Vandevi temple

नवरात्रि में दर्शन करे माता के इस अनोखे मंदिर में जहाँ प्रसाद में चढ़ाए जाते हैं पत्थर

Navratri 2023:  नवरात्रि का पर्व भारत में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।  नवरात्रो के आते ही चारो तरफ अलग ही रौनक देखने को मिलती है। इस बार शारदीय नवरात्रि 2023 की शुरुआत 15 अक्तूबर से हो रही है।

इस मौके पर देशभर के प्राचीन और प्रसिद्ध देवी माता मंदिरों के दर्शन के लिए जा सकते हैं। उत्तर भारत में वैष्णो देवी से कांगड़ा देवी, ज्वाला देवी से लेकर दक्षिण भारत में मीनाक्षी मंदिर समेत 52 शक्तिपीठ और अनोखे मंदिर हैं।

अक्सर हम जब भी कभी देवी के मंदिरों में दर्शन और पूजा अर्चना के लिए आने वाले भक्त माता के चरणों में फूल अर्पित करते हैं और लाल चुनरी व श्रृंगार का सामान चढ़ाकर प्रसाद से भोग लगाते हैं।

लेकिनआपको जानकर हैरानी होगी आज हम आपको माता के एक मंदिर के बारे में बताने जा रहें हैं। जहाँ माता को भक्त माता के सामने फूल या प्रसाद नहीं, बल्कि पत्थर चढ़ाते हैं। आइए जानते हैं भारत के अनोखे देवी माता मंदिर के बारे में, जहां चढ़ाए जाते हैं पत्थर।

जानिये इस अनोखा मंदिर के बारे में

इस अनोखे मंदिर का नाम वनदेवी मंदिर है। यह मंदिर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर में स्थित है। इस मंदिर से जुड़ी कई मान्यताएं हैं। मंदिर में आने वाले भक्त माता के समक्ष पत्थर चढ़ाते हैं।

सदियों से चली आ रही इस परंपरा को लेकर स्थानीय लोगों का कहना है कि देवी को यह पत्थर प्रिय हैं, इस कारण उनके चरणों में खेतों में मिलने वाले गोटा पत्थर चढ़ाए जाते हैं। इस लिए यह मंदिर काफी प्रसिद्ध भी है।

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क्या है माता को चढाने वाले इस पत्थर की खासियत

जैसा कि हमने आपको अभी बताया की वनदेवी मंदिर में माता को प्रसाद की जगह पत्थर चढ़ाया जाता है। यह पत्थर खेतों में पाए जाते है, जिसे गोटा पत्थर कहते हैं। मान्यता है कि भक्त सच्चे मन से पांच पत्थर माता को चढ़ा कर उनसे आशीर्वाद लेते हैं और अपनी इच्छा जाहिर करते हैं, तो देवी माँ अपनी मनोकामना जरूर पूरी करती है।

जानिये वनदेवी मंदिर के इतिहास के बारे में

स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मंदिर का इतिहास 100 साल से अधिक पुराना है। यहां स्थापित माता की मूर्ति कौन लाया या कहां से आई, इस बारे में किसी को भी कोई भी जानकारी नहीं है। लोगों का कहना है कि पहले यहां जंगल था, बाद में गांव का निर्माण किया गया। पेड़ के नीचे माता की प्रतिमा रखी थी, जहां छोटा से मंदिर का निर्माण किया गया।