चमोली में घूमने की जगह। Places to visit in Chamoli

Shikha Sahu

चमोली गढ़वाल मंडल का एक खूबसूरत पहाड़ी जिला है जो अपने अंदर कई प्राकृतिक भंडारों को लिए बैठा है। दूर-दूर तक नम्र घास की चादर, पहाड़ी घाटियों से होकर गुजरती ठंडी हवा और साथ में बहती नदियों का संगीतमय आगाज। फूलों की घाटी से लेकर बद्रीनाथ जैसे तीर्थ स्थान चमोली के मुख्य आकर्षणों में गिने जाते हैं।अलकनन्दा नदी यहाँ की प्रसिद्ध नदी है

 

चमोली में घूमने की जगह। Places to visit in Chamoli


 

वसुधारा झरना

यह चमोली  से 143 किलोमीटर की दुरी पर है और वद्रीनाथ से 9 किलोमीटर की दुरी पर है कहा जाता है की जिस मनुष्य ने पाप किये होते है उस पर इस झरने की एक बुद भी नही गिरती है  इस झरने का जल अलकनन्दा नदी में बह जाता है 
गढ़वाल के चमोली जिले में कई छोटे-बड़े झरने  मौजूद हैं लेकिन चुनिंदा सबसे खास बसुधारा झरना है। इस झरने की  ऊंचाई लगभग 400 फीट की है। यहां तक पहुंचने के लिए बद्रीनाथ का सफर करना होगा।यह नीलकंठ बलाकुन पर्वत के पास है

वसुंधरा जल प्रपात

 

औली

यह चमोली से 108 किलोमीटर की दुरी पर स्तिथ है उत्तर भारत की चिलचिलाती गर्मी से राहत पाने के लिए औली का भ्रमण एक आदर्श विकल्प है। चमोली स्थित औली हिल स्टेशन उत्तराखंड के चुनिंदा सबसे खास पर्वतीय गंतव्यों में गिना जाता है। औली अपनी बर्फ से ढकीं चोटियों के लिए जाना जाता है, जो लगभग देवदार के जंगलों से घिरी हुई हैं।यहाँ पर बरफ से ढकी चोटियों और एडवेंचर का लुफ्त उठा सकते है

औली

 

गोपेश्वर

बद्रीनाथ से केदारनाथ के सफर ते दौरान गोपेश्वर पड़ता है। प्राकृतिक दृश्यों के अलावा आप चाहें तो चमोली स्थित धार्मिक स्थलों के दर्शन के लिए यहां आने का प्लान बना सकते हैं। इस स्थान को वो सीमा क्षेत्र कह सकते हैं जहां भगवान विष्णु के बाद शिव स्थलों की शुरूआत होती है। गोपेश्वर में भगवान भोलेनाथ का एक प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर भी मौजूद हैं जिन्हें गोपेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है

गोपेश्वर

 

फूलों का घाटी

आपको यहां अद्भुत पहाड़ी वनस्पतियों को करीब से देखने का मौका मिलेगा। फूलों की घाटी एक प्रमुख ट्रेक रूट के लिए भी प्रसिद्ध है यहाँ जुलाई से सितम्बर तक सबसे अधिक मात्रा में फूल होते है  जिसकी शुरुआत गोविंद घाट से होती है।यहा आपको 25  किलोमीटर से अधिक का पैदल ट्रैक करना पड़ेगा  गर्मियों के दौरान कुदरती खूबसूरती का आनंद लेने के लिए आप यहां आ सकते हैं।

फूलों का घाटी

बद्रीनाथ धाम

भगवान विष्णु को समर्पित यह पौराणिक मंदिर अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब पवित्र गंगा नदी पृथ्वी पर अवतरित हुई तो वे 12 धाराओं में विभक्त हो गई थीं जिनमें से एक धारा अंलकनंदा के रूप में प्रसिद्ध हुई। बद्रीनाथ के पीछे भी एक पौराणिक कथा प्रसिद्ध है। यहा पर सिर्फ 6 महीने ही मंदिर के कपाट खुलते है बाकि 6 महीने यहाँ पर काफी बर्फ़बारी होती है अप्रैल में मंदिर के कपाट भगतो के लिए खोल दिए जाते है वही नवम्बर माह में इन्हें बंद कर दिया जाता है

बद्रीनाथ

 

नंदप्रयाग

नंदप्रयाग पंचप्रयाग  विष्णुप्रयाग से लगभग 75 किलोमीटर की दुरी पहाड़ो से घिरे घाटी  पर स्तिथ है  उत्तराखंड के प्रसिद्ध पंच प्रयागों में नंद प्रयाग भी शामिल है। माना जाता है कि आज का नंदप्रयाग कभी यदु वंश का हिस्सा था। नन्दाकिनी तथा अलकनंदा नदी का संगम स्थल नंदप्रयाग है जो कि हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थानों में से एक है।जो की उत्तराखंड के पंचप्रयागों में दुसरा प्रयाग है

 

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