उमरिया जिले में पाया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण खनिज कोयला है, यह जिला मध्य प्रदेश के उत्तर पूर्व में स्थित है। जिला खनिजों से समृद्ध है। तथा यहाँ कोयले की 8 खदानें संचालित की जा रही हैं। जिले में व्यापक जंगल हैं।
उमरिया घूमने की जगह। Places to visit in Umariya
बांधवगढ़ किला
यह एक प्राकृतिक अभेद्य किला है जो पहाड़ी पर स्थित है। बांधवगढ़ का किला काफी पुरातात्विक और ऐतिहासिक महत्व का स्थान है। बामनिया पहाड़ी भी किले का एक हिस्सा है, क्योंकि यह एक प्राचीर से घिरा है। इस किले को रीवा के राजा विक्रमादित्य ने बनवाया था। यह किला 2000 वर्ष पूर्व बनाया गया था इस किले में जाने के लिए मात्रा एक ही रास्ता है जो की घने जंगलो में से होकर गुजरता है।

बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान
यह पार्क 446 वर्गकिलोमीटर में फैला है जो की अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। बांधवगढ़ मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में स्थित एक बहुत ही खूबसूरत जगह है। यहाँ बाघ के साथ-साथ जंगली सूअर, सांभर, चीतल और भालू के साथ साथ बहुत सारे वन्यप्राणी देखने को मिल जाते है।

बिरसिनी माता मंदिर
यहां पर बिरसिनी माता का मंदिर है जो माँ काली का रूप है। ये मंदिर उमरिया से लगभग 36 किमी की दुरी पर स्थित है जो माँ काली को समर्पित है। यहाँ नवरात्री पर मेले का आयोजन किया जाता है। इस स्थान पर कुछ जैन मंदिर एवं मुर्तिया भी है।

शेष शैय्या
यहां भगवन विष्णु की प्रतिमा टाला चैत्र में स्थित है। यहाँ से चरणगंगा नदी की उत्पत्ति होती है जो की बांधवगढ़ नेशनल पार्क में शेष शैय्या के पास स्थित है। यह स्थान उमरिया के बांधवगढ़ में स्थित है। चरणगंगा नदी की बांधवगढ़ नेशनल पार्क में शेष शैय्या के पास स्थित है। जैसा की नाम से ही स्पश्ट होता है की भगवन विष्णु यहाँ 7 फन वाले नाग पर विश्राम करने की मुद्रा में विराजमान है यह बहुत प्राचीन मूर्ति है।

पानपाथ वन्यजीव अभ्यारण
यह एक बहुत ही सुन्दर अभ्यारण है। इस अभ्यारण की स्थापना 1983 में हुई थी यह 243 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला है। यह अभ्यारण उमरिया में बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व के रस्ते में ही स्थित है। इस अभ्यारण में वनस्पति एवं जीवो की कई प्रजातियां देखि जा सकती है।

बांधवगढ़ ऐतिहासिक गुफा
यह भगवन ब्रम्हा,विष्णु और महेश को समर्पित है इन गुफाओ को बोध काल के द्वाराण बनाया गया था। यह गुफा उमरिया के ही बांधवगढ़ में ये बहुत ही प्राचीन गुफा है जो की लगभग 10 वी शताब्दी में बनायीं गयी है। गुफाओ में बाघ जंगली सूअर हाथी घुड़सवारी आदि के चित्र भी पाए गए है जिनमेंसे कुछ गुफाये प्राकृतिक है तथा कुछ मानव निर्मित है।

बड़ेरी
यह महल अपने सुन्दर और सौन्दर्यता के लिए प्रसिद्ध है। यह 16वी और 17 वी शताब्दी में ये उमरिया से पहले रीवा रियासत की राजधानी थी। बड़ेरी उमरिया जिले का एक गांव है जो बघोल राजवंशो का प्रान्त था यह बांधवगढ़ रोड पर उमरिया से 5 किमी की दुरी पर स्थित है।
बघेल संग्राहलय
संग्राहलय में प्राचीन वस्तुओ कांच के सामान अन्य दुर्लभ लेखो और चित्रकला का अनूठा संग्रह है। संग्राहलय उमरिया के बांधवगढ़ में स्थित है। इसका सबसे आकर्षक हिस्सा रीवा के महाराज मार्तण्डे सिंह द्वारा मारा गया पहला सफ़ेद बाघ का मारा हुआ शरीर भी है। संग्राहलय उमरिया के बांधवगढ़ में स्थित है।

कबीर पंथ की गंगोत्री
यह कबीरपंथियों के लिए धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व का स्थान है। बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान से तो बहुत से लोग परिचित हैं, पर इस उद्यान के मध्य में कबीर पंथ की ऐतिहासिक धरोहर स्थित है। गंगोत्री से गंगा की तरह सदगुरु कबीर साहब की पवित्र ज्ञान धारा का प्रवाह इसी स्थल से प्रारम्भ होकर सारे विश्व में फैला।
सागर मंदिर एवं ज्वालामुखी मंदिर
खजुराहो के मॉडल में नक्काशीदार सुंदर मूर्तियों के साथ इसके मुख्य द्वार अभी भी बरकरार हैं। रेलवे स्टेशन के पास एक शिव मंदिर है, जिसे सागर मंदिर के नाम से जाना जाता है। शहर से 6.5 किमी दूर, एक और मंदिर है। इसे मारीवाल मंदिर के रूप में जाना जाता है। साथ ही पास में एक ज्वालामुखी मंदिर भी है।

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