छत्तीसगढ़, भारत में 7 वां चाय पैदा करने वाला सबसे बड़ा राज्य है और सरगुजा और जसपुर, चाय की पैदावार के लिए सबसे उपयुक्त स्थल है। इन स्थानों को रामगढ़, सीता – भेनगरा और लक्ष्मणगढ़ कहा जाता है। सरगुजा, छत्तीसगढ़ के उत्तरी भाग में स्थित है और इसकी सीमा उत्तर प्रदेश और झारखंड से मिलती है।
सरगुजा घूमने की जगह। Places to visit in Sarguja
महेश्पुर
उदयपुर से केदमा मार्ग पर जाना पड्ता है। महेश्पुर, उदयपुर से उत्तरी दिशा में 08 किमी. की दूरी पर स्थित है। इसके दर्शनीय स्थल प्राचीन भगवान विष्णु-लक्ष्मी मूर्ति, शिव मंदिर (दसवीं शताब्दी), गंगा-जमुना की मूर्तिया, दर्पण देखती नायिका और 18 वाक्यो का शिलालेख हैं।
देवगढ़
देवगढ में गोल्फी मठ की संरचना शैव संप्रदाय से संबंधित मानी जाती है। अम्बिकापुर से लखंनपुर 28 किमी. की दूरी पर है एवं लखंनपुर से 10 किमी. की दूरी पर देवगढ स्थित है। देवगढ में रेणुका नदी के किनारे एकाद्श रुद्ध मंदिरों के भग्नावशेष बिखरे पडे है। इस शिवलिंग के मध्यभाग पर शक्ति स्वरुप पार्वती जी नारी रूप में अंकित है। इस शिवलिंग को शास्त्रो में अर्द्ध नारीश्वर की उपाधि दी गई है।
रामगढ़ पहाड़ी
यह अम्बिकापुर- बिलासपुर मार्ग में स्थित है। एक प्राचीन मान्यता के अनुसार भगवान राम भाइ ल्क्ष्मण ओर पत्नी सीता के साथ वनवास काल मे निवास किए थे। रामगढ़ सरगुजा के एतिहासिक स्थलो में सबसे प्राचिन है। रामगढ भगवान राम एवं महाकवि कालीदास से सम्बन्धित होने के कारण सोध का केन्द्र बना हुआ है।
कैलाश गुफा
इसे परम पूज्य संत रामेश्वर गहिरा गुरू जी नें पहाडी चटटानो को तराशंकर निर्मित करवाया है। इसके दर्शनीय स्थल गुफा निर्मित शिव पार्वती मंदिर, बाघ माडा, बधद्र्त बीर, यज्ञ मंड्प, जल प्रपात, गुरूकुल संस्कृत विद्यालय, गहिरा गुरू आश्रम है। अम्बिकापुर नगर से पूर्व दिशा में 60 किमी. पर स्थित सामरबार नामक स्थान है, जहां पर प्राकृतिक वन सुषमा के बीच कैलाश गुफा स्थित है।
बुद्ध मंदिर, मैनपाट
प्राकृतिक सम्पदा से भरपुर यह एक सुन्दर स्थान है। मैनपाट अम्बिकापुर से 75 किलोमीटर दुरी पर है इसे छत्तीसगढ का शिमला कहा जाता है। यहां सरभंजा जल प्रपात, टाईगर प्वांइट तथा मछली प्वांइट प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं। मैंनपाट विन्ध पर्वत माला पर स्थित है जिसकी समुद्र सतह से ऊंचाई 3781 फीट है इसकी लम्बाई 28 किलोमीटर और चौडाई 10 से 13 किलोमीटर है।
ठिनठिनी पत्थर
इन पत्थरो को किसी ठोस चीज से ठोकने पर आवाजे आती है। अम्बिकापुर नगर से 12 किमी. की दुरी पर दरिमा हवाई अड्डा हैं। सर्वाधिक आश्चर्य की बात यह है कि ये आवाजे विभिन्न धातुओ की आती है। इस पत्थरो मे बैठकर या लेटकर बजाने से भी इसके आवाज मे कोइ अंतर नही पडता है। एक ही पत्थर के दो टुकडे अलग-अलग आवाज पैदा करते है। इस विलक्षणता के कारण इस पत्थरो को अंचल के लोग ठिनठिनी पत्थर कहते है।