दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम आपको भारत के गुजरात राज्य के कच्छ क्षेत्र का सर्वोच्च बिन्दु कालो डूंगर (Kalo Dungar) के बारे में बताने वाले है। गुजरात के जगह पर न सिर्फ कुदरत का कमाल देखने को मिलेगा बल्कि धरती, पहाड़ और समुद्र के मिलन को देखकर आपका मन प्रफुल्लित हो उठेगा।

कच्छी भाषा में “कालो डूंगर” का अर्थ “काला पहाड़” होता है।
यह पहाड़ कच्छ ज़िले के मुख्यालय, भुज, से 97 किमी दूर और निकटवर्ती ग्राम खावड़ा से 25 किमी दूर खड़ा है। यहाँ से कच्छ के रण का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है। यहाँ से सनसेट का भी कमाल का व्यू मिलता है।
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यह जगह बिलकुल बॉर्डर के पास है, इस इलाके में आपको हरे-भरे पहाड़ों की खूबसूरती के साथ साथ समुद्र के पानी की आवाज और सुंदर बीच भी दिखेगा। यहाँ एक 400 वर्षीय दत्तात्रेय मंदिर भी है जो एक पर्यटन आकर्षण है।

मान्यता है कि महापुरूष प्रभु दत्तात्रेय जब पृथ्वी पर नीचे आये, तब उन्होंने गीदड़ों के एक झुंड को पाया जो भूख से मर रहे थे और जानवरों की लाचारी को देख भावुक हो गये और खुद को गीदड़ों के सामने भोजन के रूप में परोस दिया।
मन जाता है कि जैसे-जैसे वे उनके शरीर को खा रहे थे, वैसे-वैसे शरीर के वो भाग पुनर्जीवित हो जा रहे थे। इसी वजह से आज भी इस मंदिर में पुजारी हर शाम पूजा बाद के बाद गीदड़ों के झुंड को चावल खिलाते हैं।
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पहाड़ी पाकिस्तान सीमा से करीब स्थित है, यहां आर्मी पोस्ट भी है, जिसके आगे केवल सैन्य कर्मियों को ही जाने की अनुमति है।
कालो डूंगर के छोटी पर जाने के रास्ते में एक बेहद ही कमाल कि जगह भी आती है जिसे एंटी ग्रेविटी या चुंबकीय पहाड़ी भी कहते है। कालो डूंगर एंटी ग्रेविटी ढलान एक पहाड़ी सड़क है जहाँ गाड़ियाँ बिना किसी बल और बंद होने के बावजूद पीछे के तरफ लुढ़कते हैं।