सीतापुर में घूमने की जगह |Places to visit in Sitapur  

Shikha Sahu

सीतापुर उत्तर प्रदेश का एक जिला है जिसे सीता की भूमि के नाम से जाना जाता है, साथ ही यहां पौराणिक कथाओं, इतिहास, संस्कृति, धर्म और सूफियों से पूर्ण एक जिला है। सीतापुर महाभारत और रामायण में पौराणिक संदर्भों के साथ साथ मुस्लिम राज्यों और सूफी संतों का एक मजबूत इतिहास भी रहा है। अगर आप सीतापुर घूमने जाना चाहते है तो आप यहां पर ऐतिहासिक इमारते, विशाल पार्क और इसे कई धार्मिक स्थल है, जो यहां पर पर्यटकों को सीतापुर की यात्रा के लिए प्रेरित करते है।

 सीतापुर में घूमने की जगह |Places to visit in Sitapur

सीतापुर आई हॉस्पिटल

1926 में सीतापुर से 5 मील की दूरी पर खैराबाद के एक छोटे से शहर में सीतापुर आई हॉस्पिटल की शुरुआत हुई थी। तब अस्पताल के संस्थापक डॉ महेश प्रसाद मेहरे थे जो कि खैराबाद में जिला बोर्ड डिस्पेंसरी के मेडिकल ऑफिसर प्रभारी हुआ करते थे। उस समय वह आखों के मरीजों के लिए बहुत ज्यादा प्रेरित थे, उस समय तक आंखों के इलाज के लिए कोई उपयुक्त व्यवस्था नहीं थी।

 

सीतापुर आई हॉस्पिटल

राजा महमूदाबाद का किला या कोठी

सीतापुर से लगभग 63 किलोमीटर की दूरी पर स्थित महमूदाबाद का किला, जिसकी स्थापना 1677 में इस्लाम के पहले खलीफ के वंशज राजा महमूद खान ने की थी। यह कोठी 20-एकड़ परिसर का हिस्सा है जो की यह महल वास्तुकला का एक प्रमुख उदाहरण हैं। 1857 में स्वतंत्रता के पहले युद्ध के समय इस कोठी को अंग्रेजों ने पूरी तरह से नष्ट कर दिया था। इसके बाद इस कोठी का पुनर्निर्माण किया गया। अब इस कोठी सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र के रूप में कार्य करती है।

राजा महमूदाबाद का किला या कोठी

नैमिषारण्य धाम

सीतापुर के दर्शनीय स्थल मे सबसे अधिक महत्वपूर्ण स्थान नैमिषारण्य धाम है। जो कि हिन्दुओं का एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। अर्थात सीतापुर से नैमिषारण्य धाम लगभग 34 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। एक सरोवर भी है जिसका मध्य का भाग गोलाकार के रूप में बना हुआ है और उससे हमेशा निरंतर जल निकलता रहता है।

नैमिषारण्य धाम

ललिता देवी मंदिर

ललिता देवी मंदिर एक प्राचीन मंदिर है। जो नैमिषारण्य धाम ही स्थित हैं। यह मंदिर बहुत ही खूबसूरत है जहां हाथी-मूर्तियों द्वारा घिरे प्रवेश द्वार पर बहु-अंगों वाले देवता भी यहाँ हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब देवी सती ने दक्ष यज्ञ के बाद योगी अग्नि में आत्मदाह किया, तब भगवान शिव ने उनकी देह को कंधे पर ले शिव तांडव शुरू कर दिया।

ललिता देवी मंदिर
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