एशिया का सबसे बड़ा किला, जहाँ रानी पद्मिनी समेत हज़ारों वीरांगनाओं ने किया था जौहर!

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राजस्थान जो अपने महलों, किलों के साथ ही अपने गौरवपूर्ण इतिहास के लिए जाना जाता है। संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत पिछले कुछ समय में बहुत चर्चा में रही और साथ ही पुरे देश में चित्तौडग़ढ़ किले और यहाँ हुआ जौहर भी काफी चर्चा में रहा।

और आखिर हो भी क्यों न, इस किले और इस ऐतिहासिक नगरी चित्तौडग़ढ़ के स्वाभिमानी और गौरवशाली इतिहास की प्रतीक रानी पद्मिनी और अन्य हजारों वीर और वीरांगनाएं जो हैं।

राजस्थान की इस अनमोल विरासत चित्तौडग़ढ़ के वीर-वीरांगनाओं का नाम इतिहास के पन्नों में स्वाभिमान, आक्रांताओं के सामने झुकने के बजाय मर मिटने के लिए पहचाना जाता है। तो आज हम आपको चित्तौडग़ढ़ किले के कुछ महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों के बारे में बताने वाले हैं।

विजय स्तम्भ :

मेवाड़ नरेश राणा कुम्भा ने युद्ध में अपनी जीत के प्रतीक के रूप में विजय स्तम्भ आज से करीब 600 वर्ष पहले बनवाया था। विजय स्तम्भ चित्तौडग़ढ़ किले के सबसे खूबसूरत और सबसे महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों में से एक है। कुल 9 मंजिलों में बने इस विजय स्तम्भ स्मारक की ऊंचाई करीब 122 फ़ीट है जिसमे करीब 157 सीढ़ियां भी मौजूद है।

इन सीढ़ियों की सहायता से पहले पर्यटक इस स्तम्भ के अंदर ऊपर तक भी जा सकते थे लेकिन अब सुरक्षा कारणों की वजह से इसे बंद कर दिया गया है। चारों ओर बने हरे भरे बगीचे के बीच इस प्राचीन ओर बेहद अद्भुत वास्तुकला के उदारहण विजय स्तम्भ को देखना सच में हमारे लिए एक अनोखा अनुभव था।

मीरा बाई मंदिर:

मीरा बाई मंदिर के लिए कहा जाता है की ये वही मंदिर है जहाँ मीरा बाई श्री कृष्णा जी की पूजा किया करती थीं ओर इसी मंदिर परिसर में कुम्भ श्याम मंदिर भी मौजूद है। दोनों मंदिर की सरंचनाएं सच में अद्भुत है और चित्तौड़गढ़ किले की अनेक वास्तुकला के आश्चर्यों की तरह ही ये मंदिर भी बेहद शानदार वास्तुकला के पर्याय हैं। जब आप चित्तौड़गढ़ किले में प्रवेश करते हैं तो प्रवेश द्वार के पास होने की वजह से आप सबसे पहले ही मीरा बाई मंदिर जा सकते हैं।

पद्मिनी महल:

यह वही स्थान है जिसके बारे में कहा जाता है कि यहाँ रानी पद्मावती ने अलाउद्दीन खिलजी को अपनी एक झलक दिखाने की अनुमति दी थी। पद्मिनी महल एक बेहद बड़े परिसर में बना हुआ है और वहां मौजूद महल से आप सामने बाहर की ओर तालाब में एक छोटा महल देख सकते हैं।

वहां गाइड के द्वारा हमें बताया गया की ये वही महल है जहाँ रानी पद्मिनी खड़ी थीं और जिनका प्रतिबिम्ब इस तालाब के पानी में आया और फिर उस प्रतिबिम्ब को शीशे की मदद से खिलजी को दिखाया गया था।

कालिका माता मंदिर:

चित्तौडग़ढ़ किले के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों में से एक है कालिका माता जी का मंदिर जो की विजय स्तम्भ से करीब 1 किलोमीटर दूर है। लेकिन आपको बता दें की चित्तौडग़ढ़ किले में इन सभी पर्यटन स्थलों तक जाने के लिए आपको पैदल यात्रा करने की जरुरत नहीं पड़ेगी क्योंकि लगभग हर पर्यटन स्थल में आप अपने साधन या फिर ऑटो वगैरह जिससे आप किले तक पहुंचे हैं, उसी से आसानी से जा सकते हैं।

जौहर स्थल:

विजय स्तम्भ परिसर में ही अगर आप पीछे की तरफ कुछ दूर चलते हैं तो आप एक बग़ीचा देखेंगे और बग़ीचे में मौजूद कुछ बेहद आकर्षक और प्राचीन मंदिर सच में आपका ध्यान खींच लेंगे।

इसी बग़ीचे में मौजूद है जौहर स्थल। आपको बता दें की जैसे की हमें वहां जानकारी मिली, जहाँ जौहर किया गया था वो स्थान चित्तौडग़ढ़ किले में ही मौजूद है जिसे पहले पर्यटकों को दिखाया भी जाता था लेकिन अब सुरक्षा कारणों की वजह से कुंड को मिटटी से भर दिया गया है।

गौरी कुंड:

जौहर स्थल से कुछ दूर और अगर आप जायेंगे तो पहले आप समाधिश्वर मंदि पहुचेंगे। ये मंदिर भी बेहद खूबसूरत था और फिर इसके पीछे की तरफ जाकर हमें गौरी कुंड दिखा जहाँ नीचे जाने के लिए कुछ सीढ़ियां बानी हुई थी। इस जगह से गौरी कुंड के साथ चित्तौडग़ढ़ किले और चित्तौडग़ढ़ शहर का नज़ारा सच में अद्भुत था।

कीर्ति स्तम्भ:

कीर्ति स्तम्भ भी चित्तौडग़ढ़ किले के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है और यहाँ आपको कई जैन तीर्थकरों की मूर्तियां दिख जाएँगी। इस स्तम्भ की ऊंचाई करीब 22 मीटर है।

राणा कुम्भा महल:

चित्तौडग़ढ़ किले में मौजूद सबसे बड़े स्मारक और सबसे पुराने महल के रूप में जाने जाना वाला महल है राणा कुम्भा महल। ये शानदार और विशाल महल 15वीं शताब्दी में बनाया गया था जहाँ राणा कुम्भा ने अपना शाही जीवन व्यतीत किया था।

अगर आप चित्तौडग़ढ़ किले या फिर ऐसी ही और भी कई पर्यटन स्थलों के बारे में जानना चाहते है तो कृपया नीचे दिए गए लिंक के साथ हमारे YouTube चैनल WE and IHANA पर जरूर जाएँ।

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चित्तौडग़ढ़ किले पर कैसे पहुंचे ?

चित्तौडग़ढ़ शहर राजस्थान ही नहीं बल्कि देश के सभी महत्वपूर्ण शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है फिर चाहे बात सड़क मार्ग की हो या रेल मार्ग की। अगर आप जयपुर से आ रहे हैं तो करीब 310 किलोमीटर और झीलों की नगरी उदयपुर से चित्तौडग़ढ़ सिर्फ 110 किलोमीटर दूर है। हवाई मार्ग से आने के लिए भी आप पहले जयपुर या उदयपुर आ सकते हैं। चित्तौडग़ढ़ पहुंचने के बाद आप आसानी से ऑटो वगैरह की सहायता से करीब 6-7 किलोमीटर दूर चित्तौडग़ढ़ किले तक जा सकते हैं।

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