सर्दियों का मौसम चल रहा है जिसका हम सभी को इंतज़ार रहता है क्योंकि इस खूबसूरत मौसम में हरी भरी पहाड़ियां सफ़ेद बर्फ से ढ़ककर छोटे वंडरलैंड का रूप जो ले लेती हैं।
ऐसे में किसका मन नहीं करेगा वहां जाकर ताज़ी ताज़ी बर्फ में खेलने का लेकिन ये भी आप सभी जानते हैं की लगभग सभी फेमस जगह जैसे मसूरी, नैनीताल, शिमला, मनाली आदि पर्यटकों से बहुत जल्द भर जाती है जिसके साथ ही आपको ये जगहें और साथ ही यहाँ गिरी बर्फ उस स्थिति में नहीं मिलती जैसा की आप चाहते हैं।
इसीलिए सभी पर्यटक ऐसी जगह की तलाश करते रहते हैं जहाँ भीड़ न हो और साथ ही उन्हें एकदम सफ़ेद व ताज़ी बर्फ से खेलने को मिले। तो आज हम आपको मसूरी के बेहद पास एक ऐसी ही जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ आपको बेहद खूबसूरत नज़ारों के साथ 51 शक्तिपीठों में से एक अद्भुत मंदिर में माता के दर्शन का सौभाग्य भी मिलेगा।
जी हाँ हम बात कर रहे हैं मसूरी-चम्बा रोड पर धनोल्टी से सिर्फ 6 किलोमीटर दूर कद्दूखाल में स्थित सुरकंडा देवी मंदिर की… तो चलिए बताते हैं आपको हमारी इस यात्रा के बारे में….
फरवरी महीने में हम हमारी मसूरी की यात्रा पर थे और थोड़े रिसर्च से हमे सुरकंडा माता मंदिर के बारे में जानकारी मिली। शक्तिपीठ मंदिर के दर्शनों के महत्त्व को देखकर ही हमने यहाँ जाने का फैसला कर लिया।
मसूरी से निकलने पर हम मसूरी-चम्बा रोड पर चल दिए और करीब 33 किलोमीटर चलने पर हम धनोल्टी पहुँच गए। रास्ते में मौजूद धनोल्टी भी एक बेहद खूबसूरत ऑफबीट डेस्टिनेशन है जहाँ मौजूद ईको पार्क रास्ते में ही आपको दिख जायेगा जहाँ आप कुछ समय बिताकर अपने आप को प्रकृति के बेहद करीब ले जा सकते हैं।
फिर कुछ देर आगे चलकर हमें बेहद खूबसूरत बर्फ से घिरी सड़क पर ड्राइव करने का मौका मिला जिसकी सच में हमने बिलकुल भी अपेक्षा नहीं की थी। साथ ही सड़क के एक ओर पहाड़ों के नज़ारे भी बेहद शानदार हो चुके थे।
धनोल्टी से करीब 6-7 किलोमीटर दूर हम कद्दूखाल पहुंचे जहाँ कुछ छोटी छोटी प्रसाद व नाश्ते वगैरह की दुकाने थी। वहां से आपको करीब 2 किलोमीटर की चढ़ाई करके मंदिर तक जाना होता है।
हालाँकि अब वहां पर रोपवे की भी शुरुआत हो चुकी है जिससे माता के भक्तों को मंदिर तक जाने में कोई परेशानी नहीं होती। अगर आप ट्रेक करके जाना चाहते हैं तो करीब 1 से 1:30 घंटे का समय लगता है इसे पूरा करने में।
मंदिर तक पहुँचने के बाद मंदिर की पहली झलक ने ही हमारी आधी थकान मिटा दी थी और फिर माता के दर्शनों के बाद पूरी थकान कहा गायब हो गयी इसका पता भी नहीं लगा।
पर्यटकों की इतनी भीड़ वहां नहीं थी और वहां हमें वो सुकून मिल रहा था जिसके लिए हर कोई यात्रा पर निकलता है। फिर माता के आशीर्वाद लेने के बाद हम मंदिर के बाहर गए और बाहर से चारों और का नज़ारा सच में बेहद अद्भुत था।
कुछ देर उस खूबसूरत नज़ारे को अपने मन के साथ कुछ फोटोज में समेटने के बाद हम मंदिर के पीछे की ओर गए और वहां का नज़ारा देखकर हम स्तब्ध थे। चारों और एकदम ताज़ी बर्फ से ढकी पहाड़ियां देखकर हम बेहद खुश हो गए और हो भी क्यों न क्योंकि ऐसे नज़ारों की हमने बिलकुल भी उम्मीद नहीं की थी।
बस देर किस बात की, हमने बर्फ में खेलने की सारी ख्वाइशे पूरी करना शुरू कर दिया। चूँकि यहाँ पर्यटकों की आवाजाही अन्य फेमस पर्यटन स्थलों से बेहद कम रहती है इसीलिए बर्फ बिलकुल भी मैली नहीं हुई थी जो की हमारे लिए बहुत अच्छा था।
तो इन सर्दियों के मौसम में अगर आप भी कोई ऐसी ही जगह ढूंढ रहे हैं तो हम आपको यहाँ बिना सोचे जाने का सुझाव देंगे।
अगर आपको ऐसी ही और भी जगह के बारे में जानना है तो आप हमारे अन्य आर्टिकल्स भी पढ़ सकते हैं और आगे भी हम ऐसी ही कई जगह के बारे में हमारे नए लेखों में बताते रहेंगे जिसके लिए आप हमसे जरूर जुड़े रहें।
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