ब्रिटिश अधिकारियों ने अपनी सहूलियत के लिए कई कस्बों और छोटी बस्तियों को हिल स्टेशनों और समर रिट्रीट में बदल दिया था। क्योंकि मैदानी इलाकों की गर्मी को सहन करना अंग्रेजों के लिए बहुत मुश्किल था, इसीलिए ब्रिटिश अधिकारियों को ठंडी जगह की तालाश रहती थी। लेकिन अब इन हिल स्टेशन्स में हमें कुछ बदलाव देखने को मिलते हैं।
दार्जिलिंग
दार्जिलिंग एक काफी मशहूर और खूबसूरत ट्रेवल डेस्टिनेशन में से एक है। यहां पर आकर आप
टॉय ट्रेन ट्रैवल के दौरान आप बतासिया लूप देख सकते हैं जो एक काफी फेमस पर्यटन स्थल है।
पचमढ़ी
करीब 19वीं शताब्दी में अंग्रेजों ने मध्य प्रदेश में पचमढ़ी की स्थापना की। पचमढ़ी में आपको कई ब्रिटिश हेरिटेज को दर्शाने वाली कई जगहें देखने को मिलती हैं। लेकिन अब यहां खूबसूरत हेरिटेज होटल बना दी गई हैं जहां पर देश विदेश से लोग अपनी छुट्टियां बिताने यहां आते हैं।
मसूरी
कहा जाता है कि यह अंग्रेजों द्वारा बनाया गया 1825 में पहला हिल स्टेशन और पहला रिजॉर्ट था। बाद में अंग्रेजों और गोरखाओं के बीच युद्ध छिड़ गया था। जिसके बाद मसूरी में रिजॉर्ट बनवाया गया। और मसूरी से चकराता के रास्ते में कई शिविरों का भी निर्माण कराया गया था।
देहरादून
यहां पर साफतौर पर अंग्रेजोंं के कल्चर को देखा जा सकता है। देहरादून में आपको कई कॉलेज और मिशनरी स्कूल देखने को मिल जाते हैं। यहां पर 1899 तक अंग्रेजों ने एक रेलवे स्टेशन भी विकसित कर दिया था।
ऊटी
ओट्टाकल मांडू के नाम से जाना जाना जाने वाले ऊटी शहर में ब्रिटिश शासन के तहत उधगमंडलम से बदलकर ऊटाकामुंड कर दिया गया। इसके बाद लोगो ने इसे और छोटा कर के ऊटी कर दिया। अंग्रेजों के लिए यह जगह रिजॉर्ट टाइप हुआ करती थीं, यहां पर नीलगिरि माउंटेन रेलवे स्टेशन का भी निर्माण किया गया था। और आज, यह स्थान अपने सुहावने मौसम के लिए जाना जाता है।
माथेरान
अंग्रेजों ने महाराष्ट्र के इस खूबसूरत हिल स्टेशन को भी सुहावने मौसम मैदानी इलाकों की गर्मी को कम करने के लिए और आराम करने के लिए विकसित किया था। जिसे 1907 में बनवाया गया था।
शिमला
जब अंग्रेजों ने इस क्षेत्र पर अधिकार कर लिया तो उसके बाद यहां अंग्रेजों द्वारा बंगले, चर्च और स्कूल बनवाए। इसके साथ ही अंग्रेजो ने यहां पर कालका-शिमला रेलवे लाइन विकसित की, जो यहां आने के लिए काफी जाना माना रूट है। शिमला एक बहुत ही सुन्दर और बेहतरीन टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनाती है।