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Navratri 2023 : इन नवरात्रों में अपने परिवार के साथ करे राजस्थान के इस माता के मंदिर का दर्शन जहां गुप्त रूप से की जाती है पूजा

Navratri 2023 : भारत में बहुत से त्योहार मनाए जाते हैं। नवरात्रे भारत में एक बड़े त्योहार के रूप में मनाया जाते हैं। भारत के हर राज्य में अलग अलग तरीके से नवरात्रे मनाए जाते हैं। हम सभी नवरात्रों का इंतज़ार पूरे साल करते हैं।

हम हर साल बड़े ही धूमधाम से नवरात्रि मनाते है। अक्टूबर आते ही नवरात्रों कि धूमधाम शुरू हो जाती हैं। नवरात्रि इस बार 15 अक्टूबर 2023 से शुरू हो रहे हैं। नवरात्रि आते ही बाजारों में रौनक शुरू हो जाती हैं। जगह जगह पर माता रानी का पांडाल सजाया जाता है। नवरात्रि के दिनों ने चारो तरफ गरबा और डांडिया कि धूम मच जाती है।

भारत में माता रानी कि कई प्रसिद्ध मंदिर है, लेकिन अधिकांश मंदिर पहाड़ो पर स्थित है। जिनमे से सबसे प्रमुख जम्मू  में स्थित वैष्णो माता का मंदिर है। लेकिन आज हम आपको माता के कुछ खास मंदिरो के बारे में बताने जा रहें हैं , जहां आप इस नवरात्रि अपने परिवार के साथ माता के दर्शन का प्लान बना सकते हैं।

अधर देवी मंदिर

यह मंदिर राजस्थान के हिल स्टेशन माउंट आबू में एक पहाड़ी पर स्थित है। इस मंदिर में माता के छठे स्वरूप मां कात्यानी कि पूजा कि जाती है। जिसकी ख़ास बात यह कि यह पूजा गुप्त रूप से कि जाती है। यह मंदिर माता सती के 15वें शक्तिपीठ माँ अधर देवी का है।

नवरात्रि के दिनों में दूर दूर से भक्त यहां माता के दर्शन के लिए आते हैं । नवरात्रि के नौ दिनों तक भक्त माता के नौ अलग- अलग स्वरूपों कि पूजा करते हैं। यह मंदिर 5000 साल पुराना है। अधर देवी का यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में शामिल है।

 

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जाने इस मंदिर से जुड़ी कुछ खास बाते

इस मंदिर में देवी कि गुप्त रूप में पूजा की जाती है। यह मंदिर कि कहानी माता माता सती के आत्माहुति से जुडी है। जब राजा दक्ष की बातों से दुखी होकर सती माता यज्ञ की अग्नि में कूद गई थी, उस समय क्रोधित होकर भगवन शिव माता सती के शरीर को लेकर जगह-जगह घूमने लगे।

उस समय शिवजी के क्रोध के कारण संसार में जन्म-मृत्यु का चक्र थम गया था। इससे चिंतित होकर देवता भगवान विष्णु के पास गए और उनसे कुछ उपाय करने को कहा,  जिसके बाद भगवान विष्णु ने अपने चक्र से सती के अंगों का विच्छेद कर दिया, मान्यता है कि  भगवान शंकर ने माता सती के भस्म हुए शरीर को लेकर उनके वियोग में तांडव शुरू किया था।

उस समय 51 स्थानों पर माता के अंग गिरे थे, जिन जगहों पर माता के अंग गिरे थे वही स्थान शक्तिपीठ कहलाये। उस समय माता सती के के होंठ इस स्थान पर गिरे थे, तभी से ये जगह अधर देवी (अधर मतलब होंठ) के नाम से प्रसिद्ध है।