प्रधानमंत्री हो या कोई मंत्री! भूल से भी रात नहीं गुजारते है यहाँ, गजब है इस शहर की मान्यता

भारत मान्यताओं का देश है, हर बड़े शहर से लेकर छोटे गांव तक सभी जगह लोग अलग अलग तरह की मान्यताओं को मानते है। इनमे से कुछ मान्यताएँ ऐसी भी होती है जिनके जानकर हमारी आखें खुल रही जाती है।

ऐसी ही एक मान्यता है भारत के राजनेताओं और एक शहर से जुड़ा हुआ जहाँ ऐसा माना जाता है कि कोई भी बड़ी हस्ति इस शहर में रात नहीं बिताता है। चाहे वह मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति हो, कोई इस शहर में रुकना नहीं चाहता है।

जी हां आप सही समझ रहे है, हम बात कर रहे है बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन के बारे में जहाँ ऐसी मान्यता है कि बड़े बड़े स्‍टार से लेकर राजनेता तक कोई भी इस शहर में रात्रि नहीं गुजरना चाहता है। ऐसा मानते है कि ऐसा करने से उसकी सत्‍ता चली जाएगी।

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गजब है यहाँ की मान्यता

वैसे तो उज्जैन में बाबा महाकाल का दर्शन करने देश की बड़ी-बड़ी हस्तियों से लेकर राजनीतिक पदों पर आसीन मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक आते हैं लेकिन ये लोग कभी रात में यहां नहीं ठहरते। ये परंपरा कई सालों से चली आ रही है और इसकेे पीछे भी एक बड़ी वजह है।

मान्‍यता है कि जो भी यहां रात विश्राम करेगा, उसकी सत्‍ता चली जाएगा। इस डर से यहां आने वाले लोग यहां रात नहीं गुजारते। अब यह बात कितनी सच है या कितनी झूठ, ये तो नहीं पता, लेकिन लोगों में यह मिथ आज तक बना हुआ है। इस वजह से कोई भी यहां रात गुजारने से डरता है।

क्‍यों है ये मान्‍यता

दरअसल, बाबा महाकाल को उज्‍जैन का राजा धिराज माना जाता है। बाबा महाकाल के नगर में कोई भी दो राजा राज में नहीं रह सकते। अगर ऐसा हुआ, तो यहां रात ठहरने वाले के हाथ से सत्‍ता चली जाएगी।

पूर्व में कुछ राजनेताओं के साथ ऐसे कुछ संयोग भी हुए की यह मान्यता और भी अधिक पुख्ता हो गई।

उज्‍जैन शहर राजा विक्रमादित्य के समय की राजधानी थी। मंदिर से जुड़े रहस्य के मुताबिक राजा भोज के समय से ही यह मान्‍यता चली आ रही है। तब से कोई भी राजा उज्जैन में रात में विश्राम नहीं करता है।

ऐसे कहते है कि जो ऐसा करने की भूल करता है, उसे कुछ ही दिन में उसका खामियाजा भी भुगतना पड़ता है।

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खास है यह मंदिर

आपको बता दे कि उज्जैन का यह मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और हाल ही में यहाँ महाकाल लोक का भी निर्माण हुआ है जिस वजह से आज के वक्त में यह देश के सबसे फेमस टूरिस्ट स्पॉट के रूप में भी पॉपुलर हो रहा है।

पौराणिक कथाओं की मानें तो यह मंदिर द्वापर युग में स्थापित हुआ था। इसे 800 से 1000 साल प्राचीन माना जाता है। जबकि वर्तमान में दिखने वाले महाकाल मंदिर को लगभग 150 साल पहले राणोजी सिंधिया के मुनीम रामचंद्र बाबा शेण बी ने बनवाया था।

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