यह गुजरात का सबसे पुराना शहर है इसका ज़िक्र कई धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है। नर्मदा नदी के किनारे स्थित इस जगह को लेकर बहुत सी पौराणिक कथाएं भी काफी प्रचलित हैं। साथ ही बहुत सी पौराणिक कथाएं भी इस जगह को लेकर प्रचलित हैं। स्कंद पुराण में हिन्दू किंवदंतियों के अनुसार ऐसा कहा जाता हैं कि भरूच शहर देवी लक्ष्मी जी का निवास स्थान था। ऐसा कहा जाता है कि जब भरूच एक छोटा गाँव था उस दौरान भृगु ऋषि ने यहाँ का दौरा किया था। स्कन्द पुराण के अलावा इसका जिक्र शिव पुराण, रामायण, भगवत पुराण और मत्स्य पुराण जैसे ग्रंथों से भी किया गया है।
भरूच में घूमने की जगह। Places to visit in Bharuch
भृगु ऋषि मंदिर
गुजरात के पवित्र और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक भृगु ऋषि का मंदिर है, जो कि नर्मदा नदी के तट पर डांडिया बाज़ार के क्षेत्र में स्थित है। भरूच के इस मंदिर का तीर्थयात्रियों में बहुत ही धार्मिक महत्व है। भरूच को भृगुकच्छ के नाम से भी जाना जाता हैं। महान संत महर्षि भृगु के सम्मान में इस मंदिर का निर्माण किया गया था। साथ ही भृगु ऋषि ने यहीं पर पहली भारतीय ज्योतिषीय कृति भृगु संहिता भी लिखी थी। भृगु ऋषि के बारे में ऐसा भी कहा जाता है कि उन्होंने पांच मिलियन कुंडलियों का एक दस्तावेजीकरण भी किया था, जिसमें उन्होंने ब्रह्मांड में हर प्राणी के भाग्य को उस पर लिखा था।

श्री विष्णु अय्यपा मंदिर
जडेश्वर रोड पर स्थित श्री विष्णु अय्यपा मंदिर है। दिसंबर के अंत में हर साल भगवान अय्यपा मंदिर में एक पारंपरिक उत्सव का आयोजन किया जाता हैं, जिसमे पवित्र “मंडलमालाम” मनाया जाता है, जहां पर जिले और जिले के आसपास के लोग आ के इसमें भाग लेते हैं।

नव नाथ
पुराने भरूच शहर में नौ स्वायंभु शिवलिंग विभिन्न स्थानों पर स्थित हैं। और भरूच में इन शिवलिंगों को नव नाथ के रूप में भी जाना जाता हैं। ये नौ शिवलिंग – सोमनाथ, भूतनाथ, काशी विश्वनाथ, कामनाथ, सिद्धनाथ, भीमनाथ, गंगनाथ, पिंगलनाथ और ज्वालानाथ है। ऐसा कहा जाता है कि यहां पर नौ शिवलिंग अनादि काल से मौजूद हैं। भृगु ऋषि अपने आश्रम के लिए भरूच का चयन इन शिवलिंगों के कारण ही किया था।

गोल्डन ब्रिज
अंग्रेजों द्वारा नर्मदा नदी के पार इस ब्रिज का निर्माण 1881 में प्रशासकों और व्यापारियों की मुंबई तक पहुँच को बेहतर बनाने के लिए किया गया था। इस संरचना को आधुनिक स्टील की तुलना में अधिक महंगे जंग प्रतिरोधी लोहे के साथ बनाया गया था, इसी कारण इस ब्रिज का नाम गोल्डन ब्रिज के नाम पर पड़ा और साथ ही यह पुल अंकलेश्वर और भरुच को भी जोड़ता है।

दशाश्वमेध घाट
डांडिया बाजार के पास नर्मदा नदी के तट पर दशाश्वमेध घाट स्थित हैं। यही वह जगह है जहां पर दस अश्वमेध का यज्ञ राजा महाबली ने किया था। साथ ही इस स्थान के लिए ऐसा कहा जाता है कि इसी स्थान पर वामन का भेष बनाकर भगवान विष्णु आए थे और पूरे ब्रह्मांड को अपने तीन चरणों के साथ मापा था। इस घाट पर और भी कई पुराने मंदिर बने हुए हैं जिनमें कोटिरुदेश्वर महादेव, अम्बाजी माता मंदिर, नर्मदा माता मंदिर, उमिया माता मंदिर, वामन मंदिर और भी कई अन्य मंदिर यहां देखने को मिल जाते हैं।आध्यात्मिक शांति का आनंद लेने के लिए आप यहां सुबह के समय इस घाट पर आ सकते है।
