प्राचीनकाल में सीहोर को सिद्धापुर के नाम से जाना जाता था। मध्य प्रदेश का सीहोर शहर विंध्या पर्वत श्रृंखला पर स्थित है। नर्मदा, कुलस पापनास, पर्बती, सिवान, लोटिया और कोलार नदियां बहती हैं। मान्यता है कि, योग गुरु महर्षि पतंजलि ने अपने जीवन का कुछ समय सीहोर में बिताया था। इस ऐतिहासिक व धार्मिक शहर में कई मंदिर, मठ, मस्जिद व इमारतें स्थित होने के कारण यह आगंतुकों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
सीहोर में घूमने की जगह। Places to visit in Sihore
गणेश मंदिर सीहोर
पौराणिक कथा के अनुसार, यह उज्जैन के विक्रमादित्य के समय का है और मराठा पेशवा बाजीराव के द्वारा नवीनीकृत किया गया है। सिद्ध गणेश मंदिर उ-पश्चिम दिशा में गोपालपुर गांव में स्थापित है। प्रत्येक बुधवार, बड़ी संख्या में भक्त यहां दर्शन को आते हैं। गणेश मंदिर जिला मुख्यालय से 3 किमी दूर है। गणेश चतुर्थी त्यौहार भी यहां लोकप्रिय है।

कुंवर चैनसिंग की समाधी
ये समाधियां नरसिंहगढ़ स्टेट के देशभक्त युवराज चैनसिंह और ब्रिटिश पोलिटिकल मिस्टर मंशांक के बीच की ऐतिहासिक लड़ाई की याद दिलाते हैं। शासन द्वारा प्रति वर्ष जुलाई माह में इनके सम्मान में कार्यक्रम आयोजित कर गार्ड ऑफ़ ऑनर दिया जाता है। कुंवर चैन सिंह की समाधी : कुंवर चैनसिंह समाधी सीहोर – इंदौर रोड पर लोटिया नदी के तट पर दशहरा वाला मैदान में 2 किमी दूर हैं।

ऑल सेंट्स चर्च
यह इमारत स्कॉटलैंड के एक चर्च की सटीक प्रतिकृति है। ऑल सेंट्स चर्च का निर्माण सन 1838 में ब्रिटिश पोलिटिकल एजेंट द्वारा बनाया गया था। यहां तक कि मुख्य रूप से लंबे बांस के पेड़ों सहित आसपास की हरियाली, मूल से मेल करने के लिए डिज़ाइन की गई थी।

विंध्यवासिनी माता मंदिर सलकनपुर
प्रत्येक नवरात्री को यहाँ मेला आयोजित किया जाता है। विंध्यवासनी बीजासन देवी का यह पवित्र सिद्धपीठ देवी “दुर्गा” रेहटी तहसील मुख्यालय के पास सलकनपुर गाँव में एक 800 फुट ऊँची पहाड़ी पर है। यह बहुत प्राचीन मंदिर है। मंदिर तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां मार्ग तथा पैदल मार्ग भी है जिसमे 1000 से ज्यादा सीढ़ियां हैं।

सरु मरू की गुफाये
यह स्थल सांची से लगभग 120 किलोमीटर दूर है। यह स्थल सीहोर जिले के बुधनी तहसील के ग्राम पान गुराड़िया के पास स्थित है। अशोक के पुत्र महेंद्र कुमार की यात्रा का उल्लेख है। इस स्थल में कई स्तूपों के साथ-साथ भिक्षुओं के लिए प्राकृतिक गुफाएं भी हैं। गुफाओं में कई बौद्ध भित्तिचित्र (स्वस्तिक, त्रिरत्न, कलश …) पाए गए हैं।

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