शहडोल जिले का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि शहडोल और सोहागपुर क्षेत्र महाभारत राजा विराट का राज्य क्षेत्र हुआ करता था। साथ ही पांडवों ने यहाँ अज्ञात वास का कुछ समय भी व्यतीत किया था। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस स्थान पर बहुत अधिक तालाब हुए करते थे इसी कारण इसे सहस्त्र डोल कहा जाता था जो कि अब सहस्त्र डोल से शहडोल बन गया। शहडोल में घूमने के लिए कई धार्मिक, एतिहसिक और प्राकृतिक स्थान हैं जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं |
शहडोल में घूमने की जगह। Places to visit in Shahdol
विराट मंदिर सोहागपुर
शहडोल जिले के दर्शनीय पर्यटन स्थलों में विराट मंदिर सबसे प्रमुख है। इस मंदिर को विराटेश्वर मंदिर भी कहा जाता है। यहां महाभारत काल में पाण्डव आये थे | मंदिर के पास ही बाणगंगा में पातळतोड़ अर्जुन कुंड भी है | ऐसा कहा जाता है की इस कुंड का निर्माण महाभारत काल में अपने तीर से अर्जुन ने किया था।

बाणसागर डैम
शहडोल जिले स्थित बाणसागर मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार की एक बहुउद्देशीय नदी घटी परियोजना है। बाणसागर बांध शहडोल जिले के सबसे प्रमुख दर्शनीय और पर्यटन स्थलों में से एक है। यह शहडोल जिले का प्रमुख पिकनिक स्पॉट है।

माँ कंकाली देवी मंदिर
कंकाली देवी मंदिर में साल भर भक्तों की भीड़ रहती है | मंदिर के गर्भ गृह में माँ कंकाली, माँ शारदा और माँ सिंह वाहिनी बिराजमान हैं। कंकाली की प्रतिमा 18 भुजाओं वाली है जिनका मुंह खुला हुआ , गले में मुंडमाला लटकी हैं , शरीर पर स्पष्ट पसलियाँ होने के कारण माता का नाम कंकाली पड़ा। माता के पेरों के पास योगनियाँ ,दोनों हांथों में चंड -मुंड नामक दैत्य और परम्परागत आयुध धारण किये हुए हैं।

क्षीर सागर शहडोल
शहडोल जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल और पिकनिक स्पॉट में से एक है क्षीर सागर। इस स्थान पर जोहिला नदी और मुढ़ना नदी का संगम है। चारों तरफ हरियाली से घिरा यह स्थान अनायास ही सैलानियों का मन मोह लेता है। इस स्थान पर संगम स्थल के पास रेत का विशाल मैदान है जो समुद्र के बीच के सामान दिखलाई देता है।

मरखी माता मंदिर जमुनिहा केशवाह
यह एक प्रसिद्ध मरखी माता का मंदिर है। मरखी माता को धूमावती माता के नाम से भी जाना जाता हैं। मंदिर में माता की प्राचीन प्रतिमा है | मरखी माता धूमावती के दरवार में भक्तों की सभी मन्नत पूरी होती हैं इसीलिये यहाँ दूर दूर से भक्त आते हैं। मरखी माता नवरात्री में यहाँ भक्तों की भीड़ देखने लायक होती है।

सरफा डैम शहडोल
यह डैम सरफा नदी पर बना है | इस डैम के निर्माण का उद्देश्य शहडोल शहर को पानी की आपूर्ति करना है। डैम के पास बहुत ही सुन्दर गार्डन बनाया गया है। डैम के पास का दृश्य बहुत ही मनमोहक है |सरफा डैम शहडोल जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल और पिकनिक स्पॉट में से एक है।

माता सिंगवाहिनी भटिया
शहडोल जिले के दर्शनीय स्थानों में जैतपुर के पास भटिया में सिंह वाहिनी माता का मंदिर प्रमुख है। पहले मंदिर बहुत छोटा था, लेकिन अब मंदिर का जीर्णोधार कर दिया गया है। इस मन्दिर में गणेश जी की प्राचीन प्रतिमा भी है। इस मंदिर में भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। नवरात्र में भक्तो की भारी भीड़ होती है और साथ ही मेला भी लगता है।

पंचमठा मंदिर सिंघपुर शहडोल
शहडोल से लगभग 15 किलोमीटर दूर सिंहपुर नामक स्थान पर यह मंदिर स्थित है। औरंगजेब के काल में मंदिर को बहुत नुकसान पहुचाया गया। मंदिर के दरवाजे पर बहुत ही सुन्दर नक्कासी उकेरी गई है। यह माँ काली का मंदिर है , यहाँ माता काली गणेश जी की योगनियों के संग माता सरस्वती भी बिराजमान हैं।

लखबरिया गुफा और मंदिर
लखबरिया गुफा एक महत्त्वपूर्ण दर्शनीय स्थानऔर पर्यटन स्थल है। एक लाख गुफाओं के कारण इस गुफा का नाम लखबरिया पड़ा। अब यहाँ मात्र 13 गुफाएँ ही शेष बची हैं। जनश्रुति के अनुसार पाण्डवों ने अपने अज्ञातवास का कुछ समय शहडोल जिले में बिताया और अरझुला क्षेत्र में एक लाख गुफाओं का निर्माण किया। ऐसा कहा जाता हैं कि जाता है की हर गुफा में एक शिवलिंग है परन्तु अधिकांश गुफाओं के अन्दर का हिस्सा मिट्टी में दब गया है।

जिला पुरातत्व संग्रहालय शहडोल
यह शहडोल शहर के बीचो-बीच गाँधी स्टेडियम के पास कलेक्ट्रेट से कोतवाली मार्ग पर स्थित है। की कलाकृतियों में अधिकतर हिन्दू और जैन धर्म से सम्बंधित हैं। संग्रहालय में तीन दीर्घाएं हैं। संग्रहालय में पूर्व पाषाण ,मध्य पाषाण और नव पाषाण काल में आदि मानव द्वारा उपयोग में लाये गए पत्थर के औजार भी रखे गए हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ 6 करोड़ वर्ष पुराने पेड़ पौधों और जीवों के जीवाश्म भी सहेजकर रखे गए हैं।

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