इस शहर में आंशिक रूप से मैदानी और पहाड़ी इलाक़े हैं। विंध्य और अरावली से घिरा हुआ यह शहर इतिहास प्रेमियों के लिए अद्भुत और स्वर्ग के समान माना जाता है। यहां का प्रमुख आकर्षण का केंद्र रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान और यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है। और यहां की सबसे खास बात यह है कि इस शहर में कई शासन और घटना देखी है।
सवाई माधोपुर में घूमने की जगह। Places to visit in Sawai Madhopur
रणथंभौर किला
यह एक शाही किला है। जो कि 12 वीं शताब्दी से अस्तित्व में है, और यह किला राजस्थान में उन लोगों के लिए एक खास पर्यटन स्थल है जो रॉयल जीवन को देखना चाहते हैं। यूनेस्को द्वारा रणथंभौर किले को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है। क्योंकि यह एक पहाड़ी किला है। यह किला राजस्थान का एक बहुत ही अदभुत और शानदार किला है।

रणथंभौर नेशनल पार्क
यह नेशनल पार्क अरावली और विंध्य पहाड़ियों अर बसा रणथंभौर नेशनल पार्क है जो अपने वनस्पतियों, जीवों और बाघों के लिए जाना जाता है। 392 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले हुए इस नेशनल पार्क में कई विदेशी प्रजातियों के लिए एक प्राकृतिक आवास की जगह भी है। यह नेशनल पार्क राजस्थान राज्य के सबसे अच्छे बाघ अभ्यारण्यों में से एक है जो कि फ्रेंडली” बाघों के लिए जाना जाता है।

श्री घुश्मेश्वर मंदिर
इस मंदिर को भगवान् शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से अंतिम माना जाता है। यहां ऐसी कई पौराणिक कथाएँ हैं, जो इसके इर्द-गिर्द घूमती हैं। और इसकी सबसे खास बात यह है कि इस मंदिर की सबसे लोकप्रिय कहानी भगवान शिव की महानता के बारे में बताती है, भगवान शिव ने अपने भक्त घुश्मा के पुत्र को फिर से जीवित कर दिया था और उनके नाम पर घुश्मेश्वर के रूप में देवगिरी पहाड़ियों में निवास करने का वादा भी किया था।

टोंक
टोंक शहर जयपुर से लगभग 96 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जो कि एक शांतिूर्ण शहर है। और यह शहर अपने कई पर्यटन स्थलों के लिए भी जाना जाता है। यह राजस्थान का एक ऐसा ऐतिहासिक स्थान है जहां पर पहले अफगानिस्तान के ‘पठानों’ का शासन हुए करता था। यह टोंक शहर के सबसे ज़्यादा पर्यटकों द्वारा देखा जाने वाला पर्यटन स्थलों में से एक है। टोंक का प्रमुख आकर्षण गोल्डन बंगला और सुनहरी कोठी है। यह बंगला आश्चर्यजनक रूप से सजा हुआ है, जो कि बहार से दिखने में बहुत ही साधारण है।
सुनहरी कोठी टोंक
यह कोठी राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। सुनहरी कोठी जिन्हे सोने की हवेली के नाम से जाना जाता हैं। और इस महल की अंदर की दीवारों को सोने के पॉलिश कर के सजाया गया है साथ ही दीवारों पर कांच की भी कलाकारी की गई है। जो की इस महल का आकर्षण का केंद्र है। ऐसा कहा जाता है कि टोंक के नवाब मोहम्मद इब्राहिम अली खान ने इस महल का निर्माण संगीत और नृत्य लिए के लिए किया था।

जामा मस्जिद
यह मस्जिद अपनी वास्तुकला के लिए जानी जाती है। इसके साथ ही मस्जिद जटिल पैटर्न के साथ अंदर और बाहर से नाजुक रूप से सजी हुई है। टोंक के पहले नवाब, नवाब अमीर खां ने इस मस्जिद का निर्माण किया था। और उनके बेटे ने इसे 1298 में पूरा किया गया। यह मस्जिद राजस्थान की सबसे बेहतरीन मस्जिदों में से एक हैं।
जामा मस्जिद
कांधार फोर्ट
सवाई माधोपुर से सिर्फ 45 किलोमीटर दूर स्थित कांधार खंडर किला है। ऐसा कहा जाता है कि यहां के राजा ने कभी युद्ध नहीं हारा। इसके साथ ही इस किले पर सिसोदिया राजाओं द्वारा लंबे समय तक शासन किया गया था।

हाथी भाटा
इस स्मारक में राजा नल और दमयंती की कहानी को बताते हुए एक शिलालेख है। सवाई माधोपुर राजमार्ग हाथी भाटा टोंक से लगभग 20-30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। एक ही पत्थर से निर्मित यह शानदार जीवन आकार का पत्थर का हाथी बना हुआ है।

कैला देवी मंदिर
यह मंदिर करौली से लगभग 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जो कि कैला देवी मंदिर देवी जी को समर्पित है। यहां मन्दिर में हर दिन भोग प्रसाद के साथ लाल झंडे चढ़ाने के लिए भक्त दूर दूर से आते है।

श्री महावीर जी मंदिर
यह एक प्राचीन मन्दिर है। जिस जगह पर श्री महावीर जी मंदिर बनवाया गया है वहां करीब 200 साल पहले खुदाई में महावीर जी की मूर्ति मिली थी। इस गांव को पहले चंदनपुर के नाम से जाना जाता था। फिर महावीर जी की एक प्राचीन मूर्ति की मिट्टी से खुदाई करने पर निकली जिसकी वजह से यह स्थान जैन धार्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध हो गया था।
