फरीदकोट में घूमने की जगह। Places to visit in Faridkot
पंजाब राज्य के फरीदकोट शहर में तीन दर्जन से ज्यादा इसी कई खूबसूरत इमारतों का निर्माण किया गया था। जिसने फरीदकोट की निर्माण कला को दुनिया में खूब प्रसिद्धि हासिल की। लेकिन जैसे जैसे समय बीतता गया यहां की बहुत सारी ऐसी ऐतिहासिक इमारतें है जिनका वजूद खत्म हो चुका है। लेकिन इसके बाद भी आप फरीदकोट में विक्टोरिया टावर, शाही समाधियां, सचिवालय, लाल कोठी, राज महल, आराम घर, शीशमहल, अस्तबल और मोती महल आदि इमारतो को देखकर इतिहास के बारे में भी जन सकते है।
फरीदकोट में घूमने की जगह। Places to visit in Faridkot
गुरुद्वारा गुरु की ढाब
यह गुरुद्वारा कोटकपुरा से लगभग 12 किमी. की दूरी पर स्थित है। जो कि एक बहुत ही प्रभावशाली स्मारक है। इस गुरुद्वारे को डोडा ताल और पटशाही दसवीं के नाम से भी जाना जाता है। यह गुरुद्वारा
कोटकपुरा – जैतु रोड़ पर स्थित गुरु की ढाब नामक एक छोटे से गाँव में स्थित है। इसके साथ ही ऐसा कहा जाता है कि श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने इस शहर से गुज़रते समय इस गुरुद्वारे की सैर की थी।

किला मुबारक
इस किले का निर्माण राजा मोकालसी के द्वारा किया था। और इसके बाद इसका पुन:निर्माण राजा हमीर सिंह के द्वारा किया गया था। इस किले को राजा बलबीर सिंह और राजा बिक्रम सिंह द्वारा और विस्तृत किया गया था। इसके साथ ही इस खूबसूरत इमारत में एक बगीचा भी है। इस प्राचीन स्मारक के परिसर में मोदी खाना, राजसी महल, कोषागार और तोष खाना मौजूद है।

राज महल
नुकीले शिखरों और दर्पणों को प्रदर्शित करती हुई यह खूबसूरत इमारत एक उत्कृष्ट डिज़ाइन में फ्रेंच वास्तुकला से प्रेरित हैं। इसके साथ ही इस महल में 15 एकड़ के क्षेत्र में फैले हुए सुंदर टॉवर और हरे भरे घास के मैदान भी है। यह महल फरीदकोट के बीचोबीच स्थित है। और इस महल की स्थापना महाराजा बिक्रम सिंह के शासन काल में हुई और इस महल का निर्माण बलबीर सिंह के निरीक्षण में किया गया था।

गुरुद्वारा गोदावरिसर साहिब
स्थानीय लोगों का ऐसा मानना है कि इस गाँव में गोदावरिसर साहिब गुरु ने एक परिवार को अपने वस्त्र प्रदान किये थे। यह गुरुद्वारा धिल्वन कलां गाँव में कोटकपुरा – बठिंडा रोड़ में स्थित है। इस गाँव में एक पवित्र तालाब भी है, जहां ऐसा बोला जाता हैं कि गुरु गोबिंद सिंह ने स्नान किया था।

गुरुद्वारा टिल्ला बाबा फरीद
इस गुरुद्वारे में प्रत्येक गुरूवार को बड़ी संख्या में भक्त दूर दूर से सूफी संत की पूजा करने के लिए आते हैं। और यहां गरीबों को भोजन भी दिया जाता है। यह गुरुद्वारा किला मुबारक के पास स्थित है जो कि एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। ऐसा कहा जाता हैं कि सूफी संत बाबा फरीद ने पाकपत्तन जाने से पहले यहाँ 40 वर्ष तक तपस्या की थी। और यहां बाबा फरीद एक लकड़ी का एक टुकड़ा अपने हाथ साफ़ करने के लिए किया करते थे, जिसे आज भी इस गुरुद्वारे में संभालकर रखा गया।

कोटकपुरा
इसे शहर को सफेद सोने के शहर के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यहाँ कॉटन (कपास) का बहुत बड़ा रोज़गार है जो कि विश्व के सभी बड़े बाज़ारों में से एक है। इस शहर का इतिहास बहुत पुराना है जो कि इसके किलों के माध्यम से भी प्रदर्शित होता है। इसके साथ ही यहां अनेक धार्मिक आकर्षण का केंद्र भी हैं।
फेयरी कॉटेज
यह चहल रोड़ पर स्थित एक शताब्दी पुराना कॉटेज है। 1910 और 1911 के बीच में महाराजा ब्रिजंदर सिंह ने इस कॉटेज का निर्माण किया था। इसके अलावा इस फेयरी कॉटेज के प्रवेश द्वार पर लगा हुआ चेक टॉवर लोगों का ध्यान अपनी ओर खीचता है। यहाँ बच्चों के लिए खेलने की मैदान भी है। और साथ ही एक बहुत अच्छा पिकनिक के लिए स्थान भी है।

दरबार गंज
इस जगह का उपयोग पहले राजसी परिवार अतिथि गृह के रूप में किया जाता था। लेकिन अब यह एक विरासत इमारत है। वर्तमान में यह फरीदकोट डिवीजन के कमिश्नर का कार्यालय है और साथ ही सर्किट हाउस भी है। इस हवेली का आंतरिक भाग बेहद ही सुंदर है और यह भव्य उद्यानों और खूबसूरत उद्यानों से भी घिरा हुआ है जो प्रतिवर्ष अनेक यात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
