बरेली में घूमने की जगह। Places to visit in Bareli
बरेली शहर रोहिलखंड के ऐतिसाहिक क्षेत्र की राजाधानी के साथ साथ रामगंगा तट पर बसा हुआ था। बरेली का मशहूर सुरमा किसी भी पहचान का मोहताज नहीं है। लोग दूर दूर से यहां सुरमा लेकर जाते हैं। बरेली उत्तर प्रदेश के आठवें सबसे बड़े महानगर में से एक है। इसके साथ ही बरेली शहर ने बांस फर्नीचर और जरी से कारीगरी से लेकर व्यापार के हर क्षेत्र में अपनी अलग ही जगह बना ली है।
बरेली में घूमने की जगह। Places to visit in Bareli
अहिच्छत्र फोर्ट
इस स्थान पर दक्षिण पांचाल का उल्लेख भी मिलता है। अहिच्छत्र फोर्ट का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है, जो कि बरेली के आंवला तहसील रामनगर में स्थित है। आज यह टीला खंडहर के रूप में परिवर्तित हो चुका है, जिसके बीचों-बीच पहाड़ी की तरह टीले पर भीम शिलाखंड है, जिसे भीम गदा के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर 1662-63 में तीन टीलों की खोज की गई थी, इसके साथ ही यहां स्तूप भी पाया गया।

क्राइस्ट मेथोडिस्ट चर्च
बरेली शहर सर्वधर्म सद्भाव की भावना से अभी अछूता नहीं है। यहां का क्राइस्ट मेथोडिस्ट चर्च इस बात का जीता-जागता उदाहरण है, यह चर्च सिविल लाइन्स में स्थित है। 145 साल पुराने इस चर्च को डॉक्टर विलियम बटलर जो कि एक ब्रिटिश मिशिनरी थे, उन्होंने बनवाया था। साथ ही इस चर्च की खास बात यह है कि क्राइस्ट मेथोडिस्ट चर्च किसी भी बाहर के डोनेशन को नहीं स्वीकार करता है, बल्कि कम्यूनिटी के लोगों से ही डोनेशन इकट्ठा करता है।

अलखनाथ मंदिर
अलखनाथ जी का यह मंदिर हमेशा भजनों में रमें भक्तो और श्रद्धालुओं से भरा हुआ रहता है। इस नगरी की खास बात यह है कि बरेली शहर की चारों तरफ़ भगवान शिव जी के मंदिर स्थित है। और इन मंदिर परिसर में कई मठ भी स्थित है जिसमें विभिन्न देवी-देवताओं को अधिष्ठापित किया हुआ है। इन्हीं में से एक है अलखनाख जी का मंदिर हैजो कि बरेली-नैनीताल रोड पर स्थित किले के काफी करीब है और इस मंदिर को आनंद अखाड़े द्वारा संचालित किया गया है। इस मंदिर को नागा साधुओं की भक्तस्थली भी कहा जाता है। और बाबा अलाखिया के नाम पर ही इस मंदिर का नाम अलखनाथ मंदिर पड़ा है।

फन सिटी
इस पार्क में सभी आयु वर्ग के लोगों के लिये पार्क में मनोरंजन की भरपूर सुविधाएं उपलब्ध हैं। भारत में कई पार्क है जो फनसिटी के नाम के पार्क हैं, लेकिन बरेली का फन सिटी पार्क उत्तर भारत में सबसे बड़ा पार्क में शामिल है। यह पार्क न सिर्फ बरेली वासियों के लिए है बल्कि बाहर से आए पर्यटकों के लिए भी कुछ फुर्सत के पल बिताने के लिए और आराम फरमाने के लिए काफी लोकप्रिय जगह है।

गांधी उद्यान
यहां लहराता हुआ 135 फीट ऊंचा तिरंगा इसकी शान को और भी ज़्यादा बढ़ा देता है। बरेली शहर का गांधी उद्यान भी किसी पहचान का मोहताज नहीं हैं बल्कि इस शहर के अधिकतर लोगों का भी यहां आना होता है। आपको हर एजग्रुप के लोग इस उद्यान में दिख जाएंगे, बच्चों से लेकर बूढ़े-बुजुर्ग तक यहां आ कर इसका आंदन लेते है। यहां का वातावरण काफी ज़्यादा शांत हैं।

त्रिवटी नाथ मंदिर
त्रिवटी नाथ जी का यह मंदिर प्रेमनगर इलाके में स्थित है। ऐसा कहा जाता हैं कि यहां के दर्शन मात्र से ही सभी कष्टों का निवारण हो जाता हैं। कहा जाता है कि यह शिवलिंग लगभग 600 साल पुराना है। साथ ही हर साल देश के प्रसिद्ध संतों का प्रवचन इस मंदिर में होता है। जिस कारण यहां पर लोगों की भारी भीड़ होती हैं।

दरगाह आला हजरत
यह मशहूर दरगाह-ए-अला हज़रत अहमद रजा खान की दरगाह है, जो कि 19वीं शताब्दी के हनीफी विद्वान थे, साथ ही यह भारत में वहाबी विचारधारा के कट्टर विरोध के लिए भी जाने जाते हैं। जब भी कोई बरेली आता है, तो इस दरगाह में अर्जी लजाने जाता है। यहां इसी मान्यता भी है कि अगर यहां आप कोई मन्नत लेकर आते हैं, तो आपकी वो मन्नत जरूर पूरी होती है।

खानकाह-ए-नियाजिया
बरेली की खानकाहे नियाजिया की भी अपनी अलग ही पहचान है। बरेली की खानकाहे नियाजिया में हर साल ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के उर्स मुबारक के मौके पर कुल शरीफ की रस्म भी अदा की जाती है। यहां ऐसी मान्यता है कि अगर 17वीं रवी को यहां चिराग रोशन करेगा उसकी हर जायज मुराद कुबूल होती है और ये सिलसिला लगभग 300 वर्षों से लगातार चलता आ रहा है जिसमें देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी जायरीन शिरकत करते है।

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