धमतरी में घूमने की जगह। Places to visit in Dhamtari
यह कई जिलों से भी घिरा हुआ है जैसे उत्तर में रायपुर जिला, दक्षिण में कांकेर और बस्तर जिला, पूर्व में उड़ीसा राज्य और पश्चिम में दुर्ग जिले से घिरा हुआ है। इसे कनकननदी, चित्रोत्पला, नीलोत्पला, मंदवाहिनी और जयरथ आदि नामों से भी जाना जाता है। इसकी पूर्व दिशा में सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला स्थित है। महानदी इसकी प्रमुख नदी है।
धमतरी में घूमने की जगह। Places to visit in Dhamtari
जबर्रा- ईको टूरिज्म
यह लंबी पैदल यात्रा, ट्रेकिंग, नेचर ट्रेल वॉक के लिए एक उभरता हुआ पर्यटन स्थल है। जबर्रा गाँव औषधीय पौधों के लिए अपनी अनूठी प्राकृतिक छटा के लिए प्रसिद्ध है।

श्रृंगी ऋषि आश्रम
यह स्थान महानदी नदी का उद्गम है। ‘सिहावा’ की पहाड़ियों पर, ‘महेंद्रगिरि’ के नाम से प्रसिद्ध ‘त्रेतायुग के प्रसिद्ध श्रृंगी ऋषि’ का आश्रम है। श्रृंगी ऋषि आश्रम तांत्रिक पूजा का महत्वपूर्ण स्थान रहा है।

गंगरेल बाँध
गंगरेल बाँध में जल धारण क्षमता 15,000 क्यूसेक है। गंगरेल बांध का एक और नाम रविशंकर बांध है। धमतरी जिले में, यह स्थान पर्यटकों के लिए काफी प्रसिद्ध है। यह बांध सबसे बड़ा और सबसे लंबा बांध माना जाता है। इस बांध का निर्माण महानदी पर किया गया है।

मुरुमसिल्ली बाँध
यह छत्तीसगढ़ में सबसे प्रमुख वास्तुशिल्प चमत्कारों में से एक है। यह छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में स्थित है। माडमसिल्ली बांध, जिसे मुरुमसिल्ली के नाम से भी जाना जाता है, यह महानदी की एक सहायक, सिलयारी नदी पर स्थित है। रायपुर से माडमसिल्ली बांध लगभग 95 किमी दूर है।

बिलाई माता धमतरी
मां विंध्यवासिनी का मुख्य मंंदिर उत्तर प्रदेश के विंध्याचल की पहाड़ियों में स्थित है। माता बिलाई का मंदिर नगर के दक्षिण में महा नदी के किनारे स्थित है। बिलाई माता को मां विंध्यवासिनी के रूप में भी जाना जाता है। यह बली मनोकामना की पूरे हो जाने के पश्चात माता को चढ़ाई जाती है। यह धमतरी जिला का मुख्य मंदिर है।

रुद्री डैम धमतरी
डैम सबसे पुरानी सिंचाई परियोजना में से एक है। यह डैम जिले के मुख्य शहर से मात्र 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रुद्री डैम एक ऐतिहासिक डेम है जिसे भारत के सरकार ने नहीं बल्कि अंग्रेजों ने बनवाया था। यह डैम 19वीं सदी में बनवाया गया था।यह डैम महानदी पर बनाई गई है।

सिहावा पर्वत
यह एक देखने लायक जगह है। सिहावा पर्वत महानदी का उद्गम स्थल है। कहा जाता है कि लिए पर्वतों पर आकर श्रृंगी ऋषि ने तप किया था और श्रृंगी ऋषि का तपोस्थली आज भी यहां पर मौजूद है। यहां पर ऊपर पहाड़ चड़ने पर आपको एक मंदिर मिलेगी जहा पर श्रृंगी ऋषि का तपो स्थल भी मौजूद है।
