दरवाजा, गुरदासपुर

यह एक ऐसा स्थान है जो अपने कई स्वादिष्ट पकावानों के लिये मशहूर है जिसमें कई मिठाइयाँ भी शामिल हैं। यह कबूतरी दरवाजा पुराने गुरदासपुर बाज़ार का एक बहुत बड़ा भाग है।

कबूतरी दरवाजा, गुरदासपुर
                                    कबूतरी दरवाजा, गुरदासपुर