प्रकृति की गोद में बसा है केरल का पलक्कड़, खूबसूरती ऐसी की वापस आने का मन नहीं करेगा
केरल का नाम आते ही मन मस्तिष्क में प्राकृतिक सौंदर्यता का परिदृश्य उभर कर सामने आता है, केरल स्थित पलक्कड़ कुछ ऐसा ही खास शहर है, जो अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए काफी प्रसिद्ध है।
एक शांत अवकाश के लिए यह जगह काफी खास मानी जाती है। पलक्कड़ केरल राज्य को वो खास शहर है जहां घूमने का प्लान आप साल के किसी भी मौसम में बना सकते हैं। आज के इस पोस्ट में हम पलक्कड़ स्थित खूबसूरत स्थलों के बारे में जानेंगे –
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पलक्कड़ कोयंबटूर से 52 किमी की दूरी पर स्थित है, जो चारों तरफ हरियाली से घिरा हुआ है। पलक्कड़ को पालघाट भी बोला जाता है। पलक्कड़ को उत्तर से केरल के प्रवेश द्वार के रूप में जाना जाता है। यह अपनी खूबसूरती के लिए काफी प्रसिद्ध है।
यहां के प्राचीन घने जंगल, हरे-भरे धान के खेत, खूबसूरत झरने और समृद्ध इतिहास, सभी मिलकर केरल के पश्चिमी घाट के तल में स्थित पलक्कड़ को एक आकर्षक पर्यटन स्थल बनाते हैं।
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पलक्कड़ में आप प्रकृति का अवलोकन काफी करीब से कर सकते हैं। इस स्थान का नाम मलयालम शब्द पाला (एक प्रकार का वृक्ष) और काडु (वन) को मिलाकर पड़ा है। इतिहास के अनुसार, यहां कभी एक शानदार जंगल हुआ करता था, जहां पाला वृक्ष के भीनी-भीनी सुगंध वाले फूलों की भरमार थी।
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पलक्कड़ के घने जंगलों में वनस्पतियों और जीवों की भव्य प्रजातियां पाई जाती हैं। नाना प्रकार के रिजर्व, राष्ट्रीय उद्यानों और पक्षी अभयारण्यों के मध्य घूमना-फिरना एक ऐसा अनुभव है, जिसे आसानी से भुलाया नहीं जा सकता।
मंत्रमुग्ध कर देने वाला मयिलादुमपारा मयूर एक ऐसा अभयारण्य है, जहां आपको कई मोर भव्य रूप से नाचते हुए दिखाई पड़ सकते हैं, परम्बिकुलम वन्यजीव अभयारण्य में जलाशयों की तलाश में घूमते बाघ दिखाई देना यहां के लिए आम बात है।
पलक्कड़ में घूमने वाली जगह मालमपुझा बांध है, जो पलक्कड़ रेलवे स्टेशन से 9 कि.मी. की दूरी पर है। मालमपुझा बांध एक बड़ा सिंचाई बांध है। बांध के पास एक खूबसूरत गार्डन भी हैं।
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पलक्कड़ फोर्ट हैदर अली द्वारा निर्मित केरल में सबसे अच्छे किलों में आता है। जिसे पलक्कड़ का किला भी बोलते है। किले के आस-पास विशाल मैदान है, जो कोटा मैदानम के नाम से जाना जाता है। किला परिसर में एक सब-जेल और शहीद का स्तंभ भी है।
परम्बिकुलम बाघ अभयारण्य तमिलनाडु में इंदिरा गांधी वन्यजीव अभयारण्य के नजदीक स्थित है। यहां आपको हाथियों, जंगली सूअर, सांभर, गौर, मगरमच्छ और बाघों जैसे जंगली जानवर भी देखने के लिए मिलेंगे।
साइलेंट वैली एक वर्षा वन है। यह भारत के सबसे छोटे राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है, और भारत में एकमात्र वर्षा वन है। यहां सैरंध्री वॉच टावर भी है, जहां तक जाने के लिए वाहनों की अनुमति भी है। पलक्कड़ पर्यटन मे यह काफी देखा जाने वाला उद्यान है।
यह स्थान नैल्लियंपैथी , मंगलम बांध , मीनकारा बांध ,मीनवल्लम वाटरफॉल ,कालपैथी विश्वनाथ स्वामी मंदिर आदि के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। इन स्थानों पर घूमने के लिए लोग दूर-दूर से आते है।
पहाड़ों के बीच एक 40 किमी का एक दर्रा है, जिसे पलक्कड़ गैप के नाम से जाना जाता है, जहां से होकर पलक्कड़ तक जाने का रास्ता जाता है। इस दर्रे से होकर बहुत-से अधिवासी इस जमीन पर आकर बस गए और धीरे-धीरे यहां मसाला व्यापार पनपने लगा। आज भी पलक्कड़ विभिन्न संस्कृतियों का मिश्रण है, और इसके अलावा इस क्षेत्र ने कुछ बेहतरीन कर्नाटक संगीतकार भी दिए हैं।
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आप यहां फ्लाइट और ट्रेन से भी आ सकते है। पलक्कड़ के दो करीबी एयरपोर्ट हैं, जो पलक्कड़ से कुछ ही दूरी पर है, पहला कोयंबटूर एयरपोर्ट (68 किमी) और दूसरा कोचीन एयरपोर्ट (107 किमी) है। इसके अलावा दो रेलवे स्टेशन है, जो मुख्य शहर पलक्कड़ जंक्शन से 5 किमी दूर है और दूसरा पलक्कड़ टाउन रेलवे स्टेशन है।
अगर आपने पलक्कड़ जाने का मन बना लिया है, तो पलक्कड़ जाने का सबसे अच्छा समय सितंबर से मई के बीच का है। इस जगह को पूरी तरह घूमने के लिए कम से कम 2 दिन का समय लगता है।