राजगढ़ में घूमने की जगह। Places to visit in Rajgarh

Shikha Sahu

मध्य प्रदेश राज्य में स्थित राजगढ़ जिला जहां पर काफी सारे मंदिर प्रसिद्ध है। यहां पर आस पास घूमने के लिए बहुत ही मनमोहक मंदिर है जहां पर बड़ी संख्या में पयर्टक आते है। कुछ प्रसिद्ध मंदिर जैसे श्यामजी साँका मंदिर-नरसिंहगढ़, नरसिंहगढ़ शहर, घुरेल पशुपतिनाथ मंदिर ब्यावरा जैसे कई पवित्र मंदिर स्थित है।

राजगढ़ में घूमने की जगह। Places to visit in Rajgarh


 

नरसिंहगढ़ शहर

इस शहर में सुंदर झील है जहां पर पुराना किला परिलक्षित होता है। यह शहर भोपाल से लगभग 83 किलोमीटर की दूरी पर है। साथ ही शहर में एक पवित्र शिव मंदिर है जिसे टोपिला महादेव के रूप में भी जाना जाता है। शरद महीनों में यह जगह बहुत ही सुंदर और खूबसूरत हो जाती है। वनस्पतियों के साथ पहाड़ियों की ढलान नीचे छोटी नदियों के साथ, हरे भरे घास में कालीन के साथ बैजनाथ महादेव मंदिर के ऊपर से सुखद पैनोरमा के साथ पानी की झीलों के साथ बहुत ही आकर्षक केंद्र बनता है।

नरसिंहगढ़ शहर -राजगढ़
नरसिंहगढ़ शहर -राजगढ़

श्यामजी साँका मंदिर-नरसिंहगढ़

इस मंदिर का निर्माण 16-17वी शताब्दी में राजा श्याम सिंह की स्मृति मे पत्नी भाग्यवती के लिए बनाया गया था। यह मंदिर राजस्थानी और मालवी प्रभाव को दर्शाता है। सुंदर और अच्छी तरह से नक्काशीदार पत्थर और ईंटे को मंदिर के निर्माण के लिए इस्तेमाल किया गया। इस मंदिर को राज्य सरकार द्वारा संरक्षित किया गया है।

श्यामजी साँका मंदिर-नरसिंहगढ़ , राजगढ़
श्यामजी साँका मंदिर-नरसिंहगढ़ , राजगढ़

घुरेल पशुपतिनाथ मंदिर ब्यावरा

यह मंदिर नगर ब्यावरा और सुठालिया के बीच मे स्थित है , इसकी ब्यावरा से दूरी 15 किलोमीटर है। इस एतिहासिक महत्व के पशुपति नाथ घूरेल मंदिर पर प्रति वर्ष सावन सोमवार को भारी भीड़ रहती है। मंदिर के पास गुफा भी है। इसमें शामिल श्रद्धालु नगर सहित क्षेत्र के कावड़िए सुठालिया स्थित शिवमंदिर पर विश्राम कर सुबह 5 बजे घोघरा घाट स्थित पार्वती नदी से जल भरकर लाते हैं। इसके बाद करीब 16 किलोमीटर दूर घुरेल की पहाड़ी पर स्थित भगवान शंकर की प्रतिमा पर चढ़ाते हैं।

घुरेल पशुपतिनाथ मंदिर ब्यावरा - राजगढ़
घुरेल पशुपतिनाथ मंदिर ब्यावरा – राजगढ़

श्री तिरुपति बालाजी मंदिर जीरापुर

तिरुपति बालाजी की महिमा दुनिया भर में मशहूर है। भारत के दक्षिण में स्थित तिरुपति देव में हर साल लाखों लोग दर्शन करने आते हैं। जीरापुर से भक्तों में से एक श्री ओम प्रकाश मूंदड़ा और उनकी पत्नी शकुंतला हैं। जब यह जोड़ा तिरुपति बालाजी के दर्शन के लिए पहुंचा, तो उनके दिमाग में एक विचार आया कि क्यों न जीरापुर में भी ऐसा ही भव्य मंदिर बनवाया जाए। तब से इस पवित्र मंदिर में कई श्रद्धालु भक्ति भाव से दर्शन करने आते है।

श्री तिरुपति बालाजी मंदिर जीरापुर - राजगढ़
श्री तिरुपति बालाजी मंदिर जीरापुर – राजगढ़

वेष्णोदेवी मंदिर सुठालिया-ब्यावरा

तहसील सुठालिया के निकट स्थित वेष्णोदेवी मंदिर मक्सूदनगढ-लटेरी मार्ग पर स्थित है। साथ ही इस मंदिर मे मॉ वेष्णोधाम गुफा का भी निर्माण किया गया है जो कि ये मंदिर मां वैष्णोदेवी मंदिर जम्मू कटरा का आभास कराता है। ब्यावरा ब्लॉक से 26 किलोमीटर दूर इस मंदिर में दूर दूर से दर्शन करने आते है। यह बहुत ही अद्भुत मंदिर है।

वेष्णोदेवी मंदिर सुठालिया-ब्यावरा , राजगढ़
वेष्णोदेवी मंदिर सुठालिया-ब्यावरा , राजगढ़

अंजनीलाल मंदिर ब्यावरा

अंजनीलाल मन्दिर धाम अजनार नदी के तट पर दशहरा मैदान के पास स्थित है। श्री अंजनीलाल मन्दिर धाम के प्रवेश स्थल पर एक भव्य एवं विशाल लाल पत्थर पर नक्काशी से युक्त प्रवेश द्वार बनाया गया है। इस मंदिर में माता जानकी, भगवान श्री राम जी, श्री लक्ष्मण जी एवं श्री अंजनीलाल जी के साथ विराजमान है। एक भव्य राज महल के समान इस मंदिर की आकृति है जिसके अंदर और बाहर श्वेत मकराना संगमरमर लगाया गया है। जिसमे कि गई सुन्दर नक्काशी, फानूस मंदिर, विशाल परदे और
जालियां, मंदिर को आकर्षक रूप प्रदान करते है।

अंजनीलाल मंदिर ब्यावरा - राजगढ़
अंजनीलाल मंदिर ब्यावरा – राजगढ़

भेसवामाता (बीजासन माता) मंदिर -सारंगपुर

इस मंदिर पर बसंत पंचमी के मौके पर एक माह का पशु मेला लगता है, जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु अपनी मन्नत पूरी करने के लिए यहां आते हैं। जहां मेला समिति को पशु मेले से प्रतिवर्ष लाखों रुपए की आय होती है, वही मंदिर दान पेटी से भी हर माह लाखों रुपए मिलते हैं। भेसवामाता (बीजासन माता)  मंदिर ट्रस्ट द्वारा संचालित होता है।

भेसवामाता (बीजासन माता) मंदिर -सारंगपुर , राजगढ़
भेसवामाता (बीजासन माता) मंदिर -सारंगपुर ,राजगढ़

 

श्रीनाथजी का बडा मंदिर राजगढ़

अति प्राचीन एवं भव्यता के लिए प्रसिद्ध नेवज नदी के तट पर पहाड़ियों के बीच श्रीनाथजी का बड़ा मंदिर स्थित हैं। नगर की पहचान स्थापित करने वाले इस भव्य मंदिर की शिल्पकला अति सुन्दर है, जिसकी छटा देखते ही बनती है।

नदी के तट पर स्थित होने से वर्षा ऋतु में नदी का जल स्तर बढने पर मंदिर का गर्भग्रह जलमग्न हो जाता हैं। संध्या के समय मंदिर के शिखर पर रोमाचंक द्र्शय देखने को मिलता है, दरअसल नदी में अपनी प्यास बुझाने वाले सेकड़ो कबुतर एक झुन्ड होकर मंदिर के शिखर के आसपास परिक्रमा करते देखे अति प्राचीन एवं भव्यता के लिए प्रसिद्ध नेवज नदी के तट पर पहाड़ियों के बीच श्रीनाथजी का बड़ा मंदिर स्थित हैं। नगर की पहचान स्थापित करने वाले इस भव्य मंदिर की शिल्पकला अति सुन्दर है, जिसकी छटा देखते ही बनती है।

नदी के तट पर स्थित होने से वर्षा ऋतु में नदी का जल स्तर बढने पर मंदिर का गर्भग्रह जलमग्न हो जाता हैं। संध्या के समय मंदिर के शिखर पर रोमाचंक द्र्शय देखने को मिलता है, दरअसल नदी में अपनी प्यास बुझाने वाले सेकड़ो कबुतर एक झुन्ड होकर मंदिर के शिखर के आसपास परिक्रमा करते दे जा सकते हैं। पक्षियों को देख कर ऐसा लगता है कि पक्षी भी भगवान की परिक्रमा कर पुण्य लाभ प्राप्त कर रहे हैं।

श्रीनाथजी का बडा मंदिर - राजगढ़
श्रीनाथजी का बडा मंदिर – राजगढ़

शनि मंदिर खिलचीपुर

इस मंदिर में शनिचरी अमावस्या पर जिले के एक मात्र प्राचीन शनि मंदिर पर भक्तों की भीड़ लगी रहती है। खिलचीपुर के नाहरदा स्थित परिसर में प्राचीन शनि मंदिर है। यहां जिले के साथ ही आसपास से हजारों लोग दर्शन के लिए आते है। कुछ वर्षों पहले घना जंगल हुआ करता था जिस मे शेर सहित अन्य खतरनाक जंगली जानवर हुआ करते थे जिस कारण लोगो को आने जाने मे काफी दिक्कते आती थी इस लिये कुछ समय बाद ही सन 1920 मे खिलचीपुर रियासत के महाराजा बहादुर सरकार दुर्जन लाल सिह जी के द्वारा वर्तमान मे इस स्थान पर शनि देव विराजमान है।

 

शनि मंदिर खिलचीपुर -राजगढ़
शनि मंदिर खिलचीपुर -राजगढ़

दोस्तों यदि जानकारी पसंद आई हो तो अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें ।

Share This Article
Leave a Comment