सोनपुर मेला घूमने की पूरी जानकारी || Sonpur Mela Tour Guide in Hindi 2023

एक साथ अपने कितने हाथी देखें है? कितने घोड़े देखे है? कितने बैल देखें है या यूँ कहें की कितने जानवर देखें है?

दस, बीस, सौ या हजार?

जवाब कुछ भी हो बिहार के सोनपुर मेले में जितने जानवर एक साथ होते है अपने शायद ही वैसा कही देखा होगा।

GK के किताब में हमने ये लाइन बहोत बार पढ़ी है, “बिहार का सोनपुर मेला न सिर्फ बिहार या भारत बल्कि पूरे एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला है।”

लेकिन बिहार के होने के कारन मुझे पता है अब वह बात नहीं है, जिस सोनपुर मेले में कभी सैकड़ों हाथी और हजारों घोड़े होते है आज वहां गिनती के एक दो हाथों होते है और वो भी एक दो दिन बाद देखने को नहीं मिलता है। लेकिन इसका मतलब ये कतई नहीं कि सोनपुर मेला अब घूमने लायक नहीं।

मजाल है कोई साइकिल लेकर भी मेला में प्रवेश कर जाए। तो आइए जानते है सोनपुर मेला से जुड़ी तमाम जानकारी ताकि जब कभी भी आप सोनपुर मेले का आनंद लेने की सोचे तो कुछ आपसे छूट न जाए।

सोनपुर मेला क्यों प्रसिद्ध है?

सोनपुर मेला को हरिहर क्षेत्र मेला के रूप में भी जाना जाता है। यह मेला पूरे एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला है। हालाँकि अब यहाँ अधिकांश पशु के खरीद बिक्री पर रोक लग गई है जिस वजह से ज्यादा पहुंच नहीं पहुंचते है।

सोनपुर मेला कब लगता है?

अबकी बार यानि 2022 में सोनपुर मेले का आयोजन 6 नवंबर से 7 दिसंबर तक तय किया गया है। हर वर्ष यह मेला कार्तिक पूर्णिमा स्नान के दिन शुरू होता है और पूरे एक महीने के लिए चलता है।

सोनपुर मेला कितने दिन चलता है?

सरकारी तौर पर इस मेले का आयोजन लगभग एक महीने के लिए होता है लेकिन आमतौर पर 45 से 60 दिनों तक मेले में चहल पहल देखने को मिलती रहती है। ऐसी धरना है कि जब मेला समाप्त हो जाता है तो दुकानदार अपने सामानों को काफी कम कीमत पर बेचते है और यहाँ से जाते है इसी वजह से सरकारी मेले के सम्पति के बाद भी लगभग 10 से 15 दिन लोगों का आना जाना लगा रहता है।

सोनपुर मेला 2022 के प्रमुख आयोजन

लेकिन अगर आपको मेले में भीड़, सरकारी आयोजन, सांस्कृतिक कार्यक्रम ये सब देखना है तो निश्चित रूप से आपको जल्दी जाना चाहिए। माने मेले के शुरू होने के शुरूआती 15 दिनों के भीतर, तभी आप मेले के असली रूप को देख पाएंगे।

इस बार 2022 में जिला प्रशासन सारण के तरफ से मेले के दौरान आठ आउटडोर खेलों का आयोजन करने का फैसला किया गया है।

जिलाधिकारी के मुताबिक डीईओ की ओर सेृ कबड्डी, खो-खो, वॉलीबॉल, रस्साकशी, हैंडबॉल, रोइंग (बोट रेसिंग), फुटबॉल और कुश्ती के लिए संयोजकों को नामित कर दिया गया है। ये सभी खेल मेले के दौरान 9 से 23 नवंबर के बीच आयोजित किए जाएंगे।

क्या खास है सोनपुर मेला में?

हरिहर क्षेत्र मेला की हृदय स्थली माने जाने वाली नखास एरिया में ही पर्यटन विभाग का मुख्य पंडाल होता है। इस पंडाल के मुख्य कला मंच पर प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। इन कार्यक्रमों में देश के विभिन्न राज्यों की लोक संस्कृति, लोक कला एवं लोक गायन की झांकियां कलाकार प्रस्तुत करते हैं।

मेले में तरह तरह के झूले, नाटक नौटंकी, थिएटर, खाने पन्ने के स्टाल और बिहार सरकार के अलग अलग विभाग के प्रदर्शनी लगे होते है। खेती बाड़ी वाले इलाके के कारन किसानी से सम्बंधित प्रदर्शनी और उससे जुड़े उपकरणों कि भी खूब बिक्री होती है।

सोनपुर मेला में क्या-क्या मिलता है?

किसी वक्त पर विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला में हाथी, घोड़े से लेकर सभी तरह के पशु पक्षी की बिक्री होती थी लेकिन आज यह मेला पशु मेला के बजाए एक आम मेले की तरह हो गया है।

हर मेले की तरह चाट-पकौड़ी, तरह तरह का खाने पिने की चीजें, मीणा बाजार में दैनिक उपयोग की वस्तुएं, ठण्ड के कारन ऊनी कपड़े, लड़की और फर्नीचर से लेकर तमाम तरह की छोटी बड़ी चीजें यहाँ उपलब्ध है।

इंटरनेट पर कई बार यह भी भ्रम और अफवाह फैलाया गया है कि सोनपुर मेले में लड़कियों की भी खरीद बिक्री होती है जो कि सत्य नहीं है। यहाँ लगने वाले थिएटर में लोग डांस का आनंद लेते है।

सोनपुर कैसे पहुंचे?

सोनपुर अच्छी तरह से बिहार के अन्य शहरों से जुड़ा हुआ है। सोनपुर बिहार की राजधानी पटना से बिलकुल करीब है जो कि महज 20 किलोमीटर ही दूर है। ऐसे में अगर आप ट्रैन से आना चाहे तो पटना, हाजीपुर या सोनपुर कही का टिकट ले सकते है।

सोनपुर का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा पटना है तो आप हवाई मार्ग से भी सोनपुर आसानी से पहुंच सकते है।

पटना पहुंचने के बाद आपको आराम से हाजीपुर होते हुए सोनपुर या सीधे दीघा ब्रिज से सोनपुर के लिए ऑटो कि सुविधा मिल जाएगी।

सोनपुर में कहा रुके?

वैसे तो सोनपुर में रुकने के अधिक विकल्प आपके पास मौजूद नहीं है ऐसे में आप रखने के लिए लिहाज से राजधानी पटना को चुने तो ज्यादा बेहतर है। पटना में होटल लेकर आप रुक सकते है जहाँ से आप 1-2 घंटे में सोनपुर पहुंच जायेंगे और फिर वहाँ से आसानी से लौट सकते है।

Share This Article
Co-Founder of Ghumo Bihar and Ghumne Ki Jagah. A passionate explorer and writer, he loves discovering new destinations and sharing authentic travel experiences. Through his work, Sachchidanand aims to inspire others to explore the hidden gems of India and beyond.
Leave a Comment